सुरक्षाबलों के 250 से ज्यादा कैंप से बस्‍तर में ध्वस्त होगा नक्सलियों का गढ़

रायपुर । नक्सलियों के खिलाफ मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय सरकार लगातार आगे बढ़ रही है। यहां सुरक्षा और विकास के दोहरे मोर्चे पर काम हो रहा है। जल्द ही नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षाबलों के 250 से ज्यादा कैंप और नियद नेल्लानार योजना के तहत 58 नए कैंप स्थापित होंगे ताकि सड़क, स्कूल, स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सुविधाओं का दायरा बढ़ सके।

एक तरफ विकास और दूसरी तरफ बंदूक से नक्सलियों का किला ध्वस्त करने की रणनीति पर सरकार आगे बढ़ रही है। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने देश में मार्च 2026 तक नक्सलवाद के खात्मा का लक्ष्य रखा है। देश में सबसे अधिक नक्सल प्रभावित कोई क्षेत्र है तो वह बस्तर है।

ऐसे में राज्य-केंद्र दोनों का फोकस बस्तर की ओर है। अनुपात के हिसाब से देखें तो बस्तर देश में सबसे सैन्य संवेदनशील क्षेत्र बन चुका है, बस्तर डिवीजन में प्रत्येक नौ नागरिकों के पीछे एक पैरामिलिट्री का जवान तैनात कर दिया गया है।

भूपेश सरकार ने पांच साल में खाेले थे इतने कैंप

एक आंकड़े के मुताबिक बस्तर संभाग के सात जिलों के अतिसंवेदनशील क्षेत्रों में बीते पांच वर्ष यानी पूर्ववर्ती भूपेश सरकार में 80 नए सुरक्षा कैंप खोले गए थे।
अभी विगत नौ महीनों में साय सरकार ने 34 फारवर्ड सुरक्षा कैंपों की स्थापना की है। सुरक्षा बलों द्वारा 108 मुठभेड़ों में 159 नक्सलियों के शव और बड़ी मात्रा हथियार विस्फोटक सामग्री बरामद की गई है। चार नवीन सीआरपीएफ बटालियनें आवंटित हुई है।

नियद नेल्लानार योजना से पहुंच रहा विकास

साय सरकार ने नक्सल प्रभावित क्षेत्र में नियद नेल्लानार योजना शुरू की है। यहां के दूरस्थ और पिछड़े वनांचल इलाकों में मूलभूत सुविधाएं शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार के अलावा बुनियादी जरूरतों को पूरा करने का काम तेजी से हो रहा है।

नियद नेल्लानार योजना में नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में स्थापित नए कैंपों के आसपास के गांवों का चयन कर शासन के 12 विभागों की 32 कल्याणकारी योजनाओं के तहत आवास, अस्पताल, पानी, बिजली, पुल-पुलिया, स्कूल इत्यादि मूलभूत संसाधनों का विकास किया जा रहा है।

यहां के गरीब परिवारों को मुफ्त राशन देने का निर्णय भी लिया, जिसका लाभ बड़ी मात्रा में आदिवासी अंचलों के जरूरतमंद रहवासियों को मिल रहा है। तेंदूपत्ता वनवासियों की आजीविका का मजबूत स्रोत है, इससे होने वाली आमदनी को बढ़ाते हुए सरकार ने तेंदूपत्ता संग्रहण पारिश्रमिक दर 4000 रुपये प्रति मानक बोरा से 5500 रुपये प्रति मानक बोरा किया, जिसका लाभ चालू तेंदूपत्ता सीजन से ही 12 लाख 50 हजार से अधिक संग्राहकों को मिल रहा है।

जल्द शुरू होगी चरण-पादुका योजना

तेंदूपत्ता संग्राहकों के लिए छत्तीसगढ़ सरकार जल्द ही चरण पादुका योजना भी शुरू करने जा रही है, इसके साथ ही उन्हें बोनस का लाभ भी दिया जाएगा।

बीजापुर नक्सलियों द्वारा बंद 28 स्कूल अब मुख्यमंत्री साय की पहल से खुल गए हैं। स्थानीय बोलियों को सहेजने के उद्देश्य से 18 स्थानीय भाषा-बोलियों में स्कूली बच्चों की पुस्तकें तैयार की जा रही हैं। प्रथम चरण में छत्तीसगढ़ी, सरगुजिहा, हल्बी, सादरी, गोंड़ी और कुडुख में पाठ्यपुस्तक तैयार होंगे।

 

Markandey Mishra, Editor

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *