chhattisgarh election Archives - MK NEWS HUB https://mknewshub.com/tag/chhattisgarh-election/ Thu, 25 Jul 2024 02:11:20 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.8.1 https://mknewshub.com/wp-content/uploads/2025/06/cropped-IMG-20240925-WA0017-1-32x32.jpg chhattisgarh election Archives - MK NEWS HUB https://mknewshub.com/tag/chhattisgarh-election/ 32 32 स्वाभिमान श्रमिक संघ के अस्तित्व में आते ही भयभीत हुआ बालको मैनेजमेंट ! हिटलरशाही तरीके से किया ये काम https://mknewshub.com/as-soon-as-the-swabhiman-shramik-sangh-came-into-existence-the-child-management-got-scared-and-did-this-work-in-a-hitlerite-manner-2/?utm_source=rss&utm_medium=rss&utm_campaign=as-soon-as-the-swabhiman-shramik-sangh-came-into-existence-the-child-management-got-scared-and-did-this-work-in-a-hitlerite-manner-2 https://mknewshub.com/as-soon-as-the-swabhiman-shramik-sangh-came-into-existence-the-child-management-got-scared-and-did-this-work-in-a-hitlerite-manner-2/#respond Thu, 25 Jul 2024 02:11:18 +0000 https://mknewshub.com/?p=88883 कोरबा – बालको में एक ताकत बड़ी तेजी से उभरी है वो है सिंह साहब ! अपने आकाओं को खुश करने के फिराक में यहां हर उस परंपरा को तारतार किया जा रहा है,और वेदांता के मानवाधिकारों को शत-प्रतिशत पालन करने के दावों को जमीनी स्तर पर खत्म किया जा रहा है ,जिसकी मिसाल तैयार …

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कोरबा – बालको में एक ताकत बड़ी तेजी से उभरी है वो है सिंह साहब ! अपने आकाओं को खुश करने के फिराक में यहां हर उस परंपरा को तारतार किया जा रहा है,और वेदांता के मानवाधिकारों को शत-प्रतिशत पालन करने के दावों को जमीनी स्तर पर खत्म किया जा रहा है ,जिसकी मिसाल तैयार कर अन्य संयंत्र के श्रमिक अपने हक़ को पाते थे, लेकिन अब यहां श्रमिकों को अपने हक़ के लिए ही जद्दोजहद करना पड़ रहा है। ताज़ा मामला स्वाभिमान श्रमिक संघ के पंजीयन से जुड़ा हुआ है। बालको में श्रमिक विरोधी गतिविधियों के जारी होने और प्रमुख श्रमिक संगठनों के सिंह साहब और एच आर अधिकारियों से उपकृत होने के फेर में मुखर नहीं होने के कारण बालको संयंत्र में कार्यरत जागरूक श्रमिकों ने एक नए श्रमिक संगठन का सृजन किया। काम के मुताबिक नाम तय किया गया “स्वाभिमान श्रमिक संघ” बैठक कर विधिवत पंजीयन हेतु आवेदन भी कर दिया गया लेकिन जैसे ही ये बात सिंह साहब और बालकों एच आर अधिकारियों तक पहुंची वो तिलमिला उठे पहले अपने पॉलिटिकल इनफूएन्स का इस्तेमाल कर पंजीयन कार्रवाई की राह में रोड़े अटकाने लगे, उससे भी मन नहीं भरा तो हिटलरशाही अपनाते हुए संघ के मुख्य पदाधिकारी दिनेश सिंह का तबादला राज्य से बाहर अपनी दूसरी ईकाई बैंगलोर में कर परेशान करने लगे। जबकि कर्मियों के स्थानांतरण को लेकर विवाद स्थानीय संरधान अधिकारी के पास लंबित है, एवं प्रावधानों के अनुसार, विवाद पर सुनवाई के लंबित रहने पर, किसी भी कर्मी का स्थानांतरण, बिना संराधान अधिकारी की अनुमति के करना, अविधिक है|इसकी सूचना संरधान अधिकारी को भी दी गई, परंतु उनके द्वारा स्थानांतरण रोकने के लिए कोई आदेश प्रबंधन को जारी नहीं किया गया|बात यहीं खत्म नहीं हुई, बालकों के एच आर अधिकारियों द्वारा श्रमिक संगठन के नेतृतवकर्ता को बुला कर धमकाया गया कि वो लिख कर दे कि वह किसी भी श्रमिक संगठन में नहीं रहेगा और श्रमिक संगठन का सृजन नहीं करेगा| पंजीयक से मांगी जानकारीउपरोक्त मामले में स्वाभिमान श्रमिक संघ के अध्यक्ष तेजस्वरी सिंह ने पंजीयक को चिट्ठी लिख बालको के क्रियाकलापों के सम्बंध में जानकारी देते हुए , संघ के पदाधिकारी का बालको से द्वेष पूर्ण स्थानांतरण करने को लेकर और पंजीयन नहीं करने को लेकर उनको जिम्मेदार ठहराया है। तेजस्वरी सिंह ने पंजीयन क्यों नहीं किया जा रहा है इसके लिए 3 दिन में लिखित जानकारी चाही है।दागी श्रमिक पदाधिकारी कर रहे है राज़स्वाभिमान श्रमिक संघ के पदाधिकारियों ने बताया कि कुछ समय पहले जिन श्रमिक पदाधिकारियों पर पैसे लेकर नौकरी लगाने के नाम पर एफआईआर दर्ज हुई थी वही दागी श्रमिक नेता अब सिंह साहब के भरोसे राज़ कर रहे है और सिंह साहब का उनको उपकृत करने के बदले में श्रम कानून को हर रोज धता बता रहे है।

इसलिए ही स्वाभिमान श्रमिक संघ की बालको में नितांत आवश्यकता है जिससे श्रमिकों के हक़ को मारने वालों के विरुद्ध आवाज बुलंद की का सके।

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बालको के अवैध लेबर हटमेंट से बना मौत का खतरा, क्या बड़े हादसे के बाद जाएगा नगर प्रशासन ? https://mknewshub.com/there-is-a-danger-of-death-due-to-illegal-labor-transportation-of-children-will-the-city-administration-go-after-a-major-accident/?utm_source=rss&utm_medium=rss&utm_campaign=there-is-a-danger-of-death-due-to-illegal-labor-transportation-of-children-will-the-city-administration-go-after-a-major-accident https://mknewshub.com/there-is-a-danger-of-death-due-to-illegal-labor-transportation-of-children-will-the-city-administration-go-after-a-major-accident/#respond Mon, 15 Jul 2024 13:35:02 +0000 https://mknewshub.com/?p=87984 कोरबा: बालको और उसकी सहियोगी ठेका कंपनियों द्वारा कोरबा के मुख्य मार्ग में अवैध बैचिंग प्लांट और लेबर हटमेंट का निर्माण किया गया है। ये अवैध हटमेंट ही मौत की बिल्डिंग बनकर खतरा पैदा कर रहा है। बालको परियोजना के लिए अन्य राज्यों से हजारों मजदूरों को लाया गया है, जिन्हें अवैध तरीके से बने …

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कोरबा: बालको और उसकी सहियोगी ठेका कंपनियों द्वारा कोरबा के मुख्य मार्ग में अवैध बैचिंग प्लांट और लेबर हटमेंट का निर्माण किया गया है। ये अवैध हटमेंट ही मौत की बिल्डिंग बनकर खतरा पैदा कर रहा है। बालको परियोजना के लिए अन्य राज्यों से हजारों मजदूरों को लाया गया है, जिन्हें अवैध तरीके से बने तीन मंजिला लेबर हटमेंट में रखा गया है। यह निर्माण असुरक्षित है और मजदूरों के सिर पर हमेशा मौत का खतरा बना रहता है। संबंधित विभाग कुंभकरण की नींद में सोया हुआ है।

ये बैचिंग प्लांट ACC India, KEC International, और L&T जैसी नामी कंपनियों द्वारा स्थापित किए गए हैं। भारत एल्युमीनियम कंपनी (बालको) के एल्युमीनियम विस्तार परियोजना के तहत इन अवैध प्लांट्स का निर्माण हुआ है। इसके चलते रोजाना रास्ते में भारी गाड़ियों का जाम लगता है और दुर्घटनाओं की संभावना बढ़ जाती है। नगर निगम कोरबा ने इन प्लांट्स पर 7 करोड़ रुपये से अधिक का जुर्माना लगाया है, लेकिन वह इसे वसूलने में असमर्थ है। नगर निगम के ताले तोड़कर इन कंपनियों द्वारा अवैध संचालन जारी है।

नियमों को दरकिनार कर हो रहा संचालन

औद्योगिक सुरक्षा और स्वास्थ्य विभाग से अनुमोदन के बिना इन बैचिंग प्लांट्स का संचालन हो रहा है। संबंधित विभाग की निष्क्रियता कोरबा की जनता के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है। बैचिंग प्लांट स्थापित करने के लिए छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल से पर्यावरण स्वीकृति लेना आवश्यक है, लेकिन इन कंपनियों ने बिना स्वीकृति के अवैध प्लांट स्थापित कर दिए हैं। पर्यावरण विभाग की चुप्पी भी चिंता का विषय है।

अवैध रेत का गोरखधंधा

कोरबा और जांजगीर-चांपा जिले से प्रतिदिन 40-50 हाइवा से रेत बालको के अवैध बैचिंग प्लांट में पहुंचाई जा रही है। माइनिंग विभाग की निष्क्रियता के कारण सरकार को करोड़ों रुपये का नुकसान हो रहा है। सीएसईबी ढेंगुरनाला के पास फेंसिंग का कार्य कर रहा है, लेकिन बालको द्वारा कब्जा की गई सैकड़ों एकड़ भूमि अधिकारियों को नहीं दिखती। CSEB के अधिकारी मौन हैं और अवैध बैचिंग प्लांट्स को लेकर कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं।

नगर निगम कोरबा और संबंधित विभाग कब जागेंगे और इन अवैध निर्माणों पर कार्रवाई करेंगे, यह सवाल अभी भी अनुत्तरित है।

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मंत्री जी देखिये आपके रहते बालको कर रहा बड़ा दुस्साहस ! आपके जिले में बालको एल्युमिनियम विस्तार परियोजना बनी अवैध कारिदों का केंद्र https://mknewshub.com/minister-see/?utm_source=rss&utm_medium=rss&utm_campaign=minister-see https://mknewshub.com/minister-see/#respond Tue, 09 Jul 2024 13:00:00 +0000 https://mknewshub.com/?p=87336 कोरबा, छत्तीसगढ़ – कोरबा जिले के बालको नगर स्थित भारत एल्युमिनियम संयंत्र में स्मेल्टर विस्तार परियोजना में गंभीर अनियमितताएं सामने आई हैं। ये अनिमित्ताएं वहां हो रही है जहां से चुनकर श्रम एवं उद्योग मंत्री लखनलाल देवांगन आते है। मंत्री जी ने कड़े शब्दों में प्रबंधन को अपनी सीमा में रहने की चेतावनी भी दे …

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कोरबा, छत्तीसगढ़ – कोरबा जिले के बालको नगर स्थित भारत एल्युमिनियम संयंत्र में स्मेल्टर विस्तार परियोजना में गंभीर अनियमितताएं सामने आई हैं। ये अनिमित्ताएं वहां हो रही है जहां से चुनकर श्रम एवं उद्योग मंत्री लखनलाल देवांगन आते है। मंत्री जी ने कड़े शब्दों में प्रबंधन को अपनी सीमा में रहने की चेतावनी भी दे रखी है लेकिन इस चेतावनी का कोई असर नहीं दिख रहा है। बालको अपने विस्तार परियोजना के लिए सारे नियम कायदे ताक पर रख रहा है जिम्मेदार विभाग पत्र लिख खानापूर्ति भी कर रहा है लेकिन ये सब ढाक के तीन पात वाली कहानी ही साबित हो रही है। यहां अवैध रूप से वनभूमि-सीएसईबी की भूमि पर कब्जा, अवैध पेड़ कटाई समेत चोरी के सामान से नई परियोजना की बुनियाद रखी जा रही है इस कवायद में जनता के हक के करोड़ो रूपये बालको गबन करने के फिराक में है बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हो रही।

सरकारी विभागों में पत्र इस बात की साफ गवाही देते है कि कैसे यहां गड़बड़ झाला किया जा रहा है अकेले सिर्फ ब्लीचिंग प्लांट की अनुमति के मामले में लगभग 7 करोड़ रुपये नगर पालिक निगम को देने है बावजूद अब तक राशि नहीं दी गई है। विभाग पत्र तो लिखते है लेकिन सिंह साहब का प्रभाव यहां कार्रवाई करने की अनुमति नहीं देता है यही हाल स्थानीय नेताओं तक का है सत्तासीन नेताओ के अलावा विपक्ष भी कोई मुद्दा नहीं उठा रहा है मामला यहां पर्यावरणीय नुकसान के अलावा उन करोड़ो रूपये का है जो सरकार के खजाने में जाने से लोगो के हक में कई विकास कार्य हो सकते है लेकिन यहां तो जेब कहीं और भरी जा रही है हम आपको विस्तार परियोजना से जुड़ी गड़बड़ियों के कुछ अंश बताते है।

अवैध निर्माण और भूमि अतिक्रमण:

बालको की अल्युमिनियम विस्तार की यह परियोजना 5.1 लाख टन प्रति वर्ष (LTPA) क्षमता की है, जिसकी पर्यावरण स्वीकृति 22 अप्रैल 2022 को मिली थी। हालांकि, बालको प्रबंधन, पूर्व विस्तार परियोजना प्रमुख मनीष जैन, और पूर्व सीईओ अभिजीत पति ने पर्यावरण स्वीकृति प्राप्त होने से पहले ही निर्माण कार्य शुरू कर दिया था।


परियोजना के निर्माण का ठेका भारत सरकार की अंडरटेकिंग ब्रिज एंड रूफ कंपनी और ग्रीन एनोड प्लांट का ठेका KEC International कंपनी को दिया गया था दावा है कि ब्रिज एंड रूफ कंपनी 2023 में अधूरा काम छोड़ कर वापस चली गई, जबकि लोग कहते है कंपनी को फोर्सफुली भगाया गया है मामला कोर्ट भही गया। इधर KEC International अभी भी कार्य कर रही है। परियोजना का विस्तार संयंत्र परिसर की प्रस्तावित भूमि से परे जाकर सैकड़ों एकड़ भूमि पर पेड़ों की कटाई कर किया जा रहा है, जिसके लिए कोई अनुमति नहीं ली गई है। पर्यावरण स्वीकृति के दौरान यह कहा गया था कि संयंत्र परिसर के बाहर कोई भी कार्य नहीं किया जाएगा। बावजूद इसके, बालको प्रबंधन और सहयोगी ठेका कंपनियों KEC International, ACC India, और L&T ने CSEB की शासकीय भूमि पर बड़े झाड़ के जंगल मट की भूमि पर कई एकड़ भूमि में अवैध कब्जा कर सीमेंट बैचिंग प्लांट स्थापित कर दिया है। नगर निगम कोरबा द्वारा इन अवैध बैचिंग प्लांट्स पर ताला लगाया गया था, लेकिन वह ताला कैसे खुल गया, यह आश्चर्य का विषय है।

अवैध रेत परिवहन और सप्लाई:


कोरबा जिले और आस-पास के जिलों से अवैध रेत खनन, भंडारण और परिवहन कर ACC India, KEC International, और L&T में भारी मात्रा में चोरी की रेत इन बैचिंग प्लांट्स में खपाई जा रही है। इस रेत चोरी की बात पर इसलिए भी जोर पड़ता है क्योंकि ये पूरा खेल रात के अंधेरे में खेला जाता है रेत डंप करने पहुंचे किसी भी वाहन के पास रॉयल्टी पर्ची नहीं होती है लेकिन बाद में पर्चियाँ सिंह साहब के आशीर्वाद से जुगाड़ ली जाती है। इससे छत्तीसगढ़ सरकार को भारी राजस्व का नुकसान उठाना पड़ रहा है। रोजाना सैकड़ों ट्रकों के माध्यम से छत्तीसगढ़ के नदी-नालों से अवैध रूप से रेत निकाली जा रही है। माइनिंग, राजस्व, पुलिस किसी का इस अवैध खेल में जोर नहीं चल रहा है समझा जा सकता है दबाव का स्तर क्या होगा !

बालको चिमनी हादसा:
स्मेल्टर विस्तार परियोजना में सुरक्षा के गंभीर मुद्दे हैं। बालको संयंत्र में पहले भी एक चिमनी हादसा हुआ था जिसमें सैकड़ों निर्दोष लोगों की जान गई थी। वर्तमान विस्तार परियोजना में भी बड़े-बड़े क्रेन स्ट्रक्चर और ऊंचाई वाले कार्य दिन भर चलते रहते हैं, जिससे फिर से हादसे की आशंका बनी रहती है। अगर कोई हादसा होता है, तो जिम्मेदार कौन होगा? क्योंकि गुणवक्ता के साथ समझौता किसी भी निर्माण को कमजोर करता है।

जांच और कार्रवाई की मांग:
इन गंभीर आरोपों को देखते हुए, जिला प्रशासन और संबंधित सरकारी एजेंसियों से इन अवैध कार्यों की गहन जांच और उचित कार्रवाई की मांग की जा रही है। स्थानीय जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों को इस मामले में सक्रियता दिखानी चाहिए और सुनिश्चित करना चाहिए कि सभी पर्यावरणीय और कानूनी नियमों का पालन हो रहा है। इस प्रकार के अवैध कार्यों को रोकने के लिए स्थानीय जनता और श्रमिक संगठनों को भी जागरूक और सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए। इन मुद्दों का निस्संदेह जांच होकर बड़ी कार्यवाही होनी चाहिए।

बने रहे ग्राम यात्रा छत्तीसगढ़ न्यूज नेटवर्क के साथ जल्द ही परत दर परत सभी भ्रष्टाचार में लिप्त लोगों को करेंगे बेनकाब…
अवैध कार्य और कंपनी की मनमानी को सभी पुख्ता सबूतों के साथ लाएंगे जनता के दरबार में। सरकार को जगाने में आपकी भूमिका रहेगी खास…

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राजकिशोर के महापौर बनते ही कोरबा नगर निगम में भ्रष्टाचार और अव्यवस्था का बोलबाला, ठेकेदार से हमाल तक सब हलाकान, जनता त्रस्त https://mknewshub.com/as-soon-as-rajkishore-became-the-mayor-corruption-and-chaos-prevailed-in-korba-municipal-corporation-from-contractor-to-hamal/?utm_source=rss&utm_medium=rss&utm_campaign=as-soon-as-rajkishore-became-the-mayor-corruption-and-chaos-prevailed-in-korba-municipal-corporation-from-contractor-to-hamal https://mknewshub.com/as-soon-as-rajkishore-became-the-mayor-corruption-and-chaos-prevailed-in-korba-municipal-corporation-from-contractor-to-hamal/#respond Fri, 05 Jul 2024 20:27:50 +0000 https://mknewshub.com/?p=86821 कोरबा। शहर की सड़कें और फुटपाथ इन दिनों ब्लॉक बस्टर फिल्म KGF की तर्ज पर सोना उगल रही हैं। नगर निगम की मुंशी पार्टी, अतिक्रमण दस्ता और संपदा शाखा के अफसर इस सोने को बटोरने में लगे हैं। पैदल राहगीरों के लिए बने फुटपाथ ठेले खोमचे वालों के कब्जे में हैं, जिन्हें यह अधिकार खुद …

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कोरबा। शहर की सड़कें और फुटपाथ इन दिनों ब्लॉक बस्टर फिल्म KGF की तर्ज पर सोना उगल रही हैं। नगर निगम की मुंशी पार्टी, अतिक्रमण दस्ता और संपदा शाखा के अफसर इस सोने को बटोरने में लगे हैं। पैदल राहगीरों के लिए बने फुटपाथ ठेले खोमचे वालों के कब्जे में हैं, जिन्हें यह अधिकार खुद निगम के अफसरों ने दे रखा है। बची हुई पार्किंग की जगह पर भी दुकानों का पसरा लगा रहता है, जिससे लोग अपनी गाडियां सड़क पर ही खड़ी कर खरीदारी में व्यस्त हो जाते हैं। परिणामस्वरूप शहर की सड़कों पर जाम की स्थिति उत्पन्न होती है और दुर्घटनाओं का डर बना रहता है। आम नागरिक त्रस्त हैं, जबकि निगम प्रशासन का जिम्मेदार अमला शहर के चौक चौराहों और मुख्य मार्गों की व्यवस्था दुरुस्त करने की बजाय उगाही में मस्त है।

पुराने डिवाईडर तोड़ो, नया टेंडर निकालकर फिर जोड़ो और कमीशन खाओ का खेल नगर निगम में काफी प्रचलित रहा है। इस काम में बोरियत होने लगी, तो डिवाईडरों के आसपास के फुटपाथ निशाने पर आए और अब लोगों के पैदल चलने के लिए बनाए गए इन्हीं फुटपाथों पर ठेले खोमचे खड़े करने का दौर चल पड़ा है। पैदल राहगीरों को सड़क पर चलना पड़ रहा है, जिससे दुर्घटनाओं का खतरा और बढ़ गया है। पार्किंग की जगह पर भी बाजार सजे हैं और लोग अपनी गाडियां सड़क पर ही खड़ी कर देते हैं। शहर के सबसे अधिक व्यस्ततम घंटाघर से सुभाष चौक मार्ग पर फुटपाथ पर व्यवसायियों ने अपना सामान फैला रखा है। पार्किंग के अभाव में खरीदार अपनी गाड़ी सड़क पर खड़ी कर देते हैं, जिससे यातायात की समस्या बढ़ जाती है। दुकान से सामान खरीदकर बाहर निकलते हैं, तब तक यातायात की टीम गाड़ी को क्रेन से उठाकर जब्त कर चुकी होती है।

सड़कों से अतिक्रमण हटाने की जिम्मेदारी नगर निगम की है। तोड़ू दस्ता और अतिक्रमण हटाने के लिए अधिकारी नियुक्त हैं, पर फुटपाथ पर हो रहे कब्जे को लेकर सख्त कार्रवाई नहीं की जा रही है, जिससे यातायात व्यवस्था बिगड़ रही है और सुंदरीकरण पर भी ग्रहण लग रहा है।

इंफ्रास्ट्रक्चर पर करोड़ों खर्च, पर इंतजाम दुरुस्त करने की कवायद गायब

निगम ने इंफ्रास्ट्रक्चर पर करोड़ों रुपये खर्च किए हैं, पर इसे सही से लागू करने की कवायद नहीं हो रही है। समय पर कार्रवाई नहीं होने से व्यापारियों का सड़कों पर कब्जा बढ़ता जा रहा है, जिसका खामियाजा आम लोगों को भुगतना पड़ रहा है। घंटाघर के निकट पेट्रोलपंप से आगे व्यस्त मार्ग पर व्यापारियों ने कूलर, आलमारी, फर्नीचर, रजाई, गद्दे जैसे सामान बिखेर कर रखे हैं, जिससे पैदल चलने वालों को सड़क पर चलना पड़ रहा है।

घंटाघर मैदान में आयोजन होते ही सड़क पर सजती है चौपाटी

शहर में यातायात व्यवस्था की सभी कवायद विफल हो गई है। व्यस्ततम मार्गों पर पैदल चलने वालों के लिए फुटपाथ का रास्ता तय किया गया था, पर राहगीर सड़कों पर चलते दिखते हैं। स्मृति उद्यान के पीछे चौपाटी का निर्माण किया गया था, पर व्यापारी स्मृति उद्यान के सामने पार्किंग पर कब्जा कर अपना व्यापार चला रहे हैं। नगर निगम की कोशिशें भी राजनीतिक दबाव के कारण असफल हो रही हैं। आयोजन के दौरान सड़क पर चौपाटी सज जाती है, जिससे यातायात बाधित होता है और जाम की स्थिति उत्पन्न होती है।

ऐसा है करोड़ों का खेला…शाम को मुफ्त के चाय-समोसे, रसोई की भाजी और रोजी वसूली

नगर निगम कोरबा का तोड़ू दस्ता और संपदा शाखा के अफसर-कर्मचारी अवैध वसूली में लगे हैं। घंटाघर से महाराणा प्रताप नगर जाने वाले मार्ग पर ठेले और दुकानें लगवाने के लिए लाखों रुपये वसूले जाते हैं। दुकानदारों और ठेले-गुमटी वालों से प्रतिदिन अवैध वसूली की जाती है। शाम को वसूली के साथ मुफ्त के चाय, समोसा, पान गुटका, और रात की रसोई के लिए भाजी तरकारी का खर्च भी बचा लिया जाता है।

बेघर परिवारों के झौपड़े पर बुलडोजर, धमकी और वसूली

आवासहीन और बेघर गरीब परिवारों द्वारा अपनी झोपड़ी की मरम्मत या निर्माण करते ही तोड़ू दस्ता धमकी देकर नोटिस थमा देता है। नगर निगम कोरबा में ऐसा कोई पद स्वीकृत नहीं है, फिर भी तोड़ू दस्ता प्रभारी का सील मोहर लगा नोटिस आम जनता को दिया जाता है। अधिकारी और कर्मचारी अवैध वसूली के दम पर वर्षों से एक ही स्थान पर जमे हुए हैं।

छत्तीसगढ़ की सरकार और नगर निगम प्रशासन कोरबा में व्याप्त भ्रष्टाचार और अव्यवस्था को रोकने में असमर्थ हैं। पिछले 10 साल से निगम सरकार कांग्रेस की रही है, पर अब छत्तीसगढ़ में सुशासन की सरकार है। देखना यह है कि जनता की सुनवाई कब होती है और इन समस्याओं का समाधान कब होता है।

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बाल्को वेतन समझौता: स्वर्णिम विरासत का दुखद अंत https://mknewshub.com/balco-wage-settlement-sad-end-to-golden-legacy/?utm_source=rss&utm_medium=rss&utm_campaign=balco-wage-settlement-sad-end-to-golden-legacy https://mknewshub.com/balco-wage-settlement-sad-end-to-golden-legacy/#respond Fri, 05 Jul 2024 17:15:26 +0000 https://mknewshub.com/?p=86810 कोरबा, 5 जुलाई 2024 – भारत एल्यूमीनियम कंपनी लिमिटेड (बाल्को), जो कभी एक गौरवशाली सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी थी, अब निजीकरण के बाद संघर्ष और विवादों के दलदल में फंस गई है। बाल्को का इतिहास विशेष एल्यूमीनियम मिश्र धातुओं के विकास और देश की रक्षा क्षमताओं को बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान के लिए जाना जाता …

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कोरबा, 5 जुलाई 2024 – भारत एल्यूमीनियम कंपनी लिमिटेड (बाल्को), जो कभी एक गौरवशाली सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी थी, अब निजीकरण के बाद संघर्ष और विवादों के दलदल में फंस गई है। बाल्को का इतिहास विशेष एल्यूमीनियम मिश्र धातुओं के विकास और देश की रक्षा क्षमताओं को बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान के लिए जाना जाता था। लेकिन अब, वेदांता समूह के अधीन, यह कंपनी कर्मचारियों के शोषण और पर्यावरणीय मुद्दों का प्रतीक बन गई है।

वेतन समझौते में गड़बड़ियाँ

बाल्को के 11वें वेतन समझौते ने कर्मचारियों और प्रबंधन के बीच तनाव को और बढ़ा दिया है। बाल्को कर्मचारी संघ (BMS) और एल्यूमीनियम कर्मचारी संघ (AITUC) ने इस समझौते को अवैध और कर्मचारी विरोधी करार दिया है। BMS का आरोप है कि वेदांता प्रबंधन ने औद्योगिक विवाद अधिनियम, 1947 के प्रावधानों का उल्लंघन करते हुए यह समझौता किया है। इसके परिणामस्वरूप, वर्तमान स्थायी कर्मचारियों की संख्या में भारी गिरावट आई है और ठेका श्रमिकों की संख्या में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है।

स्थायी कर्मचारियों की संख्या में भारी कमी

कभी 7000 स्थायी कर्मचारियों का गर्व करने वाली बाल्को अब केवल 700 स्थायी कर्मचारियों के साथ काम कर रही है। दूसरी ओर, ठेका श्रमिकों की संख्या 7000 तक पहुँच गई है। यह दर्शाता है कि बाल्को की मौजूदा कर्मचारी भर्ती नीति का उल्लंघन हो रहा है। प्रबंधन ने उत्पादन क्षमता बढ़ाने के नाम पर श्रमिकों पर अतिरिक्त दबाव डालते हुए अनुचित श्रम अभ्यास को बढ़ावा दिया है।

कैंटीन शुल्क में वृद्धि

वेतन समझौते में कैंटीन शुल्क में 20% की वृद्धि ने 7000 से अधिक कर्मचारियों को प्रभावित किया है, जबकि भत्ते में वृद्धि केवल 700 स्थायी कर्मचारियों के लिए की गई है। यह न केवल फैक्टरी अधिनियम का उल्लंघन है, बल्कि कर्मचारियों के कल्याण के प्रति प्रबंधन की उदासीनता को भी दर्शाता है। कैंटीन शुल्क में इस वृद्धि से अस्थायी और ठेका श्रमिकों पर भारी वित्तीय बोझ पड़ेगा, जिनका वेतन पहले से ही न्यूनतम है।

पर्यावरणीय और सामाजिक विवाद

निजीकरण के बाद से बाल्को कई विवादों में घिर गई है। इनमें विधानबाग इकाई और एल्युमिना रिफाइनरी का बंद होना, चिमनी का ध्वस्त होना, जंगल भूमि का अनधिकृत उपयोग, और पर्यावरणीय प्रदूषण शामिल हैं। प्रबंधन द्वारा अवैध राख डंपिंग और पर्यावरणीय मानकों का उल्लंघन कंपनी की छवि को धूमिल कर रहे हैं। स्थानीय समुदाय और पर्यावरणीय संगठनों ने बाल्को के खिलाफ कई बार विरोध प्रदर्शन किए हैं, लेकिन प्रबंधन ने इन मुद्दों को सुलझाने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया है।

अधिकारियों की असफलता

वेदांता प्रबंधन के अधीन, बाल्को की स्वर्णिम विरासत का अंत हो चुका है। प्रबंधन के उच्च अधिकारियों द्वारा जारी किए गए बयानों में भले ही उत्पादन में वृद्धि का दावा किया जा रहा हो, लेकिन कर्मचारियों और स्थानीय समुदायों के कल्याण की अनदेखी स्पष्ट रूप से दिखाई दे रही है। प्रबंधन ने कर्मचारियों पर भविष्य की उत्पादन क्षमता का बोझ डालते हुए, उन्हें अनुचित श्रम विभाजन का शिकार बना दिया है। इसके अलावा, उत्पादन प्रक्रिया में बदलाव और कर्मचारियों को किसी भी संस्था में स्थानांतरित करने का अधिकार भी अनुचित श्रम अभ्यास का हिस्सा हैं।

अनुशासनात्मक कार्यवाही का दबाव

बीएमएस संघ द्वारा उठाए गए विवाद में एक अन्य महत्वपूर्ण मुद्दा यह है कि प्रबंधन ने कर्मचारियों पर उत्पादों की गुणवत्ता के अस्वीकृति का बोझ डाल दिया है, जो अनुशासनात्मक कार्यवाही के लिए कारक उत्पन्न करते हैं। कर्मचारियों को उत्पाद की गुणवत्ता के मुद्दों के लिए जिम्मेदार ठहराया जा रहा है, जो वास्तव में प्रबंधन और उत्पादन प्रक्रिया की खामियों का परिणाम हैं। इससे कर्मचारियों में असुरक्षा और असंतोष बढ़ रहा है।

अप्रत्यक्ष रोजगार के बढ़ते मामले

बाल्को के विस्तार परियोजना के दौरान जारी EIA रिपोर्ट में दावा किया गया था कि परियोजना के पूरा होने के बाद 3000 कर्मचारियों को रोजगार मिलेगा। लेकिन वास्तविकता में, वेतन समझौते 11 में उल्लेख किया गया है कि वर्तमान कर्मी ही भविष्य के उत्पादन को प्राप्त करने के लिए प्रयास करेंगे। यह स्पष्ट संकेत है कि बाल्को प्रबंधन द्वारा प्रत्यक्ष रोजगार को अप्रत्यक्ष रोजगार में बदलने की नीति अपनाई जा रही है।

अंधकारमय भविष्य

बाल्को के श्रमिकों, स्थानीय समुदाय और स्थानीय निवासियों के लिए भविष्य अंधकारमय नजर आ रहा है। स्वर्णिम विरासत का अंत हो चुका है और अब केवल उम्मीद की जा सकती है कि आने वाला समय बाल्को के लिए कुछ बेहतर ला सकेगा। लेकिन वर्तमान परिस्थितियाँ इस उम्मीद को भी धुंधला कर रही हैं। वेदांता प्रबंधन की नीतियाँ और उनके द्वारा किए गए वादों की पूर्ति में असफलता ने कंपनी को एक संकटग्रस्त स्थिति में पहुंचा दिया है।

बाल्को का यह परिवर्तन, जहाँ एक ओर उत्पादन में वृद्धि और आर्थिक लाभ की बात की जाती है, वहीं दूसरी ओर कर्मचारियों और पर्यावरणीय मुद्दों की अनदेखी ने कंपनी की स्वर्णिम विरासत को समाप्त कर दिया है। अब देखना यह होगा कि बाल्को का भविष्य किस दिशा में जाता है और क्या यह कंपनी अपने पुराने गौरव को फिर से प्राप्त कर पाती है या नहीं ।

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जयसिंह का उपहार अब भी संभाले है नगर सरकार ! जनता कर रही है हाहाकार, नहीं फिक्र कर रही लखन और साय की सरकार… https://mknewshub.com/the-city-government-is-still-holding-the-gift-of-jaisingh-the-public-is-crying-foul/?utm_source=rss&utm_medium=rss&utm_campaign=the-city-government-is-still-holding-the-gift-of-jaisingh-the-public-is-crying-foul https://mknewshub.com/the-city-government-is-still-holding-the-gift-of-jaisingh-the-public-is-crying-foul/#respond Fri, 05 Jul 2024 12:35:49 +0000 https://mknewshub.com/?p=86762 कोरबा। सड़कों पर जिंदगी और मौत से जद्दोजहद करना तो जैसे कोरबा के नागरिकों की नियती बन गई है। पूर्व में कांग्रेस सरकार के मंत्री रहे जयसिंह अग्रवाल और नगर निगम के मौजूदा मेयर राजकिशोर प्रसाद ने लील जाने को इंतजार करते ये खतरों से भरे रास्ते कोरबा के राहगीरों को उपहार में दिए थे। …

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कोरबा। सड़कों पर जिंदगी और मौत से जद्दोजहद करना तो जैसे कोरबा के नागरिकों की नियती बन गई है। पूर्व में कांग्रेस सरकार के मंत्री रहे जयसिंह अग्रवाल और नगर निगम के मौजूदा मेयर राजकिशोर प्रसाद ने लील जाने को इंतजार करते ये खतरों से भरे रास्ते कोरबा के राहगीरों को उपहार में दिए थे। तब इन्हीं सड़कों पर खूब सियासत भी हुई और भाजपा ने 2023 के चुनाव में इसे भुनाया भी। दुर्भाग्य तो यह है कि कोरबा विधानसभा में ही मौजूद इन जानलेवा गड्ढों को कोरबा के ही विधायक और वर्तमान साय सरकार के मंत्री लखनलाल देवांगन भी यूं देखते गुजर जाते हैं, मानों वे भी कांग्रेस शासन से मिली इस विरासत को आगे बढ़ाने की प्लानिंग लेकर चल रहे हैं। तभी तो, पावरसिटी कोरबा से लेकर पूरे प्रदेश में भाजपा की सरकार काबिज हुए 205 दिन गुजर जाने के बाद भी कोरबा की सबसे जर्जर इन दो सड़कों की नैया पार नहीं लग सकी। आलम यह है कि बारिश के इस मौसम में इन सड़कों पर भरे पानी की गहराई इतनी हो चली है कि सड़क की जगह छोटी नहर का निर्माण कर लें, तो लोगों के लिए नाव चलाकर राहत मिलने की संभावना बन सकती है। तभी तो कहा जा रहा है कि

“ये नेपाल का पहाड़ी रास्ता नहीं, कोरबा की सड़क है सरकार, कांग्रेस के पूर्व मंत्री और मौजूदा मेयर ने दिया था उपहार, अब इस विरासत को आगे बढ़ाती दिख रही लखन भैया की साय सरकार, जरा संभलकर चलें नहीं तो…बेवक्त बन जाएंगे शिकार”

तस्वीर में दिखाई दे रही ये सड़कें कोरबा शहर से बाहर आते ही सर्वमंगला-कुसमुंडा-इमलीछापर और बालको के परसाभांठा चैक से रुमगरा तक जाने वाले मार्ग की है। सड़कों की हालत देखकर अब जनता के मन में एक ही सवाल उठता है कि आखिर कब सड़कों की सूरत बदलेगी। खासतौर पर जिले के नदी पार कुसमुंडा क्षेत्र की सड़कों का बेहद बुरा हाल है। अधिकारी एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डालकर खुद को बचाने की कोशिश कर रहे हैं। सर्वमंगला मंदिर से कुसमुंडा जाने वाले मार्ग पर आए दिन लंबा जाम लगा जाता है। करोड़ों की लागत से इसमें फोरलेन का निर्माण कार्य अब तक अधूरा है। लापरवाही की वजह से काम धीमी गति से चल रहा है और इस सड़क के ऐसे हालात पिछले पांच सालों से बने हुए हैं। कुसमुंडा पहुंचने तक पूरा मार्ग बहुत ही जर्जर है। लोगों को इस मार्ग पर जान हथेली पर रखकर चलने मजबूर होना पड़ रहा है।

बारिश में कीचड़, धूप में धूल, अफसर-नेता मस्त और डेढ़ लाख आबादी हलकान

इस मार्ग पर बारिश होने पर पानी भर जाता है, जिससे कीचड़ की परेशानी होती है। धूप निकलने पर धूल उड़ने से भी आम जनता के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है। इस मार्ग की बदहाली को लेकर लोग काफी आक्रोशित हैं। एक ओर कोयला परिवहन के लिए विभिन्न कंपनियों के भारी वाहन दौड़ाने वाले एसईसीएल द्वारा खदानों का संचालन केवल मुनाफा कमाने के लिए किया जा रहा है, जबकि नगर निगम की दिलचस्पी केवल टैक्स वसूलने तक सीमित है। अधिकारियों के साथ कई बार बातचीत के बावजूद, स्थानीय लोग और उपनगरीय क्षेत्र बांकी मोंगरा की जन समस्याओं को हल करने के लिए न तो अफसर गंभीर दिख रहे हैं और न ही क्षेत्र के जनप्रतिनिधि ही कोई खैर लेने को तैयार दिख रहे हैं। सड़क चैड़ीकरण का कार्य अधूरा पड़ा हुआ है, लेकिन बारिश के दिनों में सड़क में कीचड़ ही कीचड़ देखा जा सकता है। जिससे नगर निगम के पश्चिम क्षेत्र के लगभग डेढ़ से दो लाख की आबादी प्रभावित होती है। जिला मुख्यालय तक पहुंचने के लिए उन्हें काफी जद्दोजहद का सामना करना पड़ता है।

अब पढ़िए देश की सबसे बड़ी एल्युमिनियम उत्पादक कंपनी बालको की सड़कों का हाल

परसाभांठा चैक से रूमगड़ा होते हुए मेजर ध्यानचंद चैक तक की यह सड़क बालको के औद्योगिक सामाजिक दायित्वों के तहत उनके अधीन है। देश की सबसे बड़ी एल्युमिनियम उत्पादक कंपनी बालको की मनमानी थमने की बजाय और भी बढ़ती दिखाई दे रही है। पूर्ववर्ती कांग्रेस की सरकार में तो मानों बालको का दिमाग सातवें आसमान पर था, जो एल्युमिनियम उत्पादन के विस्तार के लिए जिले में ही 10,000 करोड़ रुपये का निवेश कंपनी द्वारा किया जा रहा। कंपनी द्वारा एल्युमिनियम उत्पादन की दिशा में नित नए कीर्तिमान गढ़े जा रहे हैं, लेकिन, जिले के लोगों के लिए ठीक से एक सड़क तक नहीं दे पा रही है। रूमगड़ा से बालको परसाभांठा तक जाने वाले सड़क मार्ग पूरी तरह से उखड़ चुका है। गड्ढे इतने बड़े हैं कि यदि कोई स्कूटी चालक इन गड्ढों में उतर जाए, तो वह निश्चित रुप से गंभीर दुर्घटना से नहीं बच सकता। प्रबंधन लगातार जिले में जनहित वाले कार्यों की उपेक्षा कर, अपनी मनमानी पर उतारू है। 

विकास कार्य का ढिंढोरा पीट रहा बालको और दुर्घटना के शिकार हो रहे आम लोग

इस मार्ग से दर्री-जमनीपाली क्षेत्र के भी लगभग डेढ़ लाख लोग सफर करते हैं। बालको जाने के लिए यही एक मात्र विकल्प है। इस सड़क से नहीं जाने पर लोगों को 10 से 12 किलोमीटर का अतिरिक्त फासला तय करना पड़ रहा है। वर्तमान में यह सड़क इतनी जर्जर है कि लोग इससे सफर करने से बचते हैं। बालको प्लांट से उत्सर्जित राख परिवहन इसी सड़क के जरिए होता है। बालको के ही भारी वाहन इस सड़क से आवागमन करते हैं। जिससे सड़क पूरी तरह से उखड़ चुकी है। बारिश होने पर यहां कीचड़ जम जाता है, तो सूखे मौसम में धूल उड़ता है। यह बेहद दुर्भाग्यजनक स्थिति है। बालको के 51 फीसदी शेयर का निजीकरण करने के बाद केवल 49 फीसदी शेयर ही सरकार के पास है। यह एक प्राइवेट सेक्टर की सार्वजनिक उपक्रम है। जिसका यह दायित्व है कि जिले में वह सामाजिक कार्यों को पूर्ण करें और आसपास के लोगों का जीवन स्तर उठाने का काम करें। लेकिन, बालको ने सदैव इसके विपरीत ही काम किया है। बालको के अधिकारी विकास कार्य कराने का ढिंढोरा जरूर पीटते हैं पर वास्तविकता इसके ठीक विपरीत है।

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टमाटर गोभी और सब्जी के आड़ में तस्करी, ढ़ाई क्विंटल गांजा जब्त https://mknewshub.com/two-and-a-half-quintals-of-ganja-smuggled-in-the-guise-of-tomatoes-cabbage-and-vegetables-seized/?utm_source=rss&utm_medium=rss&utm_campaign=two-and-a-half-quintals-of-ganja-smuggled-in-the-guise-of-tomatoes-cabbage-and-vegetables-seized https://mknewshub.com/two-and-a-half-quintals-of-ganja-smuggled-in-the-guise-of-tomatoes-cabbage-and-vegetables-seized/#respond Fri, 28 Jun 2024 05:50:53 +0000 https://mknewshub.com/?p=85889 रायगढ़ । पुलिस ने भटली के पास वाहन को पकड़ा जानकारी के मुताबिक सरिया पुलिस नियमित जांच के सिलसिले में थाना क्षेत्र में पेट्रोलिंग कर रही थी। इस बीच भटली चौक में गोभी सब्जी के आड़ में एक युवक ने उड़ीसा से गांजा तस्करी करते समय सरिया पुलिस के हत्थे चढ़ा। पुलिस को देखते ही …

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रायगढ़ । पुलिस ने भटली के पास वाहन को पकड़ा जानकारी के मुताबिक सरिया पुलिस नियमित जांच के सिलसिले में थाना क्षेत्र में पेट्रोलिंग कर रही थी। इस बीच भटली चौक में गोभी सब्जी के आड़ में एक युवक ने उड़ीसा से गांजा तस्करी करते समय सरिया पुलिस के हत्थे चढ़ा।

पुलिस को देखते ही आरोपित युवक गाड़ी छोड़कर भागने का प्रयास किया। लेकिन सरिया पुलिस ने धर दबोचा। सरिया थाना प्रभारी प्रमोद यादव ने बताया कि ओडिसा से माजदा मेटाडोर गाड़ी में सब्जी के आड़ में करीब ढाई क्विंटल गांजा लाते समय पकड़ा गया है।

आरोपित युवक मध्य प्रदेश के दमोह जिले का बताया जा रहा है। पूछताछ में उन्होंने बताया कि ओड़िसा से गांजा ला रहा था । और मध्य प्रदेश में ले जा रहा था। माजदा गाड़ी बिलासपुर का बताया जा रहा है। जिसे आरोपित युवक ने किराए में लेकर गांजा परिवहन कर रहा था।

वही वाहन में टमाटर के कैरेट तथा बोरी में पत्ता गोभी भरा हुआ था। इसके बीच मे शातिराना तरीके से पुलिस को चकमा देने के उद्देश्य से गांजा छिपाया था।

थाना प्रभारी प्रमोद यादव के बताए अनुसार ढाई क्विंटल गांजा की कीमत लगभग 25 लाख रुपए एवं माजदा गाड़ी की कीमत 5 लाख रुपये तथा आरोपित के कब्जे से एक मोबाइल जप्त किया गया। इस मामले में पुलिस आगे की कार्रवाई कर रही है ।

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कोरबा में अब भी जारी है महादेव एप्प का मकड़जाल, पुलिस ने फिर पकड़ा 4 आरोपियों को, रसूखदार लगे मामले को सेट करने में https://mknewshub.com/the-web-of-mahadev-app-still-continues-in-korba-police-again-caught-4-accused-they-were-influential-in-setting-up-the-case/?utm_source=rss&utm_medium=rss&utm_campaign=the-web-of-mahadev-app-still-continues-in-korba-police-again-caught-4-accused-they-were-influential-in-setting-up-the-case https://mknewshub.com/the-web-of-mahadev-app-still-continues-in-korba-police-again-caught-4-accused-they-were-influential-in-setting-up-the-case/#respond Wed, 26 Jun 2024 15:17:37 +0000 https://mknewshub.com/?p=85698 कोरबा – महादेव एप्प का जिन शांत होने का नाम नहीं ले रहा है। कोरबा की साइबर सेल टीम ने रजगामार क्षेत्र में रह ऑनलाइन सट्टा खेला रहे 4 लोगो को हिरासत में लिया है। हालाकिं जप्त सामाग्री और सट्टा पट्टी की रकम को पुलिस कल खुलासा करेगी लेकिन इस बीच ख़बर आ रही है …

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कोरबा – महादेव एप्प का जिन शांत होने का नाम नहीं ले रहा है। कोरबा की साइबर सेल टीम ने रजगामार क्षेत्र में रह ऑनलाइन सट्टा खेला रहे 4 लोगो को हिरासत में लिया है। हालाकिं जप्त सामाग्री और सट्टा पट्टी की रकम को पुलिस कल खुलासा करेगी लेकिन इस बीच ख़बर आ रही है कि शहर के कुछ रसूखदार लोग मामले को सेट करने में लगे हुए है लोगो की कोशिश है कि मामले को छोटा रूप दिया जाए और इसके जड़ की तलाश नहीं की जावे। इधर सूत्रों की माने तो साइबर सेल इंचार्ज और दर्री सीएसपी IPS रविन्द्र मीणा ने मामले में सख्त तेवर दिखाते थाने से सारे बिचौलियों को भगा स्टाफ को सख्त निर्देश दे रखा है कि अपराध में कोई भी समझौता करते पाया गया तो उसकी खैर नहीं है वैसे भी कोरबा एसपी सिद्धार्थ तिवारी के सख्त तेवर के बीच लोग ये हिम्मत करने की कोशिश कम ही जुटा पा रहे है लेकिन सिस्टम के लुपपोल का सहारा लेकर अपराध लगातार जारी है लेकिन अपराध पर पुलिस का प्रहार भी निरंतर जारी है।

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नगर सरकार को उच्च न्यायालय के आदेश की भी नहीं है परवाह ! फिर उसी विवादित भूमि पर बसाना चाहते है ट्रांसपोर्ट नगर जहां की भूमि में मेडिकल वेस्ट का है भंडार, भूमि के आसपास रहने वालों के सेहत पर भी पड़ेगा बुरा प्रभाव, क्या कहा है कोर्ट ने पढ़िए पूरा आदेश… https://mknewshub.com/the-city-government-does-not-even-care-about-the-order-of-the-high-court-and-then-wants-to-establish-transport-nagar-on-the-same-disputed-land-where-the-medical-and/?utm_source=rss&utm_medium=rss&utm_campaign=the-city-government-does-not-even-care-about-the-order-of-the-high-court-and-then-wants-to-establish-transport-nagar-on-the-same-disputed-land-where-the-medical-and https://mknewshub.com/the-city-government-does-not-even-care-about-the-order-of-the-high-court-and-then-wants-to-establish-transport-nagar-on-the-same-disputed-land-where-the-medical-and/#respond Wed, 26 Jun 2024 12:43:49 +0000 https://mknewshub.com/?p=85665 कोरबा। पहले विधानसभा और फिर लोकसभा चुनाव की भागम-भाग के बीच सरकारी दफ्तर की किसी आलमारी में छुपा बैठा बरबसपुर विवाद का जिन्न मानों एक बार फिर बोतल से बाहर निकलता दिख रहा है। भू-अभिलेख शाखा ने नगर निगम समेत तमाम संबंधित विभागों को एक चिट्ठी जारी की है, जिसमें बुधवार को यानी आज बरबसपुर …

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कोरबा। पहले विधानसभा और फिर लोकसभा चुनाव की भागम-भाग के बीच सरकारी दफ्तर की किसी आलमारी में छुपा बैठा बरबसपुर विवाद का जिन्न मानों एक बार फिर बोतल से बाहर निकलता दिख रहा है। भू-अभिलेख शाखा ने नगर निगम समेत तमाम संबंधित विभागों को एक चिट्ठी जारी की है, जिसमें बुधवार को यानी आज बरबसपुर में सीमांकन कार्यवाही निपटाने मदद के निर्देश दिए गए हैं। साकेत से बाहर आई इस चिट्ठी से एक बार फिर पूरे शहर और खासकर राजनीतिक हल्कों में हलचल मच गई है। पूर्व में जब नई जगह की तलाश करते ट्रांसपोर्ट नगर को बरबसपुर शिफ्ट करने का विरोध हुआ, तो कारण यह सामने आया था कि एक तो वह स्थल नया टीपीनगर बनाने के लिए माकूल नहीं है। शहर से दबाव घटने की बजाय कई गुना बढ़ जाएगा। दूसरी गंभीर बात यह भी उजागर हुई कि पूर्व राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने अपने नाते-रिश्तेदारों, चहेते करीबियों समेत खुद अपने निजी फायदे की मंशा से एक साजिश रची और भ्रष्टाचार से लिप्त पूर्व की कांग्रेस सरकार के पावर का प्रयोग कर ट्रांसपोर्टनगर को बरबसपुर ले जाने का भरसक प्रयास किया।

उच्च न्यायालय ने दिया है स्पष्ट निर्देश

इस मनमानी का खुलकर विरोध करते हुए ग्राम यात्रा छत्तीसगढ़ न्यूज नेटवर्क के संपादक अब्दुल सुल्तान ने बिलासपुर उच्च न्यायालय में याचिका लगाई थी। मामले पर विचार करते हुए हाईकोर्ट ने भी प्रक्रिया को नियम विरुद्ध करार देते हुए फैसला सुनाया गया कि बरबसपुर में ट्रांसपोर्टनगर नहीं बन सकता। अब एक बार फिर वही मनमानी शुरु न हो जाए, इसकी सुगबुगाहट होती दिख रही है। पूर्व में इसका विरोध कर चुके अब्दुल सुल्तान ने चेतावनी दी है कि जो गलत है, वह गलत है और अब यह गलती जारी रखी जाती है, तो वे इस गलती का पुरजोर विरोध करेंगे और एक बार फिर हाईकोर्ट की शरण लेंगे। 

भू-अभिलेख अधिकारी ने जारी किया सीमांकन आदेश

उल्लेखनीय है कि सीमांकन के संबंध में अधीक्षक भू-अभिलेख अमित कुमार झा द्वारा नगर पालिक निगम आयुक्त को भी सूचना जारी की गई है तथा उनके संबंधित अधिकारियों को दस्तावेज के साथ उपस्थित रहने कहा गया है। तत्संबंध में नगर निगम आयुक्त के द्वारा सीमांकन करने 8 सदस्यीय दल गठित कर उन्हें सीमांकन के समय उपस्थित रहकर सीमांकन की कार्रवाई पूर्ण कराने के निर्देश दिए गए हैं। गठित दल में कार्यपालन अभियंता एमएन सरकार, व्हीके शांडिल्य, राजस्व अधिकारी अनिरुद्ध प्रताप सिंह, प्रभारी सहायक स्वास्थ्य अधिकारी संजय तिवारी, प्रभारी सहायक अभियंता राहुल मिश्रा, उप अभियंता अश्वनी दास, राजस्व निरीक्षण सुनील गुप्ता व समयपाल सुशील तिवारी शामिल हैं।

रबसपुर में 72.91 एकड़ व 17.85 एकड़ भूमि का सीमांकन करने बनी टीम

बताया जा रहा है कि बरबसपुर की 72.91 एकड़ व 17.85 एकड़ भूमि का सीमांकन करने एक टीम गठित की गई है। नगर निगम की सीमा में आने वाले बरबसपुर में नया ट्रांसपोर्ट नगर बसाने के लिए चिन्हित की गई भूमि को लेकर उपजे पूर्व के विवाद के बीच सारा मामला ठंडे बस्ते में चला गया। जमीन को लेकर कई तरह के आरोप सामने आए, जिसके समाधान के लिए प्रशासनिक कार्रवाई शुरू की गई है। हांलाकि बुधवार 26 जून को बरबसपुर में होने वाला सीमांकन किसलिए हो रहा है, यह बात फिलहाल स्पष्ट रूप से सामने नहीं आई है। भू-अभिलेख शाखा के द्वारा ग्राम बरबसपुर तहसील कोरबा स्थित भूमि खसरा नंबर-359 में से रकबा 72.91 एकड़ एवं 17.85 एकड़ भूमि का सीमांकन व स्थल जांच 26 जून बुधवार को दोपहर 12 बजे किया जाना सुनिश्चित किया गया। इस संबंध में अधीक्षक भू-अभिलेख द्वारा संबंधित कर्मचारी, हलका पटवारी को दस्तावेजों के साथ मौके पर उपस्थित होने के लिए निर्देशित किया गया है। 

महापौर राजकिशोर प्रसाद के समय तमाम सरकारी नियमों के विरुद्ध किया था आवंटन

बता दें कि नए ट्रान्सपोर्ट नगर बरबसपुर के संबंध में हाईकोर्ट से पूर्व में डायरेक्शन मिल चुका है। ग्राम यात्रा छत्तीसगढ़ न्यूज नेटवर्क के संपादक अब्दुल सुल्तान की याचिका पर हाईकोर्ट ने सुनवाई कर फैसला सुनाया और बरबसपुर में टीपीनगर शिफ्ट करने की प्रक्रिया को नियम विरुद्ध बताया था। नया ट्रांसपोर्ट नगर उस जगह नहीं बन सकता। नगर निगम कोरबा की महापौर राजकिशोर प्रसाद के समय में बरबसपुर की भूमि का आबंटन किया गया था। इस बीच कोरबा के पूर्व शहर विधायक व पूर्व राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल आरोप पर लगा था कि उन्होंने अपने परिवार व बिजनेस पार्टनरांे को बेजा लाभ पहुंचाने बरबसपुर पर टीपीनगर बनाने दबाव बना रहे हैं। दरअसल बरबसपुर के उक्त प्रस्तावित स्थल पर 25 एकड़ से भी अधिक जमीन ऐसी है, जो परिवार व बिजनेस पार्टनरों की है। यही वजह रही जो वे बरबसपुर में टीपीनगर बसाने एड़ी चोटी एक कर कोशिशें करते रहे। यहां तक कि जब बरबसपुर के अतिरिक्त किसी अन्य जगह पर टीपीनगर के लिए भूमि तलाश करने की बात आई तो वे प्रशासनिक अफसरों से भी भिड़ गए। वर्तमान में यह सीमांकन किसलिए और किसके आवेदन पर कराया जा रहा है, यह स्पष्ट नहीं है पर अगर बरबसपुर में ही ट्रांसपोर्ट नगर के संबंध में पुनः प्रयास किया जा रहा है, तो यह मामला पुनः उलझता देखा जा सकता है। ऐसे में शासन-प्रशासन पर फिर से आरोप लगना तय माना जा सकता है। क्योंकि बरबसपुर में प्रस्तावित नया ट्रांसपोर्ट नगर बनना उक्त प्रस्तावित स्थल पर मुमकिन नहीं है। उक्त प्रस्तावित स्थल का चयन सभी सरकारी नियमों के विरुद्ध किया गया था।

अगर नए टीपीनगर के लिए सीमांकन, तो हाईकोर्ट में लगेगी अवमानना याचिका: अब्दुल सुल्तान

इस संबंध में जानकारी साझा करते हुए ग्राम यात्रा छत्तीसगढ़ न्यूज नेटवर्क के संपादक अब्दुल सुल्तान ने बताया कि अगर नया ट्रांसपोर्ट नगर को बरबसपुर में ही बनाने के लिए यह सीमांकन कराया जा रहा या पुनः उस स्थान पर ही ट्रांसपोर्टनगर की प्रक्रिया फिर से शुरू की जा रही होगी तो, वे पुनः हाईकोर्ट की शरण में जाएंगे और अवमानना याचिका दायर करेंगे। उन्होंने कहा कि कोरबा जिले में विभिन्न कोयला खदानें, बालको, एनटीपीसी समेत अन्य बहुत से पावर प्लांट संचालित हैं। जिससे कोरबा में भारी वाहनों का अत्यधिक दबाव बना रहता है। नया ट्रांसपोर्ट नगर बनना अति आवश्यक है और अति शीघ्र बनाया जाना चाहिए। लेकिन बरबसपुर इसके लिए उपयुक्त स्थान नहीं है। 

एनजीटी के नाॅम्र्स की अनदेखी, यहीं पर बायो मेडिकल वेस्ट डंपिंग भी 

गौर करने वाली सबसे महत्वपूर्ण बात यह भी है कि बरबसपुर में ही कोरबा जिले का एक मात्र बायो मेडिकल वेस्ट निपटान करने डंपिंग यार्ड और उन्हें नष्ट करने संयंत्र भी स्थापित है। इसे लेकर नेशनल ग्रीन ट्रब्यूनल (एनजीटी) के नियम काफी सख्त हैं, जो कहता है कि जहां पर बायो मेडिकल वेस्ट का निपटान होता है, उस जगह से एक किलोमीटर के दायरे में आवासीय परिसर तो दूर खेती-किसानी और व्यावसायिक प्रयोजन के निर्माण भी प्रतिबंधित होते हैं। ऐसे में सवाल तो यह उठता है कि आखिर शासन से निर्धारित इन कड़े नियमों की अनदेखी कर बरबसपुर में उसी खसरे की जमीन पर प्रशासन द्वारा सीमांकन क्यों कराया जा रहा है।

इस जगह पर पहुंचने के लिए वाहनों को पूरा शहर घूमकर जाना पड़ेगा। जिससे वाहन मालिकों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ेगा। बरबसपुर शासकीय नियमों में भी उपयुक्त स्थान नहीं है, जिसे माननीय हाईकोर्ट ने भी स्वीकार किया है।

The post नगर सरकार को उच्च न्यायालय के आदेश की भी नहीं है परवाह ! फिर उसी विवादित भूमि पर बसाना चाहते है ट्रांसपोर्ट नगर जहां की भूमि में मेडिकल वेस्ट का है भंडार, भूमि के आसपास रहने वालों के सेहत पर भी पड़ेगा बुरा प्रभाव, क्या कहा है कोर्ट ने पढ़िए पूरा आदेश… appeared first on MK NEWS HUB.

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जयसिंह अग्रवाल पर फिर दर्ज हुई FIR, जानिए पूर्व राजस्व मंत्री ने अब क्या कर दिया अपराध जो दर्ज हो गई एफआईआर https://mknewshub.com/fir-registered-against-jaisingh-aggarwal-again-know-what-crime-has-the-former-revenue-minister-committed-now-that-fir-has-been-registered/?utm_source=rss&utm_medium=rss&utm_campaign=fir-registered-against-jaisingh-aggarwal-again-know-what-crime-has-the-former-revenue-minister-committed-now-that-fir-has-been-registered https://mknewshub.com/fir-registered-against-jaisingh-aggarwal-again-know-what-crime-has-the-former-revenue-minister-committed-now-that-fir-has-been-registered/#respond Mon, 24 Jun 2024 13:59:00 +0000 https://mknewshub.com/?p=85495 कोरबा, 24 जून – पूर्व राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल के नक्षत्र ठीक से साथ नहीं दे रहे है यही वजह है कि जो मामला 7 माह तक दबा रहा उस मामले में कोरबा पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर दी है। दरसअल नवंबर के जिस दिन वोटिंग चल रहा था उसी दौरान जयसिंह अग्रवाल ने पूर्व …

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कोरबा, 24 जून – पूर्व राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल के नक्षत्र ठीक से साथ नहीं दे रहे है यही वजह है कि जो मामला 7 माह तक दबा रहा उस मामले में कोरबा पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर दी है। दरसअल नवंबर के जिस दिन वोटिंग चल रहा था उसी दौरान जयसिंह अग्रवाल ने पूर्व पार्षद और भाजपा नेता लक्ष्मण श्रीवास को गंदी गाली देते हुए अपहरण की धमकी दे दी थी। पीड़ित लक्ष्मण ने मामले में सीएसईबी चौकी में शिकायत की थी वहीं उसकी आवाज़ को जनजन तक पहुंचाने में ग्राम यात्रा छत्तीसगढ़ न्यूज़ ने अपने सामाजिक दायित्व का निर्वहन करते हुए बड़ी भूमिका अदा की थी। उस दिन थाने में तो लक्ष्मण को न्याय नहीं मिला लेकिन जनता की अदालत ने 15 साल के विधायक व 5 साल के मंत्री का गुमान तोड़ पहली बार कोरबा विधानसभा में कमल खिलाया। ग्राम यात्रा न्यूज़ की कोशिशों का ही ये नतीजा रहा कि कोरबा को निर्विवाद विधायक के रूप में लखनलाल देवांगन मिले जो आप केबिनेट मंत्री बन कोरबा का मान बढ़ा रहे है। इस घटना क्रम में देर रात भाजपा ने चौकी तक का घेराव कर तत्कालिन राजस्व मंत्री के विरुद्ध अपराध दर्ज करने की मांग की थी तब रोजनामचे में मामला दर्ज कर खानापूर्ति हुई थी।

अब पुलिस ने मामले में जयसिंह अग्रवाल व उनके साथियों के विरुद्ध भारतीय दंड विधान की धारा 294, 506 व 34 के तहत अपराध दर्ज किया है। पुलिस ने भले ही ऑनलाइन FIR न दिखे इसलिए केस सेंसेटिव कर रखा है लेकिन उस दोपहर लक्षमण श्रीवास ने क्या कहा था उसका पीड़ा उसी की जुबानी सुनिए।

अब FIR के बाद लोगो की नज़र गिरफ्तारी पर लगी है कि FIR मर हुई देरी की तरह ही गिरफ्तारी में देरी तो नहीं होगी या कोरबा पुलिस कप्तान अपने साफगोई नियत की तरह ही त्वरित कार्रवाई करा गिरफ्तारी जल्द कराएंगे।

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