छत्तीसगढ़

दुग्ध संघ में करोड़ों की अनियमितता और घोटाले का आरोप कांग्रेस ने की जांच की मांग

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रायपुर। छत्तीसगढ़ दुग्ध संघ के अध्यक्ष रसिक परमार की नियुक्ति और वहां पर हो रहे अनिमियतता को लेकर कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता ने जांच की मांग को लेकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को ज्ञापन सौपा है। ज्ञापन में उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ दुग्ध संघ के अध्यक्ष के कार्यकाल के दौरान केन खरीदी, निजी कंपनियों को दुग्ध सप्लाई में कमीशनखोरी सहित अनेकों वित्तीय अनियमितता की गई है। जिससे दुग्ध संघ को अरबों का नुकसान हुआ है।
रसिक परमार के कार्यकाल में 40 करोड़ रुपए के केन की खरीदी की शिकायत पीएमओ से की गयी थी। प्रधानमंत्री कार्यालय के निर्देश पर 30 मार्च 2016 को छत्तीसगढ़ शासन ने उप दुग्ध आयुक्त एकीकृत डेयरी विकास परियोजना कबीरधाम के केके तिवारी को जांच अधिकारी नियुक्त कर पूरे मामले की जांच करवाई। जांच अधिकारी ने भी केन खरीदी में हुई गड़बड़ी और भ्रष्टाचार को सही पाया था तथा दुग्ध संघ के तत्कालीन प्रबंध संचालक एसएस गहरवार को दोषी पाया था। जांच रिपोर्ट पर आज तक कोई कार्यवाही नहीं हुई। केन खरीदी के इस घोटाले के समय रसिक परमार दुग्ध संघ के अध्यक्ष थे। इस पूरे भ्रष्टाचार को उनकी सहमति और सहभागिता के बिना अंजाम देना संभव नहीं था। रसिक परमार की इस घोटाले में संलिप्तता की जांच की जाये तथा पूर्व में हुई जांच के प्रतिवेदन पर दुग्ध संघ के अध्यक्ष रसिक परमार और डॉ. एसएस गहरवार के खिलाफ आपराधिक मुकदमा दर्ज किया जाये।
निजी कंपनियों को दुध बेचने से संघ को घाटा
दुग्ध संघ द्वारा निजी दुग्ध उत्पादक कंपनियों अमूल और वचन को दुग्घ उत्पाद की सप्लाई लागत मूल्य से कम में की जा रही है। छत्तीसगढ़ दुग्ध संघ दूध का उपार्जन और शोधन 37.40 रुपए में करता है। उसे 5 रुपए के घाटे में 32.40 रुपए में अमूल और वचन कंपनी को देता है जिससे दुग्ध संघ को 5 रुपए प्रति लीटर का नुकसान उठाना पड़ रहा है। वहीं दुग्ध महासंघ ने दुग्ध विक्रय में 20 प्रतिशत की विक्रय वृद्धि बढ़ाने अपने निकटस्थ लोगों की कंपनी छत्तीसगढ़ एग्रो नामक कंपनी के साथ अनुबंध करा कर इस कंपनी को कमीशन पर दुग्ध संघ का निजी भागीदार बना दिया। 20 प्रतिशत की बिक्री नहीं होने पर भी छत्तीसगढ़ एग्रो को भुगतान किया जाता रहा, इससे दुग्ध संघ को प्रतिदिन हजारों रुपए का नुकसान हो रहा था। वहीं दुग्ध संघ अपने खाते का संचालन रायपुर गुढ़ियारी स्थित काम्प्लेक्स में स्थित बैंक से होता है।
जीएम के विदेश दौरे का भुगतान संघ से
रसिक परमार ने अध्यक्ष रहते मलेशिया, चीन और जर्मनी का अध्ययन दौरा किया। इस दौरे में वे दुग्ध संघ के तत्कालीन महाप्रबंधक एसएस गहरवार को भी नियम विरूद्ध साथ ले गये थे जिस पर बाद में प्रशासनिक आपत्तियां भी आई। उन्होंने अपने पद का दुरूपयोग कर दुग्ध महासंघ के तत्कालीन महाप्रबंधक के विदेश दौरे का भी भुगतान महासंघ से करवाया।
अध्यक्ष की नियुक्ति अवैध
विधानसभा चुनाव के पहले सरकार बदलने के अंदेशा में नवंबर माह में रसिक परमार ने दुग्ध महासंघ की सामान्य सभा बुलाकर स्वयं को अध्यक्ष घोषित करवा लिया। इस सामान्य सभा में मात्र 27 सदस्य ही उपस्थित हुये जबकि दुग्ध महासंघ में कुल सदस्य संख्या लगभग 1500 है, सामान्य सभा में इनकी उपस्थिति होनी थी। मात्र 27 सदस्यों में तो कोरम भी पूरा नहीं होता है, ऐसे में रसिक परमार की नियुक्ति अवैध है।

Markandey Mishra

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