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कोरबा स्वास्थ्य विभाग में ‘डबल लेखा कार्यालय’ का रहस्य — एक ही बिल्डिंग, दो ऑफिस, और भ्रष्टाचार की मजबूत जड़ें ! “कमरे बदले, चेहरे बदले — लेकिन फाइलों में खेल वही पुराना”

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कोरबा स्वास्थ्य विभाग में ‘डबल लेखा कार्यालय’ का रहस्य — एक ही बिल्डिंग, दो ऑफिस, और भ्रष्टाचार की मजबूत जड़ें !

“कमरे बदले, चेहरे बदले — लेकिन फाइलों में खेल वही पुराना”

कोरबा | क्या आपने कभी ऐसा सरकारी विभाग देखा है जहां एक ही कार्यालय भवन में दो-दो लेखा शाखाएं चलती हों? नहीं देखा तो कोरबा के स्वास्थ्य विभाग का नजारा जरूर देखिए — जहां एक ही विभाग में दो लेखा कार्यालय सक्रिय हैं, और दोनों का संचालन अलग-अलग ‘शक्ति केंद्रों’ से होता है। मगर यह कोई तकनीकी आवश्यकता नहीं, बल्कि एक सोची-समझी भ्रष्ट तंत्र की संरचना है।

 भूतल पर लेखा अधिकारी, ऊपर जिला लेखा अधिकारी — दो दफ्तर, दो सोच, एक ही मकसद: फिक्सिंग!

  • भूतल पर: जिला स्वास्थ्य कार्यालय के भूतल पर लेखा अधिकारी का चेम्बर, जो अपने कंप्यूटर ऑपरेटर兼 सहायक के साथ अलग कार्यालय चला रही हैं। यह चेम्बर जिला कार्यक्रम अधिकारी (DPM) के चेम्बर से सटा हुआ है।
  • प्रथम तल पर: बिल्डिंग की पहली मंजिल पर विधिवत रूप से नियुक्त जिला लेखा अधिकारी का चेम्बर स्थित है, जो वित्तीय नियंत्रण एवं पारदर्शिता के लिए अधिकृत हैं।

लेकिन सच्चाई यह है कि जिला लेखा अधिकारी को साइडलाइन कर दिया गया है, और नीचे बैठी लेखा अधिकारी द्वारा ही विभागीय फाइलें चलाई जा रही हैं — बिना किसी वैधानिक अधिकार के।

नियमविरुद्ध नोटशीट संचालन और इनफ्लूएंस का खुला खेल

सूत्रों के अनुसार, लेखा अधिकारी बीते कई वर्षों से नियमविरुद्ध ढंग से नोटशीट तैयार कर भुगतान आदेश जारी कर रही हैं। जब जिला लेखा अधिकारी ने इसका विरोध किया, तो उन्हीं को निशाने पर ले लिया गया।

बताया जाता है कि प्रभावशाली संपर्कों का इस्तेमाल कर जिला लेखा अधिकारी को बर्खास्तगी का आदेश तक दिलवा दिया गया, लेकिन उच्च न्यायालय ने इस आदेश पर रोक लगा दी।

अब बड़ा सवाल — अगर बर्खास्तगी गलत थी तो नई नियुक्ति क्यों नहीं की गई? जवाब स्पष्ट है: जगह खाली रखकर नीचे वाले मैनेज्ड ऑफिस से ही सारा खेल चलाना है।

कमीशन की निरंतरता बनी रहे, इसके लिए प्रशासनिक सेटिंग बरकरार है

यह विवाद सिर्फ पद और चेम्बर का नहीं, बल्कि कई करोड़ रुपये के टेंडरों, मेडिकल सप्लाई और निर्माण कार्यों में कमीशन खोरी को बनाए रखने की रणनीति का हिस्सा है।

  • विभागीय फाइलों की हेराफेरी
  • भुगतान आदेशों में सेटिंग
  • फर्जी सर्टिफिकेट्स
  • बिना निरीक्षण के जारी भुगतान

इन सभी की जड़ इस दोहरे लेखा कार्यालय और अंदरूनी सेटिंग में छुपी हुई है।

MK News Hub की पड़ताल जारी है — कल शाम सामने आएगा नया खुलासा !

  • कौन-कौन अधिकारी हैं इस भ्रष्टाचार के संरक्षक?
  • किस टेंडर में क्या खेल हुआ है?
  • किसने लिए कितने परसेंट कमीशन?

कल शाम जारी होगी अगली रिपोर्ट — सबूतों के साथ।

MK News Hub — सच्ची खबर, बिना समझौते के
“फिक्सिंग की फाइलें” — भ्रष्टाचार की परतें एक-एक कर होंगी उजागर।

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