छत्तीसगढ़

बिना अनुमति जटराज पोखरी से बहा दिया करोड़ो लीटर पानी, पोखरी पर राख डाल कब्जे की हो रही साजिश बेनकाब — प्रशासन मौन, ग्रामीण उग्र

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कोरबा। छत्तीसगढ़ का ऊर्जा राजधानी कहलाने वाला कोरबा अब औद्योगिक माफियाओं के गंदे खेल का मैदान बनता जा रहा है। सर्वमंगला-कनकी मार्ग पर स्थित ऐतिहासिक जटराज पोखरी को मिटाकर वहां राखड़ पाटने की साज़िश चल रही है। यह काम एक प्रभावशाली ठेकेदार  का है — और इस पूरे प्रकरण के पीछे सीधे-सीधे कब्जे की मंशा बताई जा रही है। जो बिना अनुमति करोड़ो लीटर पानी बहा दिया गया है।

ग्रामीणों और सूत्रों की मानें तो  ठेकेदार की योजना इस जलस्रोत को मिटाकर राखड़ का डंपिंग ग्राउंड बनाने की है। इसके लिए पिछले एक हफ्ते से चार बड़े मोटर पंप लगाकर दिन-रात करोड़ों लीटर पानी निकालकर बर्बाद किया जा रहा है। इस पूरे काम की जिम्मेदारी ने अपने कोरबा के एक खास ठेकेदार को सौंपी है।

सालों पुरानी योजना, अब नई सरकार में मिली रफ्तार

जानकारी के मुताबिक, इस जलस्रोत को पाटने की साजिश पिछली कांग्रेस सरकार के समय ही तैयार कर ली थी। परंतु विरोध और कुछ प्रशासनिक अड़चनों के चलते इसे रोका गया था। अब जब सत्ता बदली है और प्रदेश में ‘सुशासन’ की सरकार आई है, तो ठेकेदार ने फिर से इस योजना को अमलीजामा पहनाना शुरू कर दिया है।

एक्टिविस्ट कहते है कि राखड़ माफिया जलस्रोतों को अपनी आंख की किरकिरी समझते हैं। क्योंकि जब तक पानी रहेगा, तब तक खदान में राखड़ नहीं भरी जा सकती। और यही वजह है कि अब खुलकर जलस्रोतों को बर्बाद किया जा रहा है।

चहेते ठेकेदार के जरिये चल रहा अवैध जलनिकासी अभियान

पूरे प्रकरण में ठेकेदार की टीम दिन-रात चार भारी-भरकम मोटर पंपों के जरिए करोड़ों लीटर पानी निकाल रही है। ना किसी की अनुमति ली गई, ना ही प्रशासन की परवाह की जा रही।

सवाल ये है कि ठेकेदार को किसने यह हक दे दिया कि वह ग्रामीणों के सार्वजनिक जलस्रोत का पानी यूं ही बहा दे ? इससे न केवल ग्रामीणों की रबी-खरीफ फसलों की बुआई प्रभावित होगी, बल्कि पशु-पक्षियों और जंगली जानवरों के लिए भी पीने का पानी नहीं बचेगा।

आरोप — ठेकेदार और सत्ताधारी नेता की मिलीभगत

आरोप लगाया जा रहा है कि ठेकेदार को सत्ताधारी दल के एक प्रभावशाली नेता का संरक्षण हासिल है। यही वजह है कि खुलेआम जलस्रोत के साथ छेड़छाड़ हो रही है और प्रशासन आंख मूंदे बैठा है। कोई अधिकारी मौके पर झांकने तक नहीं आया।

क्षेत्रीय पर्यावरण अधिकारी की स्वीकारोक्ति नहीं दी है अनुमति

इस मामले में क्षेत्रीय पर्यावरण अधिकारी प्रमेन्द्र पाण्डेय ने खुद स्वीकार किया कि खदान को पाटने और राखड़ फिलिंग का आवेदन आया है, परंतु अब तक अनुमति नहीं दी गई है। ग्राम पंचायत, एसडीएम समेत सभी जरूरी विभागों से अनापत्ति मंगाई गई है। निगम सभापति नूतन सिंह की आपत्ति पत्र आई है जिसको जांच किया जाएगा। बावजूद बिना अनुमति के भी एक निजी ठेकेदार ने जलस्रोत खाली कराना शुरू कर दिया है।

यानि बिना अनुमति के ही सार्वजनिक जलस्रोत को मिटाने का दुस्साहस किया जा रहा है।

सभापति का पत्र भी दबा पड़ा, प्रशासन का मौन सवालों में

नगर पालिक निगम कोरबा की सभापति नूतन ठाकुर ने कलेक्टर और पर्यावरण संरक्षण विभाग को पत्र भेजकर इस पूरे मामले पर कड़ी नाराज़गी जाहिर की है। लेकिन प्रशासनिक अमला अब तक चुप्पी साधे बैठा है। स्पष्ट है कि या तो कार्रवाई रोकने के लिए दबाव है या जानबूझकर अनदेखी की जा रही है।

गांव के 6 तालाब पहले ही सूखे, अब आखिरी सहारा भी खतरे में

सोनपुरी और जटराज के ग्रामीणों के मुताबिक, इस बार गर्मी में गांव के 6 तालाब पहले ही सूख चुके हैं। अब यह आखिरी जलस्रोत भी खत्म हो गया तो रबी और खरीफ फसलों के लिए सिंचाई का संकट खड़ा हो जाएगा।

सिर्फ खेती ही नहीं, पशुओं, जीव-जंतुओं और आसपास के ग्रामीणों के लिए भी जल संकट गहराएगा।

पुराना रिकॉर्ड भी संदिग्ध

पहले भी बेलगरी नाला और बरडीह तालाब को राखड़ डंपिंग के नाम पर बर्बाद करने के आरोप लग चुके है। ब्लैक स्मिथ कम्पनी राखड़ परिवहन कर खुले में फेंकने के लिए मशहूर थी। कई शिकायतों के बावजूद किसी भी जिम्मेदार अधिकारी पर कार्रवाई नहीं हुई। अब खुलेआम पोखरी को निशाना बनाया जा रहा है।

ग्रामीणों की चेतावनी — उग्र आंदोलन की तैयारी

ग्रामीणों ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि अगर जल्द इस साजिश पर रोक नहीं लगी, तो वे सड़कों पर उतरेंगे और उग्र आंदोलन करेंगे।

“अगर जलस्रोत को मिटाने की कोशिश की गई, तो यह सिर्फ पानी का मुद्दा नहीं रहेगा — यह कोरबा के अस्तित्व का सवाल बन जाएगा।”


कोरबा में जलस्रोतों की लूट की खुली छूट !

कोरबा में जलस्रोतों को राखड़ माफियाओं के हवाले करने की खुली छूट मिल चुकी है। ठेकेदार अपनी मनमानी पर उतारू है और जिला प्रशासन किसी बड़े दबाव के आगे नतमस्तक दिख रहा है। अगर समय रहते इस साजिश को नहीं रोका गया तो आने वाले दिनों में कोरबा जल आंदोलन की आग में झुलसेगा।

और इसकी पूरी जिम्मेदारी जिला प्रशासन और ठेका प्रबंधन पर होगी।

दस्तावेजों के साथ होगा जल्द बड़ा खुलासा बने रहें ग्राम यात्रा न्यूज़ नेटवर्क के।साथ

Markandey Mishra

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