बिलाईगढ़ । बिलाईगढ़ क्षेत्र के खुरसुला गांव में अवैध कब्जा हटाने के दौरान एक व्यक्ति ने तहसीलदार और पटवारी पर प्रताड़ना का आरोप लगाते हुए जहर सेवन कर लिया। इस घटना के बाद तहसीलदार की टीम ने उसे तुरंत सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया, जहां प्राथमिक उपचार के बाद उसे बिलासपुर रेफर कर दिया गया।
पीड़ित व्यक्ति का आरोप है कि तहसीलदार और पटवारी द्वारा उसे प्रताड़ित किया जा रहा था, जिससे तंग आकर उसने यह कदम उठाया। साथ ही, उसने तहसीलदार पर 50,000 रुपये रिश्वत मांगने का गंभीर आरोप भी लगाया। पीड़ित के परिजनों का भी कहना है कि उन्होंने अवैध कब्जा हटाने की शिकायत कलेक्टर के पास की थी, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। इसके बजाय तहसीलदार ने पीड़ित के मकान और बाड़ी को जेसीबी से तोड़ दिया।
पीड़ित का दावा है कि प्रशासन द्वारा अवैध कब्जा करने वाले एक शिक्षक को बचाने का प्रयास किया जा रहा है, जिसके कारण उनके घर और खेत में खड़ी फसलों को बार-बार नष्ट किया जा रहा है। दूसरी ओर, तहसीलदार और पटवारी ने सभी आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि यह कार्रवाई कलेक्टर के निर्देशानुसार की गई थी।
इस मामले ने प्रशासनिक प्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या कारण था कि एक महीने में प्रशासन को दो बार हस्तक्षेप करना पड़ा? कई अन्य अवैध कब्जे के मामले कार्यालय में लंबित पड़े हैं, लेकिन उन पर कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है? यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि क्या प्रशासन पीड़ित के आरोपों की जांच करेगा और दोषियों के खिलाफ उचित कार्रवाई करेगा।