अवैध विज्ञापनकर्ताओं को संरक्षण देने का आरोप
कोरबा। नगर पालिक निगम की वादाखिलाफी व शासन की तय पालिसी अनुसार कार्य नहीं करने से त्रस्त होकर एक विज्ञापन कम्पनी के संचालक ने हाई-कोर्ट की शरण ली है।
कोरबा के एक विज्ञापन एजेंसी के संचालक निर्मल जैन ने बताया कि जिम्मेदार अधिकारियों के अलावा लिप्त लोगों के विरुद्ध संपूर्ण बातों का समावेश कर नगर पालिक निगम द्वारा राजपत्र में प्रकाशित आदर्श उपविधियों के तहत उनके द्वारा अपनी शक्तियों का उपयोग नहीं करने तथा अवैध विज्ञापन कर्ताओं या वे जो इसे प्रोत्साहन देते हैं के विरुद्ध पुलिस के पास प्राथमिकी FIR दर्ज नहीं करवाई गई एवं बार-बार प्रदर्शित हो रहे विभिन्न चौक चौराहों, सड़कों फुटपाथों, दीवारों रेलिंगों, खम्बों में अवैध होर्डिंग्स यत्र-तत्र प्रदर्शन करने दिया जबकि नगर निगम को अधिकृत एजेंसी के प्रोत्साहन में जनमानस को बार-बार अनेक माध्यम से वैध ही विज्ञापन करने हेतु मुनादी, प्रचार-प्रसार करवाना था, यह भी नहीं किया गया।
सिर्फ एक बार ही अखबारों में समाचार जारी कर अवैध प्रदर्शनकर्ताओं पर कड़ी कार्यवाही और पुलिस में प्राथमिकी / FIR दर्ज करने की चेतावनी अखबारों में प्रेस विज्ञप्ति मात्र छपवाकर खानापूर्ति की गई थी। जबकि राजपत्र अनुसार अवैध रूप से विज्ञापन को बढ़ावा देना या अवैध प्रदर्शन करना अधिनियम की धारा 248 के निबंधनों में अपराध जो 434 की धारा के निबंधन में दंडनीय है, यह आशय राजपत्र में प्रकाशित छ.ग. के राज्यपाल के नाम से तथा आदेशानुसार उप सचिव द्वारा स्पष्ट रूप से उल्लेखित है।