बिलासपुर । बस्तर और बिलासपुर जिले में मलेरिया और रतनपुर क्षेत्र में उल्टी-दस्त के कारण हुई मौतों को लेकर छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया है। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने मीडिया में प्रकाशित खबरों के आधार पर जनहित याचिका के रूप में मामले की सुनवाई प्रारंभ की है। गुरुवार को हुई सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए अलग बेंच का गठन करने का आदेश दिया है, जो आगे की सुनवाई करेगी।
जून का महीना मलेरिया माह घोषित होने के बावजूद राज्य सरकार की ओर से कोई विशेष अभियान न चलाने और बस्तर के बीजापुर आश्रम में दो मासूम बच्चों की मलेरिया से मौत तथा बिलासपुर जिले के कोटा क्षेत्र में मलेरिया के बढ़ते मामलों को लेकर मीडिया में खबरें प्रकाशित हुई थीं। इसके साथ ही, रतनपुर क्षेत्र में उल्टी-दस्त के प्रकोप को लेकर भी रिपोर्टें सामने आईं, जिन्हें हाई कोर्ट ने गंभीरता से लिया है।
कोर्ट ने पूर्व में राज्य सरकार से ग्रामीण और वनांचल क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाने के उपायों के बारे में पूछा था, और मलेरिया मुक्त अभियान के प्रारंभ न होने पर भी सवाल उठाए थे। इस संबंध में शासन से जवाब के लिए समय की मांग की गई थी। चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच ने मुख्य सचिव, सचिव शिक्षा, सचिव स्वास्थ्य, बिलासपुर कलेक्टर, बीजापुर कलेक्टर, मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी, स्वास्थ्य संचालक, और ब्लाक मेडिकल आफिसर सहित 11 अधिकारियों को पक्षकार बनाने का निर्देश दिया था।
अब, मामले की अगली सुनवाई अलग से गठित विशेष बेंच में की जाएगी।