स्थानांतरण विवाद में हाईकोर्ट का हस्तक्षेप, यथास्थिति बनाए रखने का आदेश
बिलासपुर : दुर्ग जिले के औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (आईटीआई) में प्राचार्य के पद पर पदस्थ अनिल कुमार टेंमभेकर के स्थानांतरण मामले में छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने हस्तक्षेप करते हुए यथास्थिति बनाए रखने का आदेश पारित किया है।
गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ शासन द्वारा 6 जनवरी 2025 को आदेश जारी कर अनिल कुमार टेंमभेकर का स्थानांतरण आईटीआई दुर्ग से आईटीआई अंतागढ़ (जिला कांकेर) कर दिया गया था। इस आदेश के खिलाफ श्री टेंमभेकर ने माननीय न्यायालय में याचिका दाखिल की थी। न्यायालय ने पहले आदेश दिया था कि याचिकाकर्ता 10 दिनों के भीतर सक्षम अधिकारी के समक्ष अभ्यावेदन प्रस्तुत करें और उस पर 30 दिनों में निर्णय लिया जाए।
इसके अनुपालन में अनिल कुमार टेंमभेकर द्वारा प्रस्तुत अभ्यावेदन को 19 मार्च 2025 को संचालक, रोजगार एवं प्रशिक्षण द्वारा यह कहते हुए अमान्य कर दिया गया कि स्थानांतरण नीति का उल्लंघन नहीं हुआ है। इस निर्णय के विरुद्ध श्री टेंमभेकर ने अधिवक्ताओं मतीन सिद्दीकी और नरेंद्र मेहेर के माध्यम से उच्च न्यायालय में पुनः याचिका दायर की।
याचिका में प्रमुख आधार यह रखा गया कि याचिकाकर्ता की आयु 57 वर्ष है, जबकि सामान्य प्रशासन विभाग के 3 जून 2015 के परिपत्र की कंडिका 1.5 के अनुसार 55 वर्ष से अधिक आयु के कर्मचारियों को यथासंभव दुर्गम अनुसूचित क्षेत्र में पदस्थ नहीं किया जाना चाहिए। साथ ही कंडिका 1.3 में यह भी उल्लेखित है कि यदि कर्मचारी पहले से अनुसूचित क्षेत्र में सेवा दे चुका हो, तो उसे गैर-अनुसूचित क्षेत्र में पदस्थ किया जाए।
श्री टेंमभेकर ने अपनी याचिका में यह भी दर्शाया कि उन्होंने वर्ष 1998 से 2006 तक सरगुजा (अंबिकापुर) जैसे अनुसूचित क्षेत्र में सेवाएं दी हैं। इस पृष्ठभूमि में पुनः दुर्गम क्षेत्र अंतागढ़ में स्थानांतरण किया जाना अनुचित है।
याचिका पर सुनवाई करते हुए माननीय न्यायमूर्ति बी.डी. गुरु ने शासन को निर्देशित किया कि याचिकाकर्ता 10 दिनों में वरिष्ठ सचिवों की समिति के समक्ष अपना अभ्यावेदन प्रस्तुत करें तथा समिति द्वारा 20 दिनों के भीतर निर्णय लिया जाए। साथ ही इस अवधि तक अनिल कुमार टेंमभेकर की वर्तमान पदस्थापना में यथास्थिति बनाए रखने का आदेश भी पारित किया गया।
इस प्रकार न्यायालय ने हस्तक्षेप कर मामले का अंतरिम निराकरण कर दिया है।