chhattisgarh times Archives - MK NEWS HUB https://mknewshub.com/tag/chhattisgarh-times/ Wed, 17 Jul 2024 19:36:34 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.8.1 https://mknewshub.com/wp-content/uploads/2025/06/cropped-IMG-20240925-WA0017-1-32x32.jpg chhattisgarh times Archives - MK NEWS HUB https://mknewshub.com/tag/chhattisgarh-times/ 32 32 बालको के खिलाफ प्रशासन की कराई जांच में सभी विभागों ने दी नियम विरुद्ध कार्रवाई की जानकारी, फिर कौन है जो आ रहा कार्रवाई के आड़े https://mknewshub.com/in-the-investigation-conducted-by-the-administration-against-the-children-all-the-departments-gave-information-about-taking-action-against-the-rules-then-who-is-coming-in-the-way-of-the-action/?utm_source=rss&utm_medium=rss&utm_campaign=in-the-investigation-conducted-by-the-administration-against-the-children-all-the-departments-gave-information-about-taking-action-against-the-rules-then-who-is-coming-in-the-way-of-the-action https://mknewshub.com/in-the-investigation-conducted-by-the-administration-against-the-children-all-the-departments-gave-information-about-taking-action-against-the-rules-then-who-is-coming-in-the-way-of-the-action/#respond Wed, 17 Jul 2024 13:01:00 +0000 https://mknewshub.com/?p=88179 कोरबा – बालको नगर के शांति नगर के लोगो को अशांत करना बालको प्रबंधन को भारी पड़ रहा है। शांति नगर पुनर्वास समिति तितिक्षा ने जिला दंडाधिकारी को शिकायत कर बालको की पूरी पोल खोल दी। शिकायत गंभीर थी लिहाजा तब के तत्कालीन कलेक्टर व जिला दंडाधिकारी संजीव झा ने शिकायत की जांच के लिए …

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कोरबा – बालको नगर के शांति नगर के लोगो को अशांत करना बालको प्रबंधन को भारी पड़ रहा है। शांति नगर पुनर्वास समिति तितिक्षा ने जिला दंडाधिकारी को शिकायत कर बालको की पूरी पोल खोल दी। शिकायत गंभीर थी लिहाजा तब के तत्कालीन कलेक्टर व जिला दंडाधिकारी संजीव झा ने शिकायत की जांच के लिए तत्कालीन अपर कलेक्टर प्रदीप साहू की अध्यक्षकता में एसडीएम, तहसीलदार, क्षेत्रीय पर्यावरण अधिकारी, सहायक श्रमायुक्त, उप संचालक औद्योगिक स्वास्थ्य एवं सुरक्षा, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी के द्वारा जांच कराई। जांच में साफ साफ मजदूरों के शोषण, पर्यावरण क्षति, अवैध कब्जे, सुरक्षा मानकों का पालन न करना, स्वस्थ्यगत परेशानियों की पुष्टि हुई है आप नीचे पूरी रिपोर्ट पढ़िए।

इस रिपोर्ट के आने के बाद भी बालको ने अपने ऊंची पहुंच का लाभ उठाते बीते 10 माह से कार्रवाई को रोक रखा है। ये कार्रवाई का रुकना न केवल बालको के हौसले को बढ़ा रहा है बल्कि शोषित हो रहे बालकोनगर के रहवासियों और श्रमिकों के उम्मीदों में पानी भी फेर रहा है।

मौजूदा कलेक्टर के समक्ष भी शांति नगर के लोगो ने अपनी समस्या को साझा करते शिकायत की जिस पर भी राजस्व अमले के जांच दल का गठन हुआ जांच में शिकायत की पुष्टि फिर से हुई लेकिन कार्रवाई का अभाव अब तक जारीहै। जाने बालको के पास वो कौन सी अदृश्य शक्ति है जो उसको न्यायलय की अवमानना करने से भी गुरेज नहीं करने देती। सिस्टम में बैठे कुछ अधिकारियों की लालसा का ही परिणाम है कि बालको हिटलरशाही रवैया अपनाया रहा है लेकिन शांति नगर के लोगो की जिजीविषा उनको हार मानने नहीं दे रही…

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बालको का हमदर्द बन अवतार सिंह छीन रहा शांति नगर के लोगो का सुकून ! अपने वादे पूरे किए बिना ही ले लेना चाहता है ज़मीन https://mknewshub.com/avtaar-singh-posing-as-a-sympathizer-of-children/?utm_source=rss&utm_medium=rss&utm_campaign=avtaar-singh-posing-as-a-sympathizer-of-children https://mknewshub.com/avtaar-singh-posing-as-a-sympathizer-of-children/#respond Tue, 16 Jul 2024 15:35:22 +0000 https://mknewshub.com/?p=88086 कोरबा, बालको जो न कर ले कम है वैसे तो बालको के कारस्तानियों की फेहरिस्त लंबी है लेकिन को तथ्य हम आपको बताने जा रहे है उससे आज तक आप अनजान होंगे। बालको के अधिकारी अवतार सिंह किस कदर अपने को हीरो बनाने के फेर में अपनी ही कंपनी की फजीहत करा बैठे इसकी दास्तान …

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कोरबा, बालको जो न कर ले कम है वैसे तो बालको के कारस्तानियों की फेहरिस्त लंबी है लेकिन को तथ्य हम आपको बताने जा रहे है उससे आज तक आप अनजान होंगे। बालको के अधिकारी अवतार सिंह किस कदर अपने को हीरो बनाने के फेर में अपनी ही कंपनी की फजीहत करा बैठे इसकी दास्तान आज आपको बताएंगे।
जैसा कि आप पिछले ख़बर में पढ़ चुके है कि बालको के कूलिंग टॉवर और 1200 मेगावाट परियोजना से अशांत शांति नगर के लोगो को बालको प्रबंधन ने नौकरी, पुनर्वास और उनकी जमीनें तयशुदा दर से खरीदने का वादा किया गया था। इस वादे के मुताबिक ज़मीन बालको को खरीदनी थी लेकिन बालको की जालसाजी यहीं से शुरू होती है। शांति नगर के रहवासी श्री बंशीलाल स्वर्णकार (65) की खसरा नंबर 322/9 व 322/11 रकबा 0.009 हेक्टेयर/0.002 1/4 को जीवन कुमार मुखर्जी के नाम से खरीदी की गई। जीवन कुमार बालको में कौन है ये कोई नहीं जानता है बाद में अवतार सिंह ने बालको के महाप्रबंधक की हैसियत से कोर्ट में ये केस फ़ाइल कर दिया कि बंशीलाल भूमि खाली नहीं कर रहा है। मज़े की बात ये है कि केस लगाने के बाद अवतार सिंह कभी कोर्ट में उपस्थित ही नहीं हुए। अवतार सिंह को तो केवल ये दिखावा करना था कि वो बालको याने तथाकथित वेदांता का शुभचिंतक है। कोर्ट ने पूछा कि उच्च न्यायालय के आदेश मुताबिक त्रिपक्षीय समझौते का पालन किया गया जिसमें जमीन के बदले पुनर्वास कहा गया था इस सवाल पर कोई जवाब बालको नहीं दे सका। कोर्ट ने ये भी पूछा कि जीवन कुमार के नाम जमीन क्यों खरीदी गई बालको से इसके संबंध में कोई प्रमाण दिया जाए तो केवल एक पॉवर ऑफ अटॉर्नी अवतार सिंह के नाम पेश की गई। सिर्फ अटॉर्नी के बेस पर अवतार सिंह जमीन का मालिकाना हक चाहता था लेकिन बदले में वो नहीं देना चाहता था जिस समझौते पर उसके पूर्व अधिकारियों ने हस्ताक्षर किया है। लिहाजा कोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद केस खारिज कर दिया। पढ़िए पूरे आदेश को कोर्ट ने क्या कहा …

तो इस तरह अवतार सिंह केवल बालको हितैषी बन शांति नगर के लोगो अशांत कर रहा है। शांति नगर कर लोग केवल एक ही मांग त्रिपक्षीय समझौते के पालन की मांग का रहे है लेकिन अवतार सिंह जैसे लोग उसको पूरा कराने में मदद की बजाए मुद्दे को उझाये रखना चाहते है। इस मामले को लेकर प्रशासन ने भी एक जांच कराई है उसकी जानकारी कल दी जाएगी कि कैसे जांच में झूठ का सहारा लेकर लोगो को परेशान किया जाता है लेकिन सच आखिर सच होता है को जांच में भी पुष्ट हुआ।

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बालको एल्युमिना रिफाइनरी का अवैध ध्वस्तिकरण: वेदांता प्रबंधन पर गंभीर आरोप, करोड़ों के राजस्व का नुकसान https://mknewshub.com/illegal-demolition-of-balco-alumina-refinery-serious-allegations-against-vedanta-management/?utm_source=rss&utm_medium=rss&utm_campaign=illegal-demolition-of-balco-alumina-refinery-serious-allegations-against-vedanta-management https://mknewshub.com/illegal-demolition-of-balco-alumina-refinery-serious-allegations-against-vedanta-management/#respond Sat, 13 Jul 2024 14:56:20 +0000 https://mknewshub.com/?p=87772 कोरबा, छत्तीसगढ़: वेदांता के स्थानीय प्रबंधन पर बालको एल्युमिना रिफाइनरी को बिना सरकारी अनुमति के ध्वस्त कर कबाड़ में बेचने का गंभीर आरोप लगा है। इससे सरकार को करोड़ों रुपये के राजस्व का नुकसान हुआ है। जिला इंटक संगठन ने इस मामले को उजागर करते हुए वेदांता प्रबंधन पर कानून का उल्लंघन और भ्रष्टाचार के …

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कोरबा, छत्तीसगढ़: वेदांता के स्थानीय प्रबंधन पर बालको एल्युमिना रिफाइनरी को बिना सरकारी अनुमति के ध्वस्त कर कबाड़ में बेचने का गंभीर आरोप लगा है। इससे सरकार को करोड़ों रुपये के राजस्व का नुकसान हुआ है। जिला इंटक संगठन ने इस मामले को उजागर करते हुए वेदांता प्रबंधन पर कानून का उल्लंघन और भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए हैं।

कानूनी और नैतिक उल्लंघन

1976 में स्थापित बालको एल्युमिना रिफाइनरी को बिना सरकार की अनुमति के ध्वस्त करना न केवल कानूनी उल्लंघन है, बल्कि नैतिकता के खिलाफ भी है। जिला इंटक की प्रेस विज्ञप्ति में उजागर किए गए तथ्यों के अनुसार:

  1. सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का उल्लंघन: माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेश Case no. (civil) 8 of 2001, Balco Employees Union vs Union of India & ors. में स्पष्ट किया गया था कि बिना अनुमति के कारखाने को बंद करना अवैधानिक है।
  2. राज्य सरकार का निरस्तीकरण: वर्ष 2015 में बालको प्रबंधन द्वारा SRS को बंद करने का आवेदन राज्य सरकार द्वारा निरस्त कर दिया गया था। इसके बावजूद, रिफाइनरी को ध्वस्त कर दिया गया।
  3. श्रमिकों का उत्पीड़न: एल्युमिना रिफाइनरी के श्रमिकों के भुगतान और रोजगार से संबंधित मामले माननीय उच्च न्यायालय, बिलासपुर में लंबित हैं, जिन पर अभी तक कोई निर्णय नहीं हुआ है।
  4. शेयरहोल्डर समझौते का उल्लंघन: स्टरलाइट (वेदांता) और सरकार के बीच हुए समझौते की कंडिका 4.5 एवं आर्टिकल ऑफ एसोसिएशन की कंडिका 73 के तहत किसी भी भाग को बंद करने और बेचने से पहले राष्ट्रपति की अनुमति आवश्यक थी, जो नहीं ली गई।

स्थानीय पार्षद और अधिवक्ता का विरोध

स्थानीय पार्षद और एक अधिवक्ता ने बालको की विस्तार परियोजना के तहत जमीन की गलत जानकारी देने का आरोप लगाया था। उन्होंने शासन को लिखे पत्रों में बताया कि बालको प्रबंधन विस्तार परियोजना की आड़ में एल्युमिना रिफाइनरी को ध्वस्त कर उस जमीन का उपयोग करेगा। लेकिन शासन ने इस शिकायत पर कोई कार्यवाही नहीं की।

वेदांता प्रबंधन पर आरोप है कि उन्होंने कानून और नैतिकता की सभी सीमाओं को पार कर एल्युमिना रिफाइनरी को ध्वस्त कर कबाड़ में बेचकर करोड़ों रुपये की राशि अर्जित की है। यह न केवल कानूनी अनियमितताओं की ओर संकेत करता है, बल्कि गंभीर भ्रष्टाचार की भी बात करता है।

जिला इंटक ने इस मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की है और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने कहा कि बालको एल्युमिना रिफाइनरी को ध्वस्त करने से न केवल श्रमिकों का रोजगार छिना है, बल्कि इससे जुड़े कानूनों की भी अनदेखी की गई है। जिला इंटक ने यह भी कहा कि यदि इस मामले में सख्त कार्रवाई नहीं की गई, तो यह एक खतरनाक मिसाल कायम करेगा।

बालको कारखाने की विनाश की विडंबना

वर्ष 1976 में स्थापित किए गए बालको कारखाने के अभिन्न भाग एल्युमीना रिफाइनरी का नामोनिशान कोरबा की धरती से अंततः मिटा ही दिया गया। यह तथ्य जांच करने योग्य है कि एल्युमीना रिफाइनरी को बंद करने, ध्वस्त करने और काट कर कबाड़ में बेचकर करोड़ों रुपये अर्जित करने की अनुमति सरकार द्वारा प्राप्त की गई या नहीं। परंतु विकास के लिए विनाश जरूरी है, यह सबक बालको के वेदांता प्रबंधन के अधिकारियों द्वारा कोरबा की जनता को दे दिया गया है। ऐतिहासिक परंपराओं और धरोहरों को ध्वस्त करने के मिशन में वेदांता प्रबंधन के अधिकारियों को एक मेडल और मिल गया है।बालको एल्युमिना रिफाइनरी का अवैध ध्वस्तिकरण न केवल कानूनी और नैतिक मुद्दों को उजागर करता है, बल्कि इससे जुड़े लोगों की भावनाओं और समुदाय पर इसके प्रभाव को भी दर्शाता है। अब समय आ गया है कि संबंधित प्राधिकरण इस पर सख्त कार्रवाई करें और न्याय सुनिश्चित करें।


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राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग के अध्यक्ष से श्रमिकों की मुलाकात पर बालको अधिकारियों ने लगाई रोक ? https://mknewshub.com/balco-officials-put-a-stop-to-the-workers-meeting-with-the-chairman-of-the-national-safai-karamcharis-commission/?utm_source=rss&utm_medium=rss&utm_campaign=balco-officials-put-a-stop-to-the-workers-meeting-with-the-chairman-of-the-national-safai-karamcharis-commission https://mknewshub.com/balco-officials-put-a-stop-to-the-workers-meeting-with-the-chairman-of-the-national-safai-karamcharis-commission/#respond Thu, 11 Jul 2024 17:07:43 +0000 https://mknewshub.com/?p=87569 कोरबा – मनमानी के लिए मशहूर बालको अब बदसलूकी पर उतर आया है। मामला इस बार श्रमिको के साथ बदसलूकी से जुड़ा हुआ है श्रमिक अपनी समस्याओं और मांगो को लेकर बालको के गेस्ट हाउस पहुंचे थे यहां पहले से राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग के अध्यक्ष एम. वेंकटेशन पहुंचे हुए थे। आरोप है कि इस …

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कोरबा – मनमानी के लिए मशहूर बालको अब बदसलूकी पर उतर आया है। मामला इस बार श्रमिको के साथ बदसलूकी से जुड़ा हुआ है श्रमिक अपनी समस्याओं और मांगो को लेकर बालको के गेस्ट हाउस पहुंचे थे यहां पहले से राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग के अध्यक्ष एम. वेंकटेशन पहुंचे हुए थे। आरोप है कि इस दौरान पहुंचे श्रमिकों को गेट पर रोककर न केवल बालको के सुरक्षाकर्मियों ने बदसलूकी की बल्कि उनके आवेदन को भी लूटकर फाड़ दिया। किसी तरह अध्यक्ष से मिलने की आस में श्रमिक गेट पर ही खड़े रहे और उनका इंतजार किया। अपने कार्यक्रम के उपरांत लौट रहे अध्यक्ष एम वेंकटेशन की नज़र जब श्रमिकों पर पड़ी तो उन्होंने उनसे मुलाकात कर उनकी समस्याएं जानी बालको में कराए जा रहे श्रमिक विरोधी कार्यों को सुनने के बाद कॉरपोरेट अफ़ेयर हेड अवतार सिंह तिलमिला उठे और श्रमिकों को ही झूठा बताने लगे इसके बाद एम वेंकटेशन को मामला समझते देर नहीं लगी और उन्होंने मौके पर ही बालको के अधिकारियों को जमकर फटकार लगाई बाद में श्रमिकों को मिलकर विस्तार से अपनी समस्या लिखकर देने कहा है, साथ अपना विजिटिंग कार्ड देते हुए उनको पर्सनल नंबर भी कार्ड के पीछे लिखकर दिया है। अब देखना होगा कि 12 जुलाई की सुबह जिला प्रशासन और सार्वजनिक उपक्रमों के साथ होने वाली बैठक में राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग के अध्यक्ष का रुख क्या होता है और इस मामले के बाद अब बालको सीईओ राजेश कुमार की अगली रणनीति क्या होगी।

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मंत्री जी देखिये आपके रहते बालको कर रहा बड़ा दुस्साहस ! आपके जिले में बालको एल्युमिनियम विस्तार परियोजना बनी अवैध कारिदों का केंद्र https://mknewshub.com/minister-see/?utm_source=rss&utm_medium=rss&utm_campaign=minister-see https://mknewshub.com/minister-see/#respond Tue, 09 Jul 2024 13:00:00 +0000 https://mknewshub.com/?p=87336 कोरबा, छत्तीसगढ़ – कोरबा जिले के बालको नगर स्थित भारत एल्युमिनियम संयंत्र में स्मेल्टर विस्तार परियोजना में गंभीर अनियमितताएं सामने आई हैं। ये अनिमित्ताएं वहां हो रही है जहां से चुनकर श्रम एवं उद्योग मंत्री लखनलाल देवांगन आते है। मंत्री जी ने कड़े शब्दों में प्रबंधन को अपनी सीमा में रहने की चेतावनी भी दे …

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कोरबा, छत्तीसगढ़ – कोरबा जिले के बालको नगर स्थित भारत एल्युमिनियम संयंत्र में स्मेल्टर विस्तार परियोजना में गंभीर अनियमितताएं सामने आई हैं। ये अनिमित्ताएं वहां हो रही है जहां से चुनकर श्रम एवं उद्योग मंत्री लखनलाल देवांगन आते है। मंत्री जी ने कड़े शब्दों में प्रबंधन को अपनी सीमा में रहने की चेतावनी भी दे रखी है लेकिन इस चेतावनी का कोई असर नहीं दिख रहा है। बालको अपने विस्तार परियोजना के लिए सारे नियम कायदे ताक पर रख रहा है जिम्मेदार विभाग पत्र लिख खानापूर्ति भी कर रहा है लेकिन ये सब ढाक के तीन पात वाली कहानी ही साबित हो रही है। यहां अवैध रूप से वनभूमि-सीएसईबी की भूमि पर कब्जा, अवैध पेड़ कटाई समेत चोरी के सामान से नई परियोजना की बुनियाद रखी जा रही है इस कवायद में जनता के हक के करोड़ो रूपये बालको गबन करने के फिराक में है बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हो रही।

सरकारी विभागों में पत्र इस बात की साफ गवाही देते है कि कैसे यहां गड़बड़ झाला किया जा रहा है अकेले सिर्फ ब्लीचिंग प्लांट की अनुमति के मामले में लगभग 7 करोड़ रुपये नगर पालिक निगम को देने है बावजूद अब तक राशि नहीं दी गई है। विभाग पत्र तो लिखते है लेकिन सिंह साहब का प्रभाव यहां कार्रवाई करने की अनुमति नहीं देता है यही हाल स्थानीय नेताओं तक का है सत्तासीन नेताओ के अलावा विपक्ष भी कोई मुद्दा नहीं उठा रहा है मामला यहां पर्यावरणीय नुकसान के अलावा उन करोड़ो रूपये का है जो सरकार के खजाने में जाने से लोगो के हक में कई विकास कार्य हो सकते है लेकिन यहां तो जेब कहीं और भरी जा रही है हम आपको विस्तार परियोजना से जुड़ी गड़बड़ियों के कुछ अंश बताते है।

अवैध निर्माण और भूमि अतिक्रमण:

बालको की अल्युमिनियम विस्तार की यह परियोजना 5.1 लाख टन प्रति वर्ष (LTPA) क्षमता की है, जिसकी पर्यावरण स्वीकृति 22 अप्रैल 2022 को मिली थी। हालांकि, बालको प्रबंधन, पूर्व विस्तार परियोजना प्रमुख मनीष जैन, और पूर्व सीईओ अभिजीत पति ने पर्यावरण स्वीकृति प्राप्त होने से पहले ही निर्माण कार्य शुरू कर दिया था।


परियोजना के निर्माण का ठेका भारत सरकार की अंडरटेकिंग ब्रिज एंड रूफ कंपनी और ग्रीन एनोड प्लांट का ठेका KEC International कंपनी को दिया गया था दावा है कि ब्रिज एंड रूफ कंपनी 2023 में अधूरा काम छोड़ कर वापस चली गई, जबकि लोग कहते है कंपनी को फोर्सफुली भगाया गया है मामला कोर्ट भही गया। इधर KEC International अभी भी कार्य कर रही है। परियोजना का विस्तार संयंत्र परिसर की प्रस्तावित भूमि से परे जाकर सैकड़ों एकड़ भूमि पर पेड़ों की कटाई कर किया जा रहा है, जिसके लिए कोई अनुमति नहीं ली गई है। पर्यावरण स्वीकृति के दौरान यह कहा गया था कि संयंत्र परिसर के बाहर कोई भी कार्य नहीं किया जाएगा। बावजूद इसके, बालको प्रबंधन और सहयोगी ठेका कंपनियों KEC International, ACC India, और L&T ने CSEB की शासकीय भूमि पर बड़े झाड़ के जंगल मट की भूमि पर कई एकड़ भूमि में अवैध कब्जा कर सीमेंट बैचिंग प्लांट स्थापित कर दिया है। नगर निगम कोरबा द्वारा इन अवैध बैचिंग प्लांट्स पर ताला लगाया गया था, लेकिन वह ताला कैसे खुल गया, यह आश्चर्य का विषय है।

अवैध रेत परिवहन और सप्लाई:


कोरबा जिले और आस-पास के जिलों से अवैध रेत खनन, भंडारण और परिवहन कर ACC India, KEC International, और L&T में भारी मात्रा में चोरी की रेत इन बैचिंग प्लांट्स में खपाई जा रही है। इस रेत चोरी की बात पर इसलिए भी जोर पड़ता है क्योंकि ये पूरा खेल रात के अंधेरे में खेला जाता है रेत डंप करने पहुंचे किसी भी वाहन के पास रॉयल्टी पर्ची नहीं होती है लेकिन बाद में पर्चियाँ सिंह साहब के आशीर्वाद से जुगाड़ ली जाती है। इससे छत्तीसगढ़ सरकार को भारी राजस्व का नुकसान उठाना पड़ रहा है। रोजाना सैकड़ों ट्रकों के माध्यम से छत्तीसगढ़ के नदी-नालों से अवैध रूप से रेत निकाली जा रही है। माइनिंग, राजस्व, पुलिस किसी का इस अवैध खेल में जोर नहीं चल रहा है समझा जा सकता है दबाव का स्तर क्या होगा !

बालको चिमनी हादसा:
स्मेल्टर विस्तार परियोजना में सुरक्षा के गंभीर मुद्दे हैं। बालको संयंत्र में पहले भी एक चिमनी हादसा हुआ था जिसमें सैकड़ों निर्दोष लोगों की जान गई थी। वर्तमान विस्तार परियोजना में भी बड़े-बड़े क्रेन स्ट्रक्चर और ऊंचाई वाले कार्य दिन भर चलते रहते हैं, जिससे फिर से हादसे की आशंका बनी रहती है। अगर कोई हादसा होता है, तो जिम्मेदार कौन होगा? क्योंकि गुणवक्ता के साथ समझौता किसी भी निर्माण को कमजोर करता है।

जांच और कार्रवाई की मांग:
इन गंभीर आरोपों को देखते हुए, जिला प्रशासन और संबंधित सरकारी एजेंसियों से इन अवैध कार्यों की गहन जांच और उचित कार्रवाई की मांग की जा रही है। स्थानीय जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों को इस मामले में सक्रियता दिखानी चाहिए और सुनिश्चित करना चाहिए कि सभी पर्यावरणीय और कानूनी नियमों का पालन हो रहा है। इस प्रकार के अवैध कार्यों को रोकने के लिए स्थानीय जनता और श्रमिक संगठनों को भी जागरूक और सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए। इन मुद्दों का निस्संदेह जांच होकर बड़ी कार्यवाही होनी चाहिए।

बने रहे ग्राम यात्रा छत्तीसगढ़ न्यूज नेटवर्क के साथ जल्द ही परत दर परत सभी भ्रष्टाचार में लिप्त लोगों को करेंगे बेनकाब…
अवैध कार्य और कंपनी की मनमानी को सभी पुख्ता सबूतों के साथ लाएंगे जनता के दरबार में। सरकार को जगाने में आपकी भूमिका रहेगी खास…

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श्रम मंत्री के जिले में बालको की मनमानी जारी, राखड़ के ठेकेदार बेलगाम हो नियमों का उड़ा रहे माखौल, इधर जिला प्रशासन लगा है… https://mknewshub.com/the-arbitrariness-of-children-continues-in-the-labor-ministers-district-the-ash-contractors-are-unruly/?utm_source=rss&utm_medium=rss&utm_campaign=the-arbitrariness-of-children-continues-in-the-labor-ministers-district-the-ash-contractors-are-unruly https://mknewshub.com/the-arbitrariness-of-children-continues-in-the-labor-ministers-district-the-ash-contractors-are-unruly/#respond Mon, 08 Jul 2024 16:00:07 +0000 https://mknewshub.com/?p=87252 कोरबा। चोर चोरी से जाए पर हेराफेरी से न जाये कुछ यही हाल राखड़ ठेकेदारों का है। कांग्रेस सरकार के सरताज रहे केके का राखड़ में नाम खूब चला हालांकि केके के नाम पर कोरबा के ही सफेदपोशों ने खूब काला पीला किया। केके बताया जाता था पूर्व सीएम का करीबी था उससे दोस्ती कर …

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कोरबा। चोर चोरी से जाए पर हेराफेरी से न जाये कुछ यही हाल राखड़ ठेकेदारों का है। कांग्रेस सरकार के सरताज रहे केके का राखड़ में नाम खूब चला हालांकि केके के नाम पर कोरबा के ही सफेदपोशों ने खूब काला पीला किया। केके बताया जाता था पूर्व सीएम का करीबी था उससे दोस्ती कर कइयों सेठ अरबपति बन गए केके को जो मिला सो मिला ही कोरबा की जनता को भी उससे बहुत कुछ मिला फ़िज़ा में घुला हुआ ज़हर ! एक पुरानी कहावत है बस खिलाड़ी बदल गया बाकी खेल पुराना है ! कुछ इसी तरह कोरबा में राखड़ घोटाले का खेल खेला जा रहा है खिलाड़ी वही है लेकिन चेहरे नए हो गए है वहीं कोरबा में केके की तर्ज पर ही एक नया रहनुमा तैयार हो संरक्षक बन गया है हालांकि रहनुमा ने चेहरे पर मोटा नकाब पहन रखा है लेकिन समझदार को इशारा काफी है। खैर स्टोरी पर वापस आते है

मौजूदा श्रम मंत्री लखनलाल देवांगन ने जनता से चुनाव के दौरान उनके दर्द को समझते चुनाव जीतने के बाद इस समस्या को दूर करने का वादा भी किया। जीत के बाद श्रम मंत्री अपने वादे पर कुछ समय तक खरे भी उतरे बेतरतीब और नियमों को ताक पर रखने वाले राखड़ ठेकेदार सुशासन की सरकार में सहमे हुए से लगे। लेकिन ये डर ज्यादा दिन तक का नहीं था बालको अपने स्वभाव के मुताबिक फिर से नियम विरोधी कार्य करवाने लगा। बालको ने ठेकेदारों को जल्दी राख उठाव का दबाव बनाया फिर क्या था राखड़ ठेकेदार फिर से बेलगाम हो गए। क्या बिना फिटनेस, बिना बीमा, परमिट, बिना तिरपाल ढके वाहनों से जहां तहां राख फेंकने का दुस्साहस जारी हो गया। इधर जिला प्रशासन यदा-कदा कार्रवाई तो करता है लेकिन बालको और राखड़ ठेकेदार भी ढीठ है तभी तो हर कार्रवाई के बाद दबाव बनाने की कोशिश और बाद में ढाक के तीन पात वाली कहानी जारी रहती है। हाल ही में राखड़ के मामलों में 4 लाख से अधिक के जुर्माने की कार्रवाई की गई लेकिन ये कार्रवाई भी नाकाफी है क्योंकि प्रशासन ने इससे पहले पर्यावरण विभाग और राजस्व अमले के साथ कार्रवाई करवा चुकी है। ये कार्रवाई और ऊपर मौजूद तस्वीरें ये बताने को काफी है कि कोरबा में राखड़ कैसे फ़िज़ा में जहर घोल रहा है। लो लाइन का बहाना बना बालको राखड़ का खेला खेल रहा है वहीं एनटीपीसी को रेजिंग पर रेजिंग की अनुमति मिल रही तो बालको-सीएसईबी को क्यों नहीं किसको उपकृत करने की कवायद हो रही और कौन गरीबों के सांसो में जहर डाल खुद अमीर हुए पड़ा है।

जमीन, हवा और पानी से लेकर बच्चों के स्कूल प्रांगण तक, जहां भी नजर जाए दिखेगा बालको का राखड़ 

वेदांता समूह की कंपनी बालको द्वारा सिर्फ अपने लाभ के लिए पूरे कोरबा जिले की जनता की जान के साथ खेल रहा है। आम नागरिक की सुरक्षा से इनका दूर दूर तक कोई सरोकार नहीं। यही वजह है जो पूरे जिले को विगत 5 वर्षों में सिर्फ राखड़ से पाट दिया गया है। आप चाहे जिस भी मार्ग या सड़क पर निकल जाएं, हर दिशा में सिर्फ राखड़ ही राखड़ पसरा दिखाई देता है। नदी-नाले, खेत-खलिहान ही नहीं, सड़कों के किनारे, शहर के बीचों बीच, कालोनी, बस्ती, कोरबा-चांपा रोड पर स्थित एसईसीएल की बंद खदान के हजारों फीट गहराई तक को पाटकर उसके ऊपर भी राखड़ का पहाड़ खड़ा कर दिया है। हल्की सी हवा चलते ही राखड़ उड़कर पूरे कोरबा शहर और आस पास के गांव व घरों में घुस आता है। कोई ऐसी जगह बची ही नहीं है, जहां की जमीन, हवा या पानी राखड़ विहीन रह गया हो। और तो और बच्चों के स्कूल के आस पास तक राखड़ फेंका गया है।

क्या अफसर, क्या नेता सबने काटी पैसों की फसल, बालको में पाया करोड़ों के ठेके का तोहफा

इस काम में राखड़ ठेकेदार ने भी जमकर पैसे बनाए है। अरबों-खरबों का खेला में कोई अधिकारी कोई नेता नहीं बचा, जिसकी जेब गरम न हुई हो। जिसे जब जहां मौका मिला, उसने इस बहती गंगा में डुबकी लगाई। इस कारण शहर और आसपास के क्षेत्रों में इन राखड़ ट्रांसपोर्ट करते दैत्याकार हेवी गाड़ियों से पांच साल में अनेक निर्दोष लोगों की जान गई। पर इन सब मौतों से बालको या वेदांता को न तो कोई फर्क पड़ा, कोई आर्थिक मदद की और ना ही इनके द्वारा दुर्घटना से हुई लोगों के मौत पर उनके परिवार की कभी सुध लेने पहुंचा। इस शहर के जनप्रतिनिधियों का भी क्या कहना है, जिन्होंने कभी भी इनका कभी विरोध दर्ज नहीं कराया। इन नेताओं के खुद के करोड़ों की ठेकेदारी तोहफे में ली और बालको प्लांट व राखड़ फेंकने का ठेका इनके नाम रहा, जो सरकार बदलने के बाद भी अब भी दूसरे जिलों के नेताओं के साथ जारी है।

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बालको में श्रमिकों के साथ अमानवीय व्यवहार – ठेकेदार और प्रबंधन की मिलीभगत से श्रमिकों की दुर्दशा, जांच में पुष्टि पर भी कार्रवाई नहीं… https://mknewshub.com/inhuman-treatment-of-workers-in-balko-no-action-taken-even-on-confirmation-of-plight-of-workers-in-collusion-with-contractor-and-management/?utm_source=rss&utm_medium=rss&utm_campaign=inhuman-treatment-of-workers-in-balko-no-action-taken-even-on-confirmation-of-plight-of-workers-in-collusion-with-contractor-and-management https://mknewshub.com/inhuman-treatment-of-workers-in-balko-no-action-taken-even-on-confirmation-of-plight-of-workers-in-collusion-with-contractor-and-management/#respond Mon, 08 Jul 2024 05:05:16 +0000 https://mknewshub.com/?p=87136 देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत और उन्नत बनाने के संकल्प में हर देशवासी निरंतर प्रयासरत है। व्यापार को बढ़ावा देने और इसे सुगम बनाने के लिए अनेक कदम उठाए जा रहे हैं। लेकिन इन व्यापार केंद्रित प्रयासों के चलते क्या श्रमिकों के मानवाधिकारों का हनन हो रहा है? यह एक महत्वपूर्ण प्रश्न है जिसे अनदेखा …

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देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत और उन्नत बनाने के संकल्प में हर देशवासी निरंतर प्रयासरत है। व्यापार को बढ़ावा देने और इसे सुगम बनाने के लिए अनेक कदम उठाए जा रहे हैं। लेकिन इन व्यापार केंद्रित प्रयासों के चलते क्या श्रमिकों के मानवाधिकारों का हनन हो रहा है? यह एक महत्वपूर्ण प्रश्न है जिसे अनदेखा नहीं किया जा सकता।

आज के इस लेख में हम इसी मुद्दे की पड़ताल एक हाल ही में प्रकाश में आई घटना के माध्यम से करेंगे।

हमारी टीम को सूचना मिली कि छत्तीसगढ़ राज्य के उद्योग एवं श्रम मंत्री के गृह जिले में स्थित एक बहुराष्ट्रीय कंपनी वेदांता के अंतर्गत कार्य करने वाले श्रमिकों को बुनियादी सुविधाएं, जैसे न्यूनतम वेतन, ESI, EPF, बोनस, अवकाश, सुरक्षा सामग्री, कैंटीन सुविधा और रेस्ट रूम जैसी बुनियादी सुविधाओं से वंचित रखा गया है। कई वर्षों से इन श्रमिकों की भेद्यता का फायदा उठाकर उन्हें काम से निकालने की धमकी देकर जबरन काम करवाया जा रहा है।

जांच में सामने आए प्रमुख तथ्य:

  1. श्रमिकों को बाल्को टाउनशिप के दैनिक रखरखाव कार्यों, जैसे साफ-सफाई, सिविल/इलेक्ट्रिकल कार्य, गार्बेज सफाई, जल व्यवस्था, सीवर क्लीनिंग आदि में ठेकेदार के माध्यम से नियोजित किया गया है।
  2. इनमें से अधिकांश श्रमिक पिछले 3 से 10 वर्षों से कार्यरत हैं
  3. श्रमिकों की भविष्य निधि राशि वेतन से काटी गई पर उसे उनके भविष्य निधि खाते में जमा नहीं किया गया।
  4. श्रमिकों को ESI (Employees’ State Insurance) की सुविधा से वंचित रखा गया।
  5. किसी भी ठेकेदार द्वारा बोनस, अवकाश नगदीकरण प्रदान नहीं किया गया।
  6. सुरक्षा सामग्री भी प्रदान नहीं की गई।
  7. रेस्ट रूम की कोई सुविधा नहीं है।
  8. कैंटीन की कोई सुविधा नहीं है।
  9. अन्य कर्मियों की भांति गेटपास न प्रदान कर भेदभाव किया जा रहा है।
  10. श्रमिकों द्वारा इन कृत्यों की शिकायत अपने श्रमिक संगठन, बाल्को कर्मचारी संघ (बी.एम्.एस) के माध्यम से जिला श्रम विभाग एवं भविष्य निधि आयुक्त एवं जिला जनदर्शन अधिकारी के समक्ष भी की गई। परन्तु कार्यवाही की सूचना अप्राप्त है।
  11. श्रमिकों द्वारा जनवरी माह में आंदोलन करने के पश्चात ठेकेदार द्वारा हाजरी कार्ड, वेतन पर्ची, सुरक्षा जूते देना प्रारंभ किया गया है, परन्तु पूर्व का बकाया भुगतान/भविष्य निधि राशि/बोनस/अवकाश नगदीकरण, गेटपास, कैंटीन सुविधा, रेस्ट रूम नहीं दिया जाकर, वेदांता प्रबंधन द्वारा मना किया गया है।
  12. सीवरेज में कार्य करने वाले श्रमिकों द्वारा बताया गया कि उन्हें गटर में उतारते वक्त आवश्यक सुरक्षा सामग्री, ऑक्सीजन तक प्रदान नहीं की जाती है।

अंतर्राष्ट्रीय मानकों, जैसे ILO कन्वेंशन 29, के अनुसार, जो भारत सरकार द्वारा भी पुष्टि किया गया है, उपरोक्त कृत्य जबरन मजदूरी (Forced Labour) की श्रेणी में आते हैं।

मानवाधिकारों के स्पष्ट उल्लंघन का कृत्य होने और शिकायतों पर भी कोई कार्यवाही न होने पर कुछ स्वाभाविक प्रश्न उठते हैं:

  1. क्या जिला श्रम विभाग, Ease of Doing Business की पॉलिसी को श्रमिकों के अधिकारों के हनन की कीमत पर लागू करना चाहता है?
  2. क्या श्रम मंत्री को अपने विभाग के अधिकारियों की व्यापारियों के साथ मिलकर श्रमिकों के अधिकारों के हनन के कृत्यों की जानकारी है?
  3. क्या भविष्य निधि विभाग इन अपराधिक कृत्यों पर रोक लगाने में अक्षम है?
  4. क्या भविष्य निधि विभाग में ट्रस्टी रहने वाले श्रमिक प्रतिनिधि इन कृत्यों पर कुछ अंकुश लगा पाएंगे?
  5. क्या वेदांता प्रबंधन को ठेकेदार के इन कृत्यों की जानकारी थी, प्रमुख नियोक्ता होने के कारण क्या वेदांता प्रबंधन भी इसमें शामिल है?
  6. क्या मानवाधिकार विभाग इस पर कड़ी कार्यवाही करेगा?

यह कुछ प्रश्न हैं जिनका उत्तर आने वाले वक्त में ही मिलेगा। फिलहाल यह एक विडंबना ही कही जा सकती है कि आजादी के अमृत महोत्सव के काल में ऐसे कृत्य अभी भी विद्यमान हैं।

आसानी से व्यापार करने की नीति ने निस्संदेह भारत के आर्थिक विकास को सुविधाजनक बना दिया है, लेकिन इसका कार्यान्वयन श्रमिकों के अधिकारों और गरिमा की कीमत पर नहीं होना चाहिए। यह महत्वपूर्ण है कि नीति निर्माता उद्यमशीलता को बढ़ावा देने और प्रगति के इंजन – श्रमिकों के हितों की रक्षा के बीच संतुलन बनाए रखें। EoDB के दुष्प्रभावों को पहचानकर और उनसे निपटने के लिए व्यावहारिक कदम उठाकर, हम एक मजबूत, अधिक न्यायपूर्ण समाज का निर्माण कर सकते हैं, जहां हर कोई भारत की आर्थिक वृद्धि से लाभ उठा सके।

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बाल्को वेतन समझौता: स्वर्णिम विरासत का दुखद अंत https://mknewshub.com/balco-wage-settlement-sad-end-to-golden-legacy/?utm_source=rss&utm_medium=rss&utm_campaign=balco-wage-settlement-sad-end-to-golden-legacy https://mknewshub.com/balco-wage-settlement-sad-end-to-golden-legacy/#respond Fri, 05 Jul 2024 17:15:26 +0000 https://mknewshub.com/?p=86810 कोरबा, 5 जुलाई 2024 – भारत एल्यूमीनियम कंपनी लिमिटेड (बाल्को), जो कभी एक गौरवशाली सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी थी, अब निजीकरण के बाद संघर्ष और विवादों के दलदल में फंस गई है। बाल्को का इतिहास विशेष एल्यूमीनियम मिश्र धातुओं के विकास और देश की रक्षा क्षमताओं को बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान के लिए जाना जाता …

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कोरबा, 5 जुलाई 2024 – भारत एल्यूमीनियम कंपनी लिमिटेड (बाल्को), जो कभी एक गौरवशाली सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी थी, अब निजीकरण के बाद संघर्ष और विवादों के दलदल में फंस गई है। बाल्को का इतिहास विशेष एल्यूमीनियम मिश्र धातुओं के विकास और देश की रक्षा क्षमताओं को बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान के लिए जाना जाता था। लेकिन अब, वेदांता समूह के अधीन, यह कंपनी कर्मचारियों के शोषण और पर्यावरणीय मुद्दों का प्रतीक बन गई है।

वेतन समझौते में गड़बड़ियाँ

बाल्को के 11वें वेतन समझौते ने कर्मचारियों और प्रबंधन के बीच तनाव को और बढ़ा दिया है। बाल्को कर्मचारी संघ (BMS) और एल्यूमीनियम कर्मचारी संघ (AITUC) ने इस समझौते को अवैध और कर्मचारी विरोधी करार दिया है। BMS का आरोप है कि वेदांता प्रबंधन ने औद्योगिक विवाद अधिनियम, 1947 के प्रावधानों का उल्लंघन करते हुए यह समझौता किया है। इसके परिणामस्वरूप, वर्तमान स्थायी कर्मचारियों की संख्या में भारी गिरावट आई है और ठेका श्रमिकों की संख्या में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है।

स्थायी कर्मचारियों की संख्या में भारी कमी

कभी 7000 स्थायी कर्मचारियों का गर्व करने वाली बाल्को अब केवल 700 स्थायी कर्मचारियों के साथ काम कर रही है। दूसरी ओर, ठेका श्रमिकों की संख्या 7000 तक पहुँच गई है। यह दर्शाता है कि बाल्को की मौजूदा कर्मचारी भर्ती नीति का उल्लंघन हो रहा है। प्रबंधन ने उत्पादन क्षमता बढ़ाने के नाम पर श्रमिकों पर अतिरिक्त दबाव डालते हुए अनुचित श्रम अभ्यास को बढ़ावा दिया है।

कैंटीन शुल्क में वृद्धि

वेतन समझौते में कैंटीन शुल्क में 20% की वृद्धि ने 7000 से अधिक कर्मचारियों को प्रभावित किया है, जबकि भत्ते में वृद्धि केवल 700 स्थायी कर्मचारियों के लिए की गई है। यह न केवल फैक्टरी अधिनियम का उल्लंघन है, बल्कि कर्मचारियों के कल्याण के प्रति प्रबंधन की उदासीनता को भी दर्शाता है। कैंटीन शुल्क में इस वृद्धि से अस्थायी और ठेका श्रमिकों पर भारी वित्तीय बोझ पड़ेगा, जिनका वेतन पहले से ही न्यूनतम है।

पर्यावरणीय और सामाजिक विवाद

निजीकरण के बाद से बाल्को कई विवादों में घिर गई है। इनमें विधानबाग इकाई और एल्युमिना रिफाइनरी का बंद होना, चिमनी का ध्वस्त होना, जंगल भूमि का अनधिकृत उपयोग, और पर्यावरणीय प्रदूषण शामिल हैं। प्रबंधन द्वारा अवैध राख डंपिंग और पर्यावरणीय मानकों का उल्लंघन कंपनी की छवि को धूमिल कर रहे हैं। स्थानीय समुदाय और पर्यावरणीय संगठनों ने बाल्को के खिलाफ कई बार विरोध प्रदर्शन किए हैं, लेकिन प्रबंधन ने इन मुद्दों को सुलझाने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया है।

अधिकारियों की असफलता

वेदांता प्रबंधन के अधीन, बाल्को की स्वर्णिम विरासत का अंत हो चुका है। प्रबंधन के उच्च अधिकारियों द्वारा जारी किए गए बयानों में भले ही उत्पादन में वृद्धि का दावा किया जा रहा हो, लेकिन कर्मचारियों और स्थानीय समुदायों के कल्याण की अनदेखी स्पष्ट रूप से दिखाई दे रही है। प्रबंधन ने कर्मचारियों पर भविष्य की उत्पादन क्षमता का बोझ डालते हुए, उन्हें अनुचित श्रम विभाजन का शिकार बना दिया है। इसके अलावा, उत्पादन प्रक्रिया में बदलाव और कर्मचारियों को किसी भी संस्था में स्थानांतरित करने का अधिकार भी अनुचित श्रम अभ्यास का हिस्सा हैं।

अनुशासनात्मक कार्यवाही का दबाव

बीएमएस संघ द्वारा उठाए गए विवाद में एक अन्य महत्वपूर्ण मुद्दा यह है कि प्रबंधन ने कर्मचारियों पर उत्पादों की गुणवत्ता के अस्वीकृति का बोझ डाल दिया है, जो अनुशासनात्मक कार्यवाही के लिए कारक उत्पन्न करते हैं। कर्मचारियों को उत्पाद की गुणवत्ता के मुद्दों के लिए जिम्मेदार ठहराया जा रहा है, जो वास्तव में प्रबंधन और उत्पादन प्रक्रिया की खामियों का परिणाम हैं। इससे कर्मचारियों में असुरक्षा और असंतोष बढ़ रहा है।

अप्रत्यक्ष रोजगार के बढ़ते मामले

बाल्को के विस्तार परियोजना के दौरान जारी EIA रिपोर्ट में दावा किया गया था कि परियोजना के पूरा होने के बाद 3000 कर्मचारियों को रोजगार मिलेगा। लेकिन वास्तविकता में, वेतन समझौते 11 में उल्लेख किया गया है कि वर्तमान कर्मी ही भविष्य के उत्पादन को प्राप्त करने के लिए प्रयास करेंगे। यह स्पष्ट संकेत है कि बाल्को प्रबंधन द्वारा प्रत्यक्ष रोजगार को अप्रत्यक्ष रोजगार में बदलने की नीति अपनाई जा रही है।

अंधकारमय भविष्य

बाल्को के श्रमिकों, स्थानीय समुदाय और स्थानीय निवासियों के लिए भविष्य अंधकारमय नजर आ रहा है। स्वर्णिम विरासत का अंत हो चुका है और अब केवल उम्मीद की जा सकती है कि आने वाला समय बाल्को के लिए कुछ बेहतर ला सकेगा। लेकिन वर्तमान परिस्थितियाँ इस उम्मीद को भी धुंधला कर रही हैं। वेदांता प्रबंधन की नीतियाँ और उनके द्वारा किए गए वादों की पूर्ति में असफलता ने कंपनी को एक संकटग्रस्त स्थिति में पहुंचा दिया है।

बाल्को का यह परिवर्तन, जहाँ एक ओर उत्पादन में वृद्धि और आर्थिक लाभ की बात की जाती है, वहीं दूसरी ओर कर्मचारियों और पर्यावरणीय मुद्दों की अनदेखी ने कंपनी की स्वर्णिम विरासत को समाप्त कर दिया है। अब देखना यह होगा कि बाल्को का भविष्य किस दिशा में जाता है और क्या यह कंपनी अपने पुराने गौरव को फिर से प्राप्त कर पाती है या नहीं ।

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जयसिंह का उपहार अब भी संभाले है नगर सरकार ! जनता कर रही है हाहाकार, नहीं फिक्र कर रही लखन और साय की सरकार… https://mknewshub.com/the-city-government-is-still-holding-the-gift-of-jaisingh-the-public-is-crying-foul/?utm_source=rss&utm_medium=rss&utm_campaign=the-city-government-is-still-holding-the-gift-of-jaisingh-the-public-is-crying-foul https://mknewshub.com/the-city-government-is-still-holding-the-gift-of-jaisingh-the-public-is-crying-foul/#respond Fri, 05 Jul 2024 12:35:49 +0000 https://mknewshub.com/?p=86762 कोरबा। सड़कों पर जिंदगी और मौत से जद्दोजहद करना तो जैसे कोरबा के नागरिकों की नियती बन गई है। पूर्व में कांग्रेस सरकार के मंत्री रहे जयसिंह अग्रवाल और नगर निगम के मौजूदा मेयर राजकिशोर प्रसाद ने लील जाने को इंतजार करते ये खतरों से भरे रास्ते कोरबा के राहगीरों को उपहार में दिए थे। …

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कोरबा। सड़कों पर जिंदगी और मौत से जद्दोजहद करना तो जैसे कोरबा के नागरिकों की नियती बन गई है। पूर्व में कांग्रेस सरकार के मंत्री रहे जयसिंह अग्रवाल और नगर निगम के मौजूदा मेयर राजकिशोर प्रसाद ने लील जाने को इंतजार करते ये खतरों से भरे रास्ते कोरबा के राहगीरों को उपहार में दिए थे। तब इन्हीं सड़कों पर खूब सियासत भी हुई और भाजपा ने 2023 के चुनाव में इसे भुनाया भी। दुर्भाग्य तो यह है कि कोरबा विधानसभा में ही मौजूद इन जानलेवा गड्ढों को कोरबा के ही विधायक और वर्तमान साय सरकार के मंत्री लखनलाल देवांगन भी यूं देखते गुजर जाते हैं, मानों वे भी कांग्रेस शासन से मिली इस विरासत को आगे बढ़ाने की प्लानिंग लेकर चल रहे हैं। तभी तो, पावरसिटी कोरबा से लेकर पूरे प्रदेश में भाजपा की सरकार काबिज हुए 205 दिन गुजर जाने के बाद भी कोरबा की सबसे जर्जर इन दो सड़कों की नैया पार नहीं लग सकी। आलम यह है कि बारिश के इस मौसम में इन सड़कों पर भरे पानी की गहराई इतनी हो चली है कि सड़क की जगह छोटी नहर का निर्माण कर लें, तो लोगों के लिए नाव चलाकर राहत मिलने की संभावना बन सकती है। तभी तो कहा जा रहा है कि

“ये नेपाल का पहाड़ी रास्ता नहीं, कोरबा की सड़क है सरकार, कांग्रेस के पूर्व मंत्री और मौजूदा मेयर ने दिया था उपहार, अब इस विरासत को आगे बढ़ाती दिख रही लखन भैया की साय सरकार, जरा संभलकर चलें नहीं तो…बेवक्त बन जाएंगे शिकार”

तस्वीर में दिखाई दे रही ये सड़कें कोरबा शहर से बाहर आते ही सर्वमंगला-कुसमुंडा-इमलीछापर और बालको के परसाभांठा चैक से रुमगरा तक जाने वाले मार्ग की है। सड़कों की हालत देखकर अब जनता के मन में एक ही सवाल उठता है कि आखिर कब सड़कों की सूरत बदलेगी। खासतौर पर जिले के नदी पार कुसमुंडा क्षेत्र की सड़कों का बेहद बुरा हाल है। अधिकारी एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डालकर खुद को बचाने की कोशिश कर रहे हैं। सर्वमंगला मंदिर से कुसमुंडा जाने वाले मार्ग पर आए दिन लंबा जाम लगा जाता है। करोड़ों की लागत से इसमें फोरलेन का निर्माण कार्य अब तक अधूरा है। लापरवाही की वजह से काम धीमी गति से चल रहा है और इस सड़क के ऐसे हालात पिछले पांच सालों से बने हुए हैं। कुसमुंडा पहुंचने तक पूरा मार्ग बहुत ही जर्जर है। लोगों को इस मार्ग पर जान हथेली पर रखकर चलने मजबूर होना पड़ रहा है।

बारिश में कीचड़, धूप में धूल, अफसर-नेता मस्त और डेढ़ लाख आबादी हलकान

इस मार्ग पर बारिश होने पर पानी भर जाता है, जिससे कीचड़ की परेशानी होती है। धूप निकलने पर धूल उड़ने से भी आम जनता के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है। इस मार्ग की बदहाली को लेकर लोग काफी आक्रोशित हैं। एक ओर कोयला परिवहन के लिए विभिन्न कंपनियों के भारी वाहन दौड़ाने वाले एसईसीएल द्वारा खदानों का संचालन केवल मुनाफा कमाने के लिए किया जा रहा है, जबकि नगर निगम की दिलचस्पी केवल टैक्स वसूलने तक सीमित है। अधिकारियों के साथ कई बार बातचीत के बावजूद, स्थानीय लोग और उपनगरीय क्षेत्र बांकी मोंगरा की जन समस्याओं को हल करने के लिए न तो अफसर गंभीर दिख रहे हैं और न ही क्षेत्र के जनप्रतिनिधि ही कोई खैर लेने को तैयार दिख रहे हैं। सड़क चैड़ीकरण का कार्य अधूरा पड़ा हुआ है, लेकिन बारिश के दिनों में सड़क में कीचड़ ही कीचड़ देखा जा सकता है। जिससे नगर निगम के पश्चिम क्षेत्र के लगभग डेढ़ से दो लाख की आबादी प्रभावित होती है। जिला मुख्यालय तक पहुंचने के लिए उन्हें काफी जद्दोजहद का सामना करना पड़ता है।

अब पढ़िए देश की सबसे बड़ी एल्युमिनियम उत्पादक कंपनी बालको की सड़कों का हाल

परसाभांठा चैक से रूमगड़ा होते हुए मेजर ध्यानचंद चैक तक की यह सड़क बालको के औद्योगिक सामाजिक दायित्वों के तहत उनके अधीन है। देश की सबसे बड़ी एल्युमिनियम उत्पादक कंपनी बालको की मनमानी थमने की बजाय और भी बढ़ती दिखाई दे रही है। पूर्ववर्ती कांग्रेस की सरकार में तो मानों बालको का दिमाग सातवें आसमान पर था, जो एल्युमिनियम उत्पादन के विस्तार के लिए जिले में ही 10,000 करोड़ रुपये का निवेश कंपनी द्वारा किया जा रहा। कंपनी द्वारा एल्युमिनियम उत्पादन की दिशा में नित नए कीर्तिमान गढ़े जा रहे हैं, लेकिन, जिले के लोगों के लिए ठीक से एक सड़क तक नहीं दे पा रही है। रूमगड़ा से बालको परसाभांठा तक जाने वाले सड़क मार्ग पूरी तरह से उखड़ चुका है। गड्ढे इतने बड़े हैं कि यदि कोई स्कूटी चालक इन गड्ढों में उतर जाए, तो वह निश्चित रुप से गंभीर दुर्घटना से नहीं बच सकता। प्रबंधन लगातार जिले में जनहित वाले कार्यों की उपेक्षा कर, अपनी मनमानी पर उतारू है। 

विकास कार्य का ढिंढोरा पीट रहा बालको और दुर्घटना के शिकार हो रहे आम लोग

इस मार्ग से दर्री-जमनीपाली क्षेत्र के भी लगभग डेढ़ लाख लोग सफर करते हैं। बालको जाने के लिए यही एक मात्र विकल्प है। इस सड़क से नहीं जाने पर लोगों को 10 से 12 किलोमीटर का अतिरिक्त फासला तय करना पड़ रहा है। वर्तमान में यह सड़क इतनी जर्जर है कि लोग इससे सफर करने से बचते हैं। बालको प्लांट से उत्सर्जित राख परिवहन इसी सड़क के जरिए होता है। बालको के ही भारी वाहन इस सड़क से आवागमन करते हैं। जिससे सड़क पूरी तरह से उखड़ चुकी है। बारिश होने पर यहां कीचड़ जम जाता है, तो सूखे मौसम में धूल उड़ता है। यह बेहद दुर्भाग्यजनक स्थिति है। बालको के 51 फीसदी शेयर का निजीकरण करने के बाद केवल 49 फीसदी शेयर ही सरकार के पास है। यह एक प्राइवेट सेक्टर की सार्वजनिक उपक्रम है। जिसका यह दायित्व है कि जिले में वह सामाजिक कार्यों को पूर्ण करें और आसपास के लोगों का जीवन स्तर उठाने का काम करें। लेकिन, बालको ने सदैव इसके विपरीत ही काम किया है। बालको के अधिकारी विकास कार्य कराने का ढिंढोरा जरूर पीटते हैं पर वास्तविकता इसके ठीक विपरीत है।

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बाल्को प्रबंधन पर उठे सवाल: राज्यसभा में गूंजे आरोप, कार्यवाही का इंतजार बरकरार https://mknewshub.com/questions-raised-on-balco-management-allegations-echoed-in-rajya-sabha/?utm_source=rss&utm_medium=rss&utm_campaign=questions-raised-on-balco-management-allegations-echoed-in-rajya-sabha https://mknewshub.com/questions-raised-on-balco-management-allegations-echoed-in-rajya-sabha/#respond Fri, 05 Jul 2024 06:56:00 +0000 https://mknewshub.com/?p=86959 भारत के लोकतांत्रिक ढांचे और उसकी प्रभावशीलता पर गंभीर सवाल उठते हैं जब महत्वपूर्ण मुद्दों पर कार्यवाही नहीं होती। छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले स्थित भारत एल्युमिनियम कंपनी (बाल्को), जो एक निजी बहुराष्ट्रीय कंपनी द्वारा संचालित है और जिसमें भारत सरकार की 49% हिस्सेदारी है, ऐसे ही एक विवाद का केंद्र बनी है। राज्यसभा सांसद सुश्री …

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भारत के लोकतांत्रिक ढांचे और उसकी प्रभावशीलता पर गंभीर सवाल उठते हैं जब महत्वपूर्ण मुद्दों पर कार्यवाही नहीं होती। छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले स्थित भारत एल्युमिनियम कंपनी (बाल्को), जो एक निजी बहुराष्ट्रीय कंपनी द्वारा संचालित है और जिसमें भारत सरकार की 49% हिस्सेदारी है, ऐसे ही एक विवाद का केंद्र बनी है।

राज्यसभा सांसद सुश्री सरोज पाण्डेय (छत्तीसगढ़) ने बाल्को प्रबंधन के द्वारा भारत सरकार को दिए जाने वाले मुनाफे की हिस्सेदारी के संदर्भ में राज्यसभा में प्रश्न संख्या 2522 के तहत प्रश्न किया था, जिसका उत्तर केन्द्रीय कोयला एवं खान मंत्री श्री प्रहलाद जोशी द्वारा प्रश्न संख्या 2523 के माध्यम से दिया गया था। उत्तर में उल्लेखनीय था कि कोविड काल में कंपनी का मुनाफा काफी बढ़ा था। फिर भी, बाल्को के प्रबंधन और वित्तीय पारदर्शिता पर सवाल उठते रहे हैं।

सुश्री पाण्डेय ने पुनः अगस्त 3, 2022 को राज्यसभा में शून्य काल में मुद्दा उठाया। इस विषय से कई सांसदों ने अपने आपको सम्बद्ध किया, जिनमें:

  • श्रीमती फूलो देवी नेताम (छत्तीसगढ़)
  • डॉ. अमर पटनायक (ओडिशा)
  • डॉ. फौज़िया खान (महाराष्ट्र)
  • डॉ. संतनु सेन (पश्चिम बंगाल)
  • श्री संजय सिंह (दिल्ली)
  • श्री अबीर रंजन बिस्वास (पश्चिम बंगाल)
  • डॉ. सस्मित पात्रा (ओडिशा)

शामिल हैं।

सुश्री सरोज पाण्डेय द्वारा उठाए गए विषय और जाँच एवं कार्यवाही की मांग थी:

“मैं आज आपके माध्यम से छत्तीसगढ़ के कोरबा में भारत एल्युमिनियम कंपनी की ओर सरकार का ध्यान आकर्षित करना चाहती हूँ। भारत एल्युमिनियम कंपनी आज भारत देश की सबसे महत्वपूर्ण कंपनी है और सबसे बड़े उत्पादकों में इसकी गिनती होती है। वर्ष 2000 में भारत की विनिवेश नीति के तहत स्टरलाईट कंपनी को इस कंपनी का 51 प्रतिशत हिस्सा बेच दिया गया था। आज इसकी हिस्सेदारी 51 प्रतिशत है। जब यह 51 प्रतिशत इस कंपनी के पास पहुंचा, तब इसका उत्पादन एक लाख टन था और आज 5 लाख टन उत्पादन होने के बाद भी यह कंपनी वहाँ के स्थानीय लोगों के साथ अन्याय कर रही है। जब इस कंपनी का विस्तार हुआ, तब विस्तार के लिए जो जमीन ली गई, उस जमीन को लेकर सुप्रीम कोर्ट में मामला लंबित है। इन्होनें स्थानीय शासन को अंधेरे में रख कर जमीन का आबंटन कराया। मैं सरकार से मांग करना चाहती हूँ कि इन्हें जो जमीन का आबंटन किया गया है, वह स्थानीय शासन द्वारा अवैध तौर पर किया गया है, स्थानीय लोगों को उसका कोई लाभ नहीं हो रहा है। इसलिए इस कंपनी की जाँच होनी चाहिए।”

इसके अतिरिक्त, सुश्री पाण्डेय ने यह भी उल्लेख किया कि:

  1. स्थानीय लोगों को आईटीआई के तहत प्रशिक्षण दिया जाता है, लेकिन उन्हें स्थायी रोजगार नहीं दिया जाता।
  2. बाल्को के दैनिक कार्यों को निजी ठेकेदारों को दिया गया है।
  3. सीएसआर (कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी) के तहत कंपनी द्वारा किए जाने वाले कार्यों को ऑडिट रिपोर्ट में घाटे में दिखाया जाता है।

इस मामले की गंभीरता इस तथ्य से भी स्थापित होती है कि इसे आठ राज्यसभा सांसदों द्वारा सदन में उठाया गया है, जो लगभग पाँच करोड़ लोगों का प्रतिनिधित्व करते हैं।

मूल प्रश्न उठते हैं:

  1. क्या देश के आठ सांसदों/पाँच करोड़ लोगों के विषय को गंभीरता से लिया गया?
  2. आंकड़े और तथ्य सब होने के बाद भी क्या कार्यवाही हुई?
  3. क्या कार्यवाही की सूचना सांसदों को दी गई?

इन प्रश्नों के उत्तर अभी तक अप्राप्त हैं। उम्मीद है कि लोकतंत्र के मूल ढांचे के रक्षकों को कहीं अर्थतंत्र के अवतार की लंका का सोने का दीमक न लगा हो, ताकि हमारे महान भारत का लोकतंत्र सिर्फ वाक्य नहीं, एक सोच, पहचान और सिद्धांत के वजूद में स्थापित रहे।

भारत सरकार को दिया गया लाभांश

क्रमांक वित्तीय वर्ष मुनाफा/नुकसान (करोड़ में)
1 2021-22 2736 NIL
2 2020-21 1050 NIL
3 2019-20 (-)117 NIL
4 2018-19 573 NIL
5 2017-18 171 NIL

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