अपराधछत्तीसगढ़राजनीती

कोरबा में जटराज पोखरी पर कब्जे की साज़िश ! सत्ता पक्ष के बड़े नेता का खेला जारी — राखड़ माफियाओं के आगे प्रशासन नतमस्तक

Listen to this article

कोरबा में जटराज पोखरी पर कब्जे की साज़िश ! सत्ता पक्ष के बड़े नेता का खेला जारी — राखड़ माफियाओं के आगे प्रशासन नतमस्तक

कोरबा। जिले के सर्वमंगला-कनकी मार्ग पर स्थित ऐतिहासिक जटराज पोखरी पर एक सुनियोजित साज़िश रची जा रही है। सूत्रों की मानें तो इस पूरे खेल के पीछे सत्ता पक्ष के एक बड़े नेता का संरक्षण है। उसके इशारे पर निजी कंपनी पिछले एक हफ्ते से पोखरी का लाखों लीटर पानी पंपों से बाहर फेंक रही है, ताकि वहां राखड़ पटवाया जा सके।

हैरानी की बात ये है कि पूरा प्रशासन और संबंधित प्लांट प्रबंधन इस नेता के आगे नतमस्तक है। नतीजा — ग्रामीणों के विरोध के बावजूद किसी की हिम्मत कार्रवाई करने की नहीं हो रही।

स्थानीय सूत्रों ने दावा किया है कि इस खदान को राखड़ डंपिंग ग्राउंड बनाने की पूरी योजना सत्ता पक्ष के एक प्रभावशाली नेता के संरक्षण में चल रही है। प्रक्रिया से लेकर अनुमति तक सब उसी के इशारे पर एक समर्थक के फर्म को उपकृत करने के लिए मैनेज हो रही है।

जटराज पोखरी के आसपास के ग्रामीण पिछले 7 दिन से लगातार विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि पोखरी को सुखाकर राखड़ पाटना क्षेत्र की जीवनरेखा को बर्बाद करना है। ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि अगर जल्द इस साज़िश पर रोक नहीं लगी तो वे उग्र आंदोलन करेंगे।

50 साल पुराना है जलस्रोत — जीवनरेखा को खत्म करने की साज़िश

स्थानीय लोगों का कहना है कि जटराज पोखरी पिछले 50 साल से इस इलाके के लोगों की जीवनरेखा है। यहां से पीने, निस्तारी और पशुपालन के लिए पानी लिया जाता है। अब निजी स्वार्थ के लिए इस जलस्रोत को खत्म किया जा रहा है। ग्रामीणों ने आशंका जताई है कि अगर प्रशासन ने इसी तरह आंख मूंदे रखी, तो जल्द ही यह जनाक्रोश बड़े आंदोलन का रूप ले सकता है।

बरडीह तालाब भी पाट चुके हैं राखड़ माफिया, कार्रवाई शून्य

गौरतलब है कि कुछ साल पहले बरडीह गांव में मनरेगा से बना तालाब भी ऐसे ही पिछली सरकार के गुडबुक में रहे राखड़ माफियाओं ने पाट दिया था। शिकायत के बाद भी कार्रवाई नहीं हुई। इससे इनके हौसले और बुलंद हो गए हैं। अब खुलेआम जलस्रोतों को निशाना बनाया जा रहा है।

बेलगरी नाला दूषित, हसदेव नदी पर मंडरा रहा खतरा

बेलगरी नाला पहले ही राखड़ के जहर से दम तोड़ चुका है। अब हसदेव नदी में लगातार राखड़ मिलाया जा रहा है। अगर जटराज पोखरी भी राखड़ का डंपिंग ग्राउंड बना दिया गया तो बरसात में राख बहकर हसदेव नदी तक पहुंचेगी। इससे कोरबा और आसपास के इलाके के हजारों लोगों के स्वास्थ्य और पर्यावरण पर गंभीर असर होगा।

सभापति नूतन ठाकुर ने जताई नाराज़गी — प्रशासन पर सवाल

नगर पालिक निगम कोरबा के सभापति नूतनसिंह ठाकुर ने कलेक्टर और पर्यावरण संरक्षण अधिकारी को पत्र लिखकर इस पूरे मामले पर नाराज़गी जताई है। उन्होंने कहा कि सरकार एक तरफ तालाबों के संरक्षण और सरोवर धरोहर योजना पर करोड़ों खर्च कर रही है और इधर कोरबा में सरेआम जलस्रोतों को तबाह किया जा रहा है।

जल स्रोतों की बर्बादी की खुली छूट! कब जागेगा प्रशासन ?

कोरबा में लगातार जलस्रोतों को खत्म करने की साज़िश हो रही है। प्रशासन तमाशबीन बना बैठा है और सत्ताधारी नेता का संरक्षण पाकर राखड़ माफिया बेलगाम हो चले हैं। अगर वक्त रहते इसपर रोक नहीं लगी तो कोरबा जल आंदोलन की आग में झुलसेगा और इसकी पूरी ज़िम्मेदारी जिला प्रशासन और सत्ता पक्ष पर होगी। कोरबा के सभी जिम्मेदार राजनेताओं को इसके लिए बुलंद आवाज मुखर करना चाहिए

Markandey Mishra

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also
Close