छत्तीसगढ़

एक पेड़ माँ के नाम जिला स्तरीय वृक्षारोपण कार्यक्रम का आयोजन

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विश्व पर्यावरण दिवस

दुर्ग (ग्रामयात्रा छत्तीसगढ़ )। विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर जिले में “एक पेड़ माँ के नाम“ अभियान के अंतर्गत वृक्षारोपण कार्यक्रम का भव्य आयोजन किया गया। यह जिला स्तरीय कार्यक्रम ग्राम अंजोरा (ख) स्थित डी.पी.आर.सी. भवन परिसर में संपन्न हुआ, जिसमें जनप्रतिनिधियों, अधिकारियों और बड़ी संख्या में ग्रामीणों ने भाग लिया।

इस अवसर पर संभागायुक्त  सत्यनारायण राठौर और कलेक्टर  अभिजीत सिंह ने पौधारोपण कर अभियान की शुरुआत की। विधायक  ललित चंद्राकर तथा अन्य जनप्रतिनिधियों व अधिकारियों ने भी वृक्षारोपण कर इस मुहिम में सहभागिता निभाई। परिसर में पौधे आम, जामुन, अमरूद, नींबू, कटहल, बेल, आंवला, करौंदा, बादाम और अनार सहित अनेक फलदार और छायादार पौधों का रोपण किया गया। जनपद दुर्ग में 550, पाटन में 2160 तथा धमधा क्षेत्र में महात्मा गांधी नरेगा योजना के अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्रों में वृक्षारोपण किया गया। इस अभियान के तहत हजारों पौधे लगाए गए और लोगों को पर्यावरण के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाने के लिए प्रेरित किया गया।

संभागायुक्त  राठौर ने नागरिकों से आग्रह किया कि वे आगे आकर इस अभियान में भाग लें, अधिक से अधिक पेड़ लगाएं और अपने बच्चों को भी पर्यावरण के प्रति संवेदनशील बनाएं। हमें मिलकर आने वाली पीढ़ियों के लिए एक स्वच्छ वातावरण का निर्माण करना है। यह पहल केवल पौधारोपण तक सीमित नहीं होनी चाहिए, बल्कि हमें इन पौधों के संरक्षण और संवर्धन का भी संकल्प लेना चाहिए। वृक्ष हमारे जीवन के लिए अति आवश्यक है। ये न केवल शुद्ध हवा प्रदान करते हैं, बल्कि जल, भूमि और जैव विविधता की रक्षा भी करते हैं।

कलेक्टर श्री सिंह ने ग्रामीण वासियों से अपील की कि वर्षा ऋतु प्रारंभ होने से पहले अधिक से अधिक संख्या में पौधे लगाएं। उन्होंने कहा कि यदि हम आज पौधे नहीं लगाएंगे, तो भविष्य में हमें मरुस्थलीकरण जैसी स्थिति का सामना करना पड़ सकता है। पर्यावरण की रक्षा के लिए यह जरूरी है कि हर व्यक्ति अपने घर के आसपास पौधे लगाए और उनकी देखभाल करे। वृक्षारोपण केवल एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि एक जिम्मेदारी है जो हर नागरिक को निभानी चाहिए।

यह एक आंदोलन है जो जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों से हमें बचा सकता है और धरती को फिर से हरा-भरा बना सकता है। वृक्ष लगाना आज के समय में सिर्फ एक सामाजिक दायित्व नहीं, बल्कि भविष्य की रक्षा के लिए एक अनिवार्य कार्य बन चुका है। इसके अलावा विभागीय अधिकारियों ने भी अपने-अपने कार्यालय परिसरों में पौधारोपण कर इस अभियान में सक्रिय भागीदारी निभाई।

 

Markandey Mishra

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