बिलासपुर। पेंड्रा वन क्षेत्र में 3 करोड़ 80 लाख रुपये की रॉयल्टी गड़बड़ी से जुड़े मामले में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने वन विभाग की ओर से रॉयल्टी रसीदें प्रस्तुत न किए जाने पर कड़ी नाराजगी जताई। सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान वन विभाग द्वारा एक भी रसीद कोर्ट में पेश नहीं की गई। विभाग का कहना है कि रॉयल्टी संबंधित दस्तावेज उनके दफ्तर में सुरक्षित हैं।
मामला पेंड्रा के वन क्षेत्र में 121 एनिकटो (छोटे बांध) के निर्माण से जुड़ा है, जिसके लिए बड़ी मात्रा में रेत और गिट्टी जैसे खनिजों की आपूर्ति ट्रकों और हाइवा के माध्यम से की गई थी। नियमों के मुताबिक, हर वाहन से रॉयल्टी रसीद लेकर ही भुगतान होना था, लेकिन बिना रसीदों के ही भुगतान कर दिया गया, जिससे सरकार को 3.80 करोड़ रुपये की हानि हुई।
सामाजिक कार्यकर्ता पुष्पराज सिंह ने इस अनियमितता के खिलाफ आरटीआई दाखिल की थी, जिसके बाद माइनिंग विभाग ने जांच शुरू की। सिंह ने इस मामले में हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की, जहां मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और जस्टिस गुरु की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई की। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को सरकार के जवाब पर प्रत्युत्तर दाखिल करने का निर्देश दिया और अगली सुनवाई तीन सप्ताह बाद तय की।