हाथी प्रभावितों ने चोटिया चौक में तीन घंटे रखा चक्का जाम

पोडी़  ।  कटघोरा वनमंडल क्षेत्र में हाथियाें के कारण हो रहे नुकसान के विराेध में क्षेत्र के ग्रामीणों ने ग्राम चोटिया चौक में चक्का जाम कर दिया। कोरबी-चोटिया मार्ग में आवागमन तीन घंटे बाधित रहा।

18 सूत्रीय मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे ग्रामीणों ने 15 दिन के भीतर निदान नहीं होने पर फिर से प्रदर्शन करने की चेतावनी देकर प्रदर्शन समाप्त किया।

जिले के कटघोरा वनमंडल अंतर्गत केंदई रेंज में 48 हाथियों का दल लगातार डेरा डालकर ग्रामीणों के फसल को नुकसान पहुंचा रहा है। जिससे क्षेत्र के ग्रामीण काफी परेशान हैं। ग्रामीणों ने प्रदर्शन की चेतावनी पहले ही एसडीएम पोड़ी उपरोड़ा को ज्ञापन सौंपकर दी थी।

पूर्व निर्धारित कार्यक्रमों के अनुसार चोटिया, कोरबी एवं आसपास के हाथी प्रभावित गांव के लोग आज सुबह चोटिया चौक पर एकत्रित हुए और धरना देने के साथ चक्काजाम कर दिया। मौके पर उपस्थित केंद्रई वन परिक्षेत्राधिकारी अभिषेक दुबे, पोड़ी उपरोड़ा तहसीलदार सुमनदास मानिकपुरी, बांगो टीआई उषा सोनाडिया, जेई मंजू कंवर आदि उपस्थित थे।

इन मांगों को लेकर किया प्रदर्शन

किसान जिन मांगों को लेकर प्रदर्शन किया है उनमें हाथियों को रिजर्व एरिया मे रखा जाए। प्रत्येक गांव में सोलर फेंसिंग की व्यवस्था की जाए, फसल क्षति राशि बढाकर 1.50 लाख प्रति हेक्टेयर कि जाए, बिजली आपूर्ति की व्यवस्था दुरूस्त कर सोलर लाइट मुहैया कराई जाए, मुवावजा प्रकरण मे हो रहे धांधली कि जांच कर पात्र किसानों का प्रकरण जल्द से जल्द बनाई जाए। हाथी प्रभावित क्षेत्रो मे जिला व संभाग स्तर के अधिकारियो का दौरा सुनिश्चित होनी चाहिए ताकि जमीनी हकीकत व परेशानीयों से वे भी रूबरु होते रहें। फसल की क्षति पूर्ति प्रकरण में तत्परता बरती जाए। जनहानि व पशु हानि कि राशि मे भी वृद्धि कि जाए।

रात भर में किया तीस एकड़ फसल को नुकसान

अलग अलग टुकड़िया में विचरण कर रहे हाथियों का दल अब एक साथ मिल गया है। 48 की संख्या में एक साथ घूम रहे हाथियों को लेकर ग्रामीणाें भय का वातावरण देखा जा रहा है। शुक्रवार की रात हाथियों ने कोरबी के निकट रोदे, खड़फड़ी पारा में 30 एकड़ फसल को नुकसान पहुंचाया है। वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि हाथी के दो बच्चे का जन्म होने कारण झुण्ड अभी एक ही जगह पर है। दल पर नियमित निगरानी रखी जा रही है। लाेगों से आग्रह किया जा रहा है कि वे जंगल की ओर न जाएं।

 

Markandey Mishra, Editor

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