– उमेश चतुर्वेदी
दिल्ली (ग्रामयात्रा छत्तीसगढ़ )। बजट की तैयारियों के बीच सोशल मीडिया पर एक खबर जुगनू की तरह आई और तत्काल लुप्त हो गई थी। जिसने जुगनू के उस प्रकाश को देखा और उसके संकेतों को समझने की कोशिश की थी, उन्हें इस बात का आभास हो गया था कि आम बजट में क्या होने जा रहा है। सोशल मीडिया पर आए उस समाचार में कहा गया था कि केंद्र सरकार के प्रति मध्य वर्ग पहले की तरह उत्साही नहीं है। किंचित वह केंद्र सरकार के कामकाज और सरकार की ओर से हो रही बेरूखी से वह परेशान और निराश है। सोशल मीडिया पर मध्य वर्ग की ऐसी प्रतिक्रियाओं पर मोदी की नजर रहती है। इसे देखते हुए उन्होंने अपने मंत्रियों से कहा था कि वे लोगों से सीधा संवाद करें। सोशल मीडिया यही खबर थी। लेकिन इस खबर के संकेत साफ थे। आम बजट में मध्य वर्ग को राहत मिलने के आसार तभी दिखने लगे थे। निर्मला सीतारमण की ओर से बारह लाख 75 हजार रूपए तक की आय पर मिली आयकर छूट को इसी संदर्भ में देखा जाना चाहिए।
दिल्ली में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं और कुछ महीनों बाद देश की राजनीति की धड़कन माने जाने वाली मगध की धरती यानी बिहार में भी चुनाव होना है। निर्मला सीतारमण की ओर से मिली आयकर छूट से सरकारी कर्मचारियों की भी राजधानी मानी जाने वाली दिल्ली चुनाव पर असर पड़ना तय माना जा रहा है। शायद यही वजह है कि अरविंद केजरीवाल मोदी सरकार के बजट से खुश नहीं हैं और कह रहे हैं कि इस बजट से आम लोगों को कोई राहत नहीं मिली है। इस बजट में बिहार को बहुत कुछ मिला है। निर्मला सीतारमण ने बजट प्रस्ताव में बिहार के किसानों के लिए मखाना बोर्ड का एलान किया है। इससे बिहार के मखाना किसानों को राहत मिलने के आसार है। इसके उत्पादन, प्रोसेसिंग, वैल्यू एडिशन और मार्केटिंग के अवसर बढ़ेंगे। जाहिर है कि इसका सीधा फायदा बिहार के ही लोगों को मिलेगा। बजट प्रस्तावों में मखाना निकालने के काम में लगे लोगों के लिए भी सरकारी राहत की बात की गई है। यानी मखाना उत्पादक, उसके वितरक और उसके कामगार, सबको राहत और मौका देने की बात की गई है। प्रस्तावित मखाना बोर्ड की एक और जिम्मेदारी होगी। वह किसानों को प्रशिक्षण और सहयोग भी देगा। साथ ही उन्हें सरकार की तरफ से मिलने वाले फायदों को भी सुनिश्चित करेगा।