छत्तीसगढ़

उरगा नाका से बाल्को तक: खनिज विभाग की निष्क्रियता से फलफूल रहा अवैध रेत माफिया, करोड़ों का नुकसान और रेत चोरी में ये गाड़ियां शामिल

Listen to this article

 

 

कोरबा – जिले में अवैध रेत उत्खनन और परिवहन का खेल तेजी से बढ़ रहा है। कलेक्टर अजीत वसंत ने इस अवैध गतिविधि को रोकने के लिए कड़े निर्देश दिए हैं, लेकिन खनिज विभाग की निष्क्रियता और लापरवाही से यह धंधा बंद होने के बजाय और फल-फूल रहा है। रात के अंधेरे में ओवरलोड हाईवा गाड़ियों से बिना रॉयल्टी पर्ची के रेत चोरी कर बाल्को पहुंचाई जा रही है। शासन को करोड़ों रुपये के राजस्व का नुकसान हो रहा है, जबकि खनिज विभाग के अधिकारी और कर्मचारी इस ओर ध्यान देने के बजाय अपनी जिम्मेदारियों से भागते नजर आ रहे हैं।

 

रेत चोरी में शामिल गाड़ियों में CG 28 BP 9988, CG 10 BU 2405, CG 13 AT 2724, CG 10 BT 9031, CG 12 BM 6328, और CG 04 NQ 9369 प्रमुख रूप से शामिल हैं। इन गाड़ियों के जरिए रेत चोर खुलेआम नदियों से रेत खनन कर रहे हैं और उरगा नाका पार करते हुए बिना किसी रोक-टोक के बाल्को तक अवैध रेत पहुंचा रहे हैं। उरगा नाके पर खनिज विभाग द्वारा स्थापित जांच नाका केवल दिखावे का प्रतीक बनकर रह गया है। यहां तैनात नगर सैनिक और खनिज विभाग के कर्मचारी माफियाओं से मिलीभगत कर इस अवैध कारोबार को अनदेखा कर रहे हैं, जिससे रेत माफियाओं के हौसले और बुलंद हो गए हैं।

 

रेत माफियाओं के सरगना: कौन है इस अवैध धंधे के पीछे?

 

इस अवैध रेत कारोबार में दुर्ग के कुख्यात रेत माफिया बी एन साहू का नाम प्रमुखता से सामने आ रहा है। उसकी 6 ओवरलोड गाड़ियां बिना रॉयल्टी पर्ची के रोज़ाना बाल्को पहुंच रही हैं। बी एन साहू का नेटवर्क कोरबा से लेकर चांपा तक फैला हुआ है, और वह खनिज विभाग की निष्क्रियता का पूरा फायदा उठा रहा है। उसके साथ जुड़े स्थानीय रेत चोर भी इस धंधे से मोटा मुनाफा कमा रहे हैं, और शासन को लगातार राजस्व हानि हो रही है। बी एन साहू और उसके गुर्गों ने रेत चोरी को एक संगठित अपराध बना दिया है, और खनिज विभाग की सुस्त कार्रवाई से उन्हें किसी तरह का डर नहीं है।

 

पुलिस और खनिज विभाग की लापरवाही

 

खानापूर्ति के तौर पर खनिज विभाग कभी-कभार कुछ औपचारिक कार्रवाई जरूर करता है, लेकिन यह कार्रवाई सिर्फ कागजी साबित होती है। अवैध रेत परिवहन पर लगाम लगाने की जिम्मेदारी खनिज विभाग की है, लेकिन उनके अधिकारी और कर्मचारी इस जिम्मेदारी से पीछे हट रहे हैं। उरगा नाका पर तैनात नगर सैनिकों की भूमिका संदेहास्पद है, क्योंकि उनके सामने से ओवरलोड गाड़ियां बिना जांच के आसानी से पार हो जाती हैं। यह सब देखकर ऐसा लगता है जैसे खनिज विभाग और रेत माफिया के बीच कोई गहरा गठजोड़ हो, जिसके कारण यह अवैध धंधा तेजी से फल-फूल रहा है।

 

इसी के साथ पुलिस की भूमिका भी सवालों के घेरे में है। रेत माफियाओं के खिलाफ पुलिस की कार्रवाई सिर्फ दिखावे की बनकर रह गई है। जब भी अवैध रेत परिवहन की सूचना मिलती है, पुलिस केवल कुछ गाड़ियों को पकड़कर औपचारिकता पूरी करती है, जबकि बड़े पैमाने पर हो रही चोरी पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया जाता। पुलिस और खनिज विभाग की इस लापरवाही का खामियाजा नदियों और सड़कों को भुगतना पड़ रहा है।

 

सड़कों और नदियों को हो रहा भारी नुकसान

 

ओवरलोड हाईवा गाड़ियों में रेत ढोने के लिए माफियाओं ने गाड़ियों में अतिरिक्त डाला जोड़ रखा है, ताकि ज्यादा से ज्यादा रेत भरकर अधिक मुनाफा कमाया जा सके। इसका नतीजा यह हो रहा है कि जिले की सड़कों को भारी नुकसान पहुंच रहा है। जगह-जगह सड़कों पर गड्ढे बन गए हैं और यातायात के लिए खतरा पैदा हो रहा है। इसके अलावा, रेत माफियाओं द्वारा नदियों से अवैध रूप से रेत निकाली जा रही है, जिससे नदियों का पारिस्थितिकी तंत्र बिगड़ता जा रहा है। यह न केवल नदियों के अस्तित्व के लिए संकट पैदा कर रहा है, बल्कि भविष्य में भूजल स्तर पर भी इसका नकारात्मक असर पड़ सकता है।

 

अवैध रेत उत्खनन पर रोक क्यों नहीं लग रही?

 

प्रशासन की ओर से कई बार यह दावा किया गया है कि अवैध रेत उत्खनन पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई है, लेकिन जमीनी हकीकत इससे बिल्कुल उलट है। नदियों का सीना चीरकर रोजाना हजारों टन रेत निकाली जा रही है, और प्रशासन इस पर अंकुश लगाने में पूरी तरह नाकाम साबित हो रहा है। लगातार हो रही शिकायतों के बावजूद खनिज विभाग सिर्फ खानापूर्ति में लगा हुआ है।

 

प्रदेश में रेत उत्खनन पर रोक होने के बावजूद, खनिज विभाग और पुलिस की लापरवाही से यह अवैध कारोबार तेजी से बढ़ रहा है। अब देखना यह है कि कब तक शासन और प्रशासन इस पर ध्यान देकर ठोस कार्रवाई करते हैं। जिले की नदियों और सड़कों को बचाने के लिए जरूरी है कि खनिज विभाग और पुलिस आपसी समन्वय से सख्त कदम उठाएं और रेत माफियाओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करें।

 

जब तक खनिज विभाग और पुलिस इस अवैध धंधे पर लगाम नहीं लगाते, तब तक रेत माफिया जिले की नदियों और सड़कों को नुकसान पहुंचाते रहेंगे, और शासन को राजस्व का भारी नुकसान होता रहेगा।

Markandey Mishra

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also
Close