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अमेरिका की चेतावनी – रूस कभी भी यूक्रेन पर कर सकता है हमला

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व्हाइट हाउस ने कहा है कि रूस ने यूक्रेन की सीमा पर बड़ी संख्या में सैनिक भेजे हैं और वो ‘किसी भी वक्त यूक्रेन पर हमला कर सकता है.’ व्हाइट हाउस प्रवक्ता जेन साकी ने कहा कि यूक्रेन के लिए हालात बेहद ख़तरनाक बन रहे हैं.

उन्होंने कहा कि विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने मंगलवार को इस मुद्दे पर अपने रूसी समकक्ष सर्गेई लेवरॉव से चर्चा की है और दोनों नेताओं में जल्द जेनेवा में मुलाक़ात करने पर सहमति बनी है.

समाचार एजेंसी एएफ़पी के अनुसार ये मुलाक़ात शुक्रवार को होनी है. इससे पहले ब्लिंकन यूक्रेन और यूरोपीय देशों के प्रतिनिधियों से मुलाकातें कर रहे हैं.

जेन साकी ने कहा, “हमारा मानना है कि स्थिति बेहद ख़तरनाक है. हम अब उस स्टेज पर हैं जहां रूस कभी भी यूक्रेन पर हमला कर सकता है. अपने समकक्ष से चर्चा में विदेश मंत्री इस बात पर ज़ोर देंगे कि मामले को कूटनीतिक रास्ते से हल किया जाए. अब रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और रूसी नागरिकों को तय करना है कि वो आर्थिक प्रतिबंध चाहते हैं या नहीं.”

इधर नेटो ने चेतावनी दी है कि अगर रूस ने यूक्रेन के ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई की तो उसे इसकी भारी क़ीमत चुकानी पड़ेगी.

नेटो के महासचिव जेन्स स्टोल्टनबर्ग ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा है कि ये सैन्य गठबंधन यूक्रेन का साथ देगा और आत्मरक्षा के उसके हक़ का समर्थन करेगा.

उन्होंने रूस को चेतावनी दी कि यूक्रेन पर हमला किया तो उस पर आर्थिक और राजनीतिक प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं.

हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि वो रूस के साथ चर्चा करना चाहते हैं और उसकी सुरक्षा चिंताओं को समझना चाहते हैं.

उन्होंने कहा, “मैं रूस और नेटो के सभी सदस्य देशों को भविष्य में होने वाली नेटो रूसी काउंसिल की बैठक में शामिल होने का न्योता देना चाहता हूं. हम सुरक्षा को लेकर रूस की चिंताओं के बारे में चर्चा करना चाहते हैं और उसका पक्ष समझना चाहते हैं. हम रास्ता तलाशना चाहते हैं ताकि रूस यूक्रेन पर हमला न करे.”

इसी संवाददाता सम्मेलन में जर्मनी के चांसलर ओल्फ़ शोल्ज़ भी मौजूद था. उन्होंने कहा कि ऑर्गेनाइज़ेशन फ़ॉर सिक्योरिटी एंड कोऑपरेशन इन यूरोप (ओएससीई) के सदस्य के तौर पर हम चाहते हैं कि रूस सीमा पर तनाव कम करने की कोशिशें करे.

उन्होंने कहा, “हम सकारात्मक और स्थायी संबंध चाहते हैं और तनाव बढ़ाने में किसी की कोई दिलचस्पी नहीं है. ये ज़रूरी है कि रूस समेत हर सदस्य देश ओएससीई के मूल्यों का पालन करे और इसके प्रति अपनी प्रतिबद्धा दिखाए.”

तनाव को लेकर बढ़ती चिंताओं के बीच रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लेवरॉव ने कहा है कि रूस को ग़लत तरीके से पेश किया जा रहा है. उनका कहना है कि सीमा के पास सैनिकों का अभ्यास चल रहा है. लेकिन अमेरिका ने कहा है कि सैनिकों की संख्या ‘सामान्य से अधिक है.’

उन्होंने कहा, “यूक्रेन के मामले में जर्मनी और रूस की समझ मिंस्क समझौते के दायरे में रहकर है, इसका कोई विकल्प नहीं है. तनाव के लिए रूस को ज़िम्मेदार ठहराना ग़लत है. हमने हाल के दिनों में ऐसा देखा है कि मिंस्क समझौते का पालन न करने के लिए रूस को ज़िम्मेदार ठहराया जा रहा है. हमें उम्मीद है कि जर्मनी यूक्रेन में अपने पार्टनर्स से कहेगा कि वो इस समझौते का पूरी तरह पालन करें.”

फ्रांस और जर्मनी की मध्यस्थता से यूक्रेन के डोनबास इलाक़े में जारी तनाव को ख़त्म करने के लिए 2014 में मिंस्क समझौता हुआ था.

रूस इस बात की गारंटी चाहता है कि यूक्रेन को कभी नेटो का हिस्सा नहीं बनाया जाएगा.

ग़ौरतलब है कि रूस बड़ी मात्रा में जर्मनी को पाइपलाइन के ज़रिए गैस सप्लाई करता है और ये पाइपलाइन्स यूक्रेन से होकर गुज़रती हैं. अगर तनाव बढ़ा तो सप्लाई में बाधा आ सकती है. (bbc.com)

Markandey Mishra

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