
पहले रविशंकर नगर में मारपीट, अब थाने के सामने गुंडागर्दी – भाजपाई ‘अनुशासन’ की पोल खोलते वीडियो
कोरबा। बीते कुछ दिनों से भारतीय जनता पार्टी के नेताओं से जुड़े ऐसे वीडियो सामने आ रहे हैं, जो पार्टी की कथित ‘अनुशासित छवि’ को आईना दिखा रहे हैं। पहले पंडित रविशंकर नगर में भाजपा नेता संजय सिंह और नूतन राजवाड़े का लाठी-डंडा लेकर मारपीट करते हुए वीडियो वायरल हुआ, और अब बांकीमोंगरा थाना परिसर के सामने भाजपा नेत्री ज्योति महंत द्वारा एक ग्रामीण की बर्बर पिटाई का वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है।
थाने के सामने मारपीट, और फिर 4 हजार की ‘घूस’
ताजा मामले में भाजपा नेत्री ज्योति महंत, जो पूर्व नगर पालिका सदस्य रह चुकी हैं, एक ग्रामीण को सड़क पर गिराकर झापड़ और लातों से पीटती नजर आ रही हैं। वीडियो में वह यह कहते सुनी जा सकती हैं – “ये मर भी जाये तो मुझे फर्क नहीं पड़ता।” इतना ही नहीं, पीड़ित ग्रामीण ने आरोप लगाया कि पिटाई के बाद उसे थाने लाया गया और ‘मामला न बढ़े’ इसके लिए 4 हजार रुपये की रिश्वत वसूली गई।
इस शर्मनाक घटना के दौरान मौके पर मौजूद अन्य युवक नेत्री का साथ देते दिखते हैं, और एक युवक वीडियो बना रहे शख्स का कैमरा रोकने की कोशिश करता भी नजर आता है।
रविशंकर नगर की घटना से भी नहीं संभली भाजपा
इससे दो दिन पहले रविशंकर नगर में भाजपा नेता संजय सिंह द्वारा धारदार लाठी लेकर हमला करने और फिर पीटे जाने का वीडियो सामने आया था। साथ ही भाजपा नेता नूतन राजवाड़े पर भी सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा, डीजल-पेट्रोल बेचने और गाली-गलौज के गंभीर आरोप पहले से दर्ज हैं।
‘अनुशासित पार्टी’ के अनुशासन पर सवाल
इन दोनों घटनाओं के बीच सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या भाजपा में अब सार्वजनिक हिंसा, कानून हाथ में लेना और सत्ता के नाम पर दबंगई सामान्य बात हो गई है? पार्टी जहां एक ओर अपनी अनुशासित और राष्ट्रवादी छवि का दावा करती है, वहीं दूसरी ओर उसके स्थानीय नेता सरेआम गुंडागर्दी करते हुए कैमरे में कैद हो रहे हैं।
हैरानी की बात यह भी है कि संजय सिंह और नूतन राजवाड़े के पक्ष में भाजपा मंडल पदाधिकारी खुद ही दो दिन पहले जिला पुलिस कप्तान के पास समर्थन देने पहुंचे थे। अब सवाल यह भी उठता है कि क्या भाजपा का पूरा संगठन ऐसे विवादास्पद चेहरों को संरक्षण देने में जुटा है ?
पार्टी के दामन पर दाग, या अब यही पहचान ?
भाजपा नेत्री ज्योति महंत की इस हरकत ने यह तय कर दिया है कि स्थानीय स्तर पर पार्टी का अनुशासन और नेतृत्व अब सिर्फ भाषणों में बचा है। पीड़ित ग्रामीण की मानें तो उसे पीटने के बाद न केवल अपमानित किया गया, बल्कि पैसे भी ऐंठे गए – और यह सब एक थाने के सामने हुआ।
भाजपा नेतृत्व को तय करना होगा – अनुशासन की बात करें या अपने ही नेताओं की करतूतों पर पर्दा डालते रहें ?