राखड़ माफिया ब्लैक स्मिथ कंपनी की फिर मनमानी उजागर, बालको का राखड़ ढेंगुर नाला में बहकर कर रहा हसदेव नदी को प्रदूषित

कोरबा, 30 अगस्त। बालको (भारत एल्यूमिनियम कंपनी) द्वारा उत्पन्न राखड़ का प्रदूषण हसदेव नदी के साथ-साथ आसपास के क्षेत्रों के लिए भी गंभीर संकट बन गया है। बालको ने सतरेंगा गांव के पास राखड़ को सुरक्षित रूप से डालने के निर्देश दिए थे, लेकिन ठेकेदार कंपनी ब्लैक स्मिथ ने इसे ढेंगुर नाला के किनारे फेंक दिया। बारिश के दौरान यह राखड़ नाले में बहकर हसदेव नदी में पहुंच रही है, जिससे नाले और नदी दोनों का पानी प्रदूषित हो गया है।

स्थानीय निवासियों का कहना है कि नाले में राखड़ भर जाने से उनका जीवन दूभर हो गया है। सतनाम नगर के निवासी संतोष कुमार, नंदू कुमार, राहुल ठाकुर, और प्रेम प्रजापति ने बताया कि ढेंगुर नाले का पानी पूरे मोहल्ले के लोग साल भर उपयोग करते हैं। अब नाले में राखड़ भर जाने से यह पानी दूषित हो गया है। संतोष कुमार का कहना है, “नाले का पानी हमारे लिए जीवनदायिनी था, लेकिन अब इसमें राखड़ मिल जाने से इसे उपयोग करना असंभव हो गया है। पूरा मोहल्ला इस समस्या से जूझ रहा है।”

एक अनुमान के मुताबिक, इस बारिश के मौसम में करीब 2 लाख टन राखड़ ढेंगुर नाले में बह गया है। नंदू कुमार ने कहा, “हमने प्रशासन से कई बार शिकायत की, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। राखड़ के कारण हमारी फसलें बर्बाद हो रही हैं, और पीने का पानी भी दूषित हो गया है।”

राहुल ठाकुर और प्रेम प्रजापति ने भी चिंता जताई कि यदि इस समस्या का समाधान जल्द नहीं हुआ, तो मोहल्ले के लोगों के स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है। उन्होंने कहा, “हमारे बच्चे इस प्रदूषित पानी के कारण बीमार हो रहे हैं। नाले का पानी अब किसी भी उपयोग के लायक नहीं बचा है।”

पर्यावरणविदों ने इस मुद्दे को लेकर गंभीर चिंता जताई है। उनका कहना है कि यदि इस समस्या का समाधान जल्द नहीं किया गया, तो यह पूरे क्षेत्र के लिए एक बड़ी पर्यावरणीय आपदा बन सकता है। हसदेव नदी के प्रदूषित होने से आसपास के क्षेत्र में जल संकट उत्पन्न हो सकता है और जैव विविधता पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।

बालको और ब्लैक स्मिथ के अधिकारियों से संपर्क किया गया, लेकिन उन्होंने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। स्थानीय प्रशासन भी इस मुद्दे पर निष्क्रिय दिखाई दे रहा है, जिससे निवासियों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है।

सतनाम नगर के निवासियों ने इस समस्या के खिलाफ आवाज उठाने और विरोध प्रदर्शन की योजना बनाई है। उनका कहना है कि यदि प्रशासन ने जल्द ही इस पर कोई कदम नहीं उठाया, तो वे बड़े पैमाने पर आंदोलन करेंगे।

यह स्थिति एक बार फिर सवाल खड़ा करती है कि क्या बड़े उद्योगों को अपने कार्यों से उत्पन्न पर्यावरणीय समस्याओं की परवाह है, या वे केवल अपने मुनाफे के पीछे भाग रहे हैं? अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस मामले में क्या कार्रवाई करता है और हसदेव नदी और ढेंगुर नाले को प्रदूषण से बचाने के लिए क्या कदम उठाए जाते हैं।

Markandey Mishra, Editor

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *