छत्तीसगढ़

बड़ी साधु वंदना में विनय की प्रधानता है: साध्वी सुमंगल प्रभा

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दुर्ग । जय आनंद मधुकर रतन भवन बांदा तालाब दुर्ग में आध्यात्मिक वर्षावास में धर्म सभा को संबोधित करते हुए मधुकर मनोहर शिष्या साध्वी सुमंगल प्रभा ने कहा आचार्य सम्राट जयमल जी महाराज द्वारा रचित बड़ी साधु वंदना के विषय पर चल रहा है। विनय सभी गुणों का आभूषण है। जैसे आकाश का आभूषण सूर्य है, कमलवन का आभूषण भ्रमर है वाणी का आभूषण सत्य है, वैभव का आभूषण दान है मन का भूषण निर्मलता, पवित्रता है सज्जन का मूषण सुभाषित है।

इसी तरह सब गुणों का भूषण विनय है विनयशील व्यक्ति कुछ नहीं देकर भी प्रेम और विश्वास अर्जित कर लेता है. जबकि विनयहीन विशिष्ट पदार्थ देकर भी प्रेम को तोड़ देता है। उत्तराध्ययन सूत्र – 21 वें अध्ययन में सम्यक्त्व पराक्रम के 10-11वे सूत्र में प्रभु महावीर से गौतम स्वामी के संदर्भ में धर्म सभा में संबोधित करते हुए कहा प्राणी मात्र को वंदन करने से जीव को लाभ प्राप्त होता हे शुद्ध एवं पवित्र भाव से वंदन नमस्कार करने से उच्च गौत्र तीर्थकर नामकर्य का उपार्जन हो जाता है।

भक्ति रस की एक अमर रचना है इसका पहला शब्द नमु यानी नमन प्रणाम होता है जिनके जीवन में विनय है वह विनम्रता से वह सभी को जीत लेता है विनम्रता जीवन का अनमोल गहना है सभी धर्म का मूल ही विनय है जिससे हम धर्म मानते हैं उसमें विनय का होना अत्यंत आवश्यक है। गुरु मधुकर मनोहर शिष्या डॉ सुमंगल प्रभा ने जय आनंद मधुकर रतन भवन की धर्म सभा को संबोधित करते हुए आगे कहा हम सभी के जीवन में आज विनय का बहुत ही अभाव है अनुशासन में जीवन हमेशा सद्गति की ओर ले जाता है अनुशासनहीनता का आज सभी जगह बोल वाला है आज व्यक्ति का रहन-सहन खान-पान आचार विचार सब कुछ भौतिकता की चकाचौंध में परिवर्तित हो गया है और यही हमारे विनाश का कारण बन रहा है।

साध्वी सुवृद्धि एवं साध्वी रजत प्रभा ने धर्म सभा को संबोधित किया साध्वी ने कहा अपने-अपने कर्मों के हिसाब से जीवन में सुख दुख का आना जाना चलता रहता है जो जीवन के अंतिम क्षण तक चलता है हमारा हमेशा ऐसा प्रयास होना चाहिए कि हम हमेशा सदका कार्य की ओर लग रहे हमारा देश हमेशा सकारात्मक की ओर बने रहना चाहिए हम अपने जीवन के उत्थान के लिए सदकार्य करना चाहिए।

आध्यात्मिक वर्षावास 2024 में जय आनंद मधुकर रतन भवन में त्याग और तपस्या का दौर चातुर्मास लगने के साथ हीप्रारंभ हो गया है सरला छत्तीसाबोहरा,नीलम बाफना अरिहंत संचेती महेंद्र संचेती श्रेयांस संचेती लेखा संचेती  नमिता संचेती आठ उपवास की तपस्या की ओर अग्रसर है जय आनंद मधुकर रतन भवन में चातुर्मास के बाद से ही एकासना, आयंबिल की तपस्या भी गतिमान है प्रतिदिन 11 घंटे के नवकार महामंत्र का जाप अनुष्ठान भी आध्यात्मिक वातावरण में हर्ष और उल्लास के साथ चल रहा है आज जाप के लाभार्थी परिवार धीसुलाल जी पारख परिवार थे।

Markandey Mishra

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