दंतेवाड़ा । समूह की दीदियों के लिए रोजगार के विभिन्न अवसर मुहैया कराने के क्रम में जिले के सभी जनपद पंचायत का प्रयास जारी है। देखा जाए तो जिले के कई ऐसे क्षेत्र है जहां की ’’आबो हवा’’ फल विशेष के लिए बेहद अनुकुल है इस क्रम में विकासखंड कटेकल्याण के अंतर्गत दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्र मारजुम की कृषि भूमि केले फल उत्पादन के लिए उपयुक्त सिद्ध हुई है, यहा के लगभग हर घर की बाडि़यों में केलों के घने झूरमुट प्रायः ही देखने को मिलते है।
आम तौर पर स्थानीय ग्रामीण इन बहुतायत से प्राप्त केलों को स्थानीय हाटों में विक्रय करते आये है। जिससे उन्हें कामचलाउ आमदनी हो जाया करती है परन्तु इसे व्यापक व्यावसायिक दृष्टिकोण से देखते हुये जिला प्रशासन ने केला उत्पादन को महिला आजीविका से जोड़ने का मन बना लिया है। इसके लिए विकासखण्ड अन्तर्गत समूह की 27 दीदियों को उद्यानिकी विभाग द्वारा केले की बेहतर पर गुणवत्ता पूर्ण खेती, उत्पादन में वृद्धि पर प्रशिक्षण दिया गया है। साथ ही मार्केटिंग के लिए उन्हें केले के कैरेट बॉक्स भी प्रदाय किया गया है। समूह की दीदियों ने यह भी जानकारी दी कि उनके समूह द्वारा इसके अलावा मछली पालन, बांस की टोकरी एवं तीखुर निर्माण जैसे विविध आजीविका गतिविधियों कर वर्तमान में स्वावलंबी एवं आत्मनिर्भर बनने की दिशा में अग्रसर है और उन सभी के जीवन स्तर में एक सुखद परिवर्तन आया है। साथ ही घर परिवार और समाज में उनका सम्मान बढ़ा है।