पं. दीनदयाल उपाध्याय की जयंती की पुनीत बेला पर आज हम सब उनके मौलिक चिंतन की जब व्यापक रूप से चर्चा करेंगे, तब सशक्त नारी की भूमिका को लेकर पं. दीनदयाल के चिंतन की अनदेखी नहीं कर सकते। भारतीय चिंतन-परम्परा में मातृ-शक्ति की वंदना ‘यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते, रमन्ते तत्र देवता:’ कहकर की जाती है। पं. दीनदयाल का समूचा चिंतन सनातन भारतीय संस्कृति का उद्घोष करता है जिसमें नारी को उसकी समग्र सत्ता के परिप्रेक्ष्य में हर क्षेत्र में आगे आने के अवसर उपलब्ध कराने की प्रेरणा सन्निहित है। इस दृष्टि से हम भारत की समूची सनातन-परम्परा में नारी को उसकी विविध भूमिकाओं में अपनी स्वतंत्र सत्ता के साथ सहज ही स्वीकार करते हैं। आज नारी स्वतंत्रता के नाम पर पाश्चात्य संस्कृति ने इस देश की मातृ-शक्ति को अपनी उन गौरवशाली परम्पराओं से विमुख करने का जो षड्यंत्र चलाया है, उसका दुष्परिणाम अनेक रूपों में हमारे सामने है। भारतीय समाज जीवन की रचना में मातृ-शक्ति की महती भूमिका को एकमत से स्वीकार किया गया है तो यह स्वीकृति मातृ-शक्ति की सामाजिक, पारिवारिक, राजनीतिक, आर्थिक, संस्कृति आदि क्षेत्रों में नारी के योगदान की ही रही है। इस सत्य को स्वीकार तो सब करते हैं, लेकिन जब उनके योगदान के दृष्टिगत उन्हें सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक क्षेत्रों में सशक्त नेतृत्व के लिए प्रेरित करने की बात आती है तो दोहरे मानदंड नजर आते हैं। संसद और विधानमंडलों में महिला आरक्षण के विधेयक को लेकर उन तमाम राजनीतिक दलों के चेहरे बार-बार बेनकाब होते रहे, जो इस विधेयक के नाम पर सबसे ज्यादा ढोल पीटते रहे हैं। भारतीय राजनीति में आज भी महिलाओं की भूमिका को दोयम दर्जे में रखने के षड्यंत्र को तोड़ने में भारतीय जनता पार्टी ने जो क्रांतिकारी पहल की है, वह वस्तुत: पं. दीनदयाल के चिंतन से उद्भूत प्रेरणा का ही सुपरिणाम है।
पं. दीनदयाल का यह स्पष्ट मत था कि भारतीय राजनीति में पुरुषों की भांति महिलाओं को भी महत्त्व दिया जाना चाहिए। देश की रचना में उनका भी सहयोग मिलना चाहिए। भारतीय जनसंघ के संस्थापक पं. दीनदयाल परिवार के लिए परिवार प्रमुख के कन्धे से कन्धा लगाकर कष्ट उठाने की भारतीय महिलाओं की परम्परा का सम्मान करते थे। पं. दीनदयाल का मत था कि राजनीतिक क्षेत्र में कार्य करने वालों ने महिलाओं, उनकी समस्याओं तथा उनकी शक्ति का विचार नहीं किया तो वह समाज के आधे भाग की उपेक्षा करने जैसा होगा। नए भारत की रचना में ऐसी उपेक्षा कदापि नहीं की जा सकती। अतः उन्होंने जनसंघ का महिला मोर्चा स्थापित करने की ओर ध्यान दिया। जनसंघ के केवल रचनात्मक कार्यक्रमों में ही नहीं, अपितु आंदोलनात्मक कार्यक्रमों में भी महिला मोर्चे का सहभाग बहुत बड़ा रहा है। इसलिए पं. दीनदयाल के प्रयासों से महिलाओं के लिए भी अलग से कार्य करने के विचार से जनसंघ ने अपना महिला मोर्चा प्रारम्भ किया। जनसंघ के महिला मोर्चा ने अल्प समय में ही अपने प्रखर वैचारिक और राजनीतिक दृष्टिकोण के चलते भारतीय राजनीति में प्रभावी भूमिका से अपनी विशिष्ट पहचान बना ली थी।
पं. दीनदयाल के इसी चिंतन से प्रेरित होकर भारतीय जनता पार्टी की केंद्र और राज्य सरकारों ने समय-समय पर महिलाओं के सर्वतोमुखी सशक्तीकरण के नित-नए आयाम स्थापित किए हैं। भाजपा का महिला मोर्चा आज भारतीय राजनीति की दिशा तय करने में अपनी जिस विशिष्ट पहचान के साथ काम कर रहा है, उसमें संगठन-शिल्पियों के मार्गदर्शन के साथ ही केंद्र व राज्यों की भाजपा सरकारों की भूमिका की अनदेखी नहीं की जा सकती। भाजपा ने महिलाओं को केवल राजनीतिक वोट-बैंक नहीं माना, अपितु महिलाओं के सामाजिक, पारिवारिक, आर्थिक आदि क्षेत्रों में सशक्तीकरण के प्रयास करके पं. दीनदयाल की चिंतन-धारा को धरातल पर साकार भी किया। महिलाओं को सशक्त बनाना, समाज को सशक्त बनाना है, और इस प्रकार अपने समुदाय में वंचित महिलाओं को सशक्त बनाने के मिशन के साथ भाजपा काम कर रही है। पं. दीनदयाल के विचारों के अनुरूप महिला सशक्तीकरण के लिए अनेक पहलुओं पर काम किए जा रहे हैं। वित्तीय उद्यम की तलाश कर रही महिलाओं को आवश्यक समर्थन और प्रोत्साहन प्रदान करना, विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से लैंगिक समानता को बढ़ावा देना और कन्या भ्रूण हत्या रोकना भाजपा के इन्हीं प्रयासों के आयाम हैं। भाजपा ने घरेलू हिंसा से पीड़ित महिलाओं को कानूनी और मनोवैज्ञानिक सहायता मुहैया कराने पर भी ध्यान दिया है और इसके लिए महिला साक्षरता को बढ़ावा देकर राष्ट्र को साक्षर और प्रगतिशील बनाने पर बल दिया गया है। इसी प्रकार महिला स्वास्थ्य एक उपेक्षित क्षेत्र रहा है, और महिला स्वास्थ्य से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर जागरुकता फैलाने पर भाजपा सरकार ध्यान दे रही है। जो महिलाएँ स्वतंत्र रूप से काम करना चाहती हैं, उनके लिए निःशुल्क कौशल विकास प्रशिक्षण कार्यक्रमों में भाग लेने के अवसर उपलब्ध कराए गए हैं। महिला उद्यमियों के लिए, विशेष रूप से ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों से, विभिन्न सरकारी सहायता के बारे में जागरुकता पैदा करके त्वरक और हैंडहोल्डिंग कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। महिलाओं को उद्यमिता में प्रोत्साहित करने से अंततः देश की अर्थव्यवस्था को तो मजबूती मिलती ही है, साथ-साथ महिलाओं के लिए अधिक नौकरियाँ विकसित होती हैं। यह इतना बड़ा बदलाव इसलिए है कि जिन पं. दीनदयील की जयंती हम आज मना रहे हैं, उनकी सोच को केंद्र के स्तर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में भाजपा की सरकारों ने जमीनी स्तर पर लागू किया। महिला सशक्तीकरण पं. दीनदयाल की सोच थी। सामाजिक क्रांति, अंत्योदय तब तक नहीं आएगा जब तक माताओं-बहनों पर ध्यान नहीं जाता है। शुरुआत हुई ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ से, और आज नारी शक्ति ने हर क्षेत्र में अद्भुत प्रदर्शन किया है। आज देश की नारी लड़ाकू पायलट है, सेना में उनकी भर्ती हो रही है। जब चंद्रयान-3 जाता है तो महिलाओं का ध्यान आता है कि रॉकेट वूमेन है वहां पर। तीन दशक से एक बड़ी पीड़ा थी, कई बार प्रयास हुए पर वह सफल नहीं हो सके और वह प्रयास थे कि नीति निर्धारण में, देश और राज्य का भविष्य निर्माण करने में, महिलाओं की भागीदारी कैसे बढ़ेगी? कैसे लोकसभा और विधानसभाओं में उनका प्रतिनिधित्व मिले? आज यह हकीकत है। 20-21 सितंबर 2023 को लोकसभा और राज्यसभा में नारी शक्ति वंदन अधिनियम पारित हुआ, यह जमीनी हकीकत बना। आने वाले समय, नजदीक भविष्य में भारत की लोकसभा और हर विधानसभा में नारी शक्ति का प्रतिनिधित्व होगा क्योंकि एक तिहाई सीटें तो उनके लिए आरक्षित होंगीं, इसके अलावा अनारक्षित सीटों पर भी वह चुनाव लड़ सकती हैं। इसका आधार पं. दीनदयाल की सोच और उनका दर्शन ही है।
छत्तीसगढ़ में सशक्त, समृद्ध, सम्पन्न नारी
पं. दीनदयाल के चिंतन के अनुरूप छत्तीसगढ़ में सशक्त, समृद्ध, सम्पन्न नारी के लिए भाजपा ने काफी काम किए। भाजपा के पिछले 15 वर्ष के शासनकाल में मातृ मृत्यु दर आधी हुई। आयुष्मती योजना के तहत पीएचसी, जिला अस्पताल या मेडिकल कॉलेज में इलाज के लिए भर्ती होने वाली महिलाओं को बुनियादी जरूरतों के लिए एक हजार रुपए तक नकद दिया जाता था। स्नातक स्तर तक बालिकाओं की शिक्षा भाजपा सरकार में निःशुल्क कर दी गई। 2018 से 2023 तक प्रदेश की सत्ता में नहीं रहते हुए भी भाजपा ने प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के अंतर्गत 2023 तक छत्तीसगढ़ में 35 लाख से ज्यादा एलपीजी कनेक्शन जारी किये गए। मिशन इंद्रधनुष 2.0 के अंतर्गत, छत्तीसगढ़ में महिलाओं एवं बच्चों के लिए टारगेट के क्रमशः 103 प्रतिशत और 104 प्रतिशत का टीकाकरण कवरेज हासिल किया है। प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण (पीएम पोषण) के तहत छत्तीसगढ़ में अगस्त 200 तक 2,07,369 गर्भवती महिलाओं और 1,22,806 स्तनपान कराने वाली माताओं को लाभान्वित किया गया। सन् 2023 के विधानसभा चुनावों में प्रदेश की मातृ-शक्ति ने एक बार फिर भाजपा के प्रति अपना अगाध विश्वास व्यक्त किया और उसका सुपरिणाम यह है कि प्रदेश की भाजपा सरकार ने ‘महतारी वन्दन योजना’ की शुरुआत कर आज प्रदेश की 70 लाख विवाहित महिलाओं को सात माह से लगातार 12 हजार रुपए की वार्षिक (प्रतिमाह 1 हजार रुपए) वित्तीय सहायता प्रदान कर रही है। गरीब परिवारों की महिलाओं को 500 रुपए में गैस सिलेंडर प्रदान करने के लिए प्रदेश सरकार आवश्यक पहल कर रही है। महिलाओं को आत्मनिर्भर और आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के पं. दीनदयाल के विचार से प्रेरित प्रदेश की भाजपा सरकार महिला स्व-सहायता समूहों को 5 लाख रुपए तक का ऋण न्यूनतम ब्याज दर पर प्रदान करने जा रही है और इन समूहों से शासकीय अधिग्रहण को प्राथमिकता दी जाएगी। इसी प्रकार रोजगार से जोड़ने के लिए प्रदेश में रेडी-टू-ईट योजना की जिम्मेदारी फिर से महिला स्व-सहायता समूहों को सौंपी गई है। इसके अतिरिक्त इन महिलाओं को सांत्वना राशि भी दी जाएगी। प्रदेश में महिलाओं के नाम पर कराए जा रहे भूमि रजिस्ट्रेशन शुल्क को 50 प्रतिशत कम करने का संकल्प पं. दीनदयाल की उसी सोच को साकार करता है, जो परिवार के लिए परिवार प्रमुख के कन्धे से कन्धा लगाकर कष्ट उठाने की भारतीय महिलाओं के प्रति सम्मान में निहित है। छत्तीसगढ़ में छात्राओं को स्नातकोत्तर तक मुफ़्त शिक्षा प्रदान करके भाजपा सरकार महिलाओं के शैक्षिक उत्थान के तमाम अवसरों के द्वार खोल रही है। महिलाओं के सशक्तीकरण के साथ-साथ उनके आत्म-सम्मान, उनकी अस्मिता की रक्षा, हर तरह की हिंसा से महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए हर जिले में महिला (पिंक) थानों की स्थापना पर भी काम होने जा रहा है।