बंद पड़े खदान में केज कल्चर की तर्ज पर महाराष्ट्र में भी होगा मछली पालन

राजनांदगांव। जिले में हो रहे खदानों में मछलीपालन कार्य अब महाराष्ट्र के किसानों को खूब भा रही है। यहां जोरातराई मनगटा क्षेत्र के बंद पड़े खदानों में केज लगाकर किए जा रहे मछलीपालन का जायजा लेने महाराष्ट्र के अधिकारी एवं 14 मत्स्य पालक पहुंचे। 16 सदस्यीय दल ने केज में मत्स्यपालन की बारीकियों को जाना, साथ ही खदानों में हो रहे केज कल्चर की तर्ज पर महाराष्ट्र में भी मत्स्यपालन को अपनाने पर जोर दिया। शासन की ओर से मत्स्यपालन को बढ़ावा दिया जा रहा है।

प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना अंतर्गत जोरातराई में बंद पड़ी खदानों में केज कल्चर किया जा रहा है। कृषकों के दल ने खदान में हो रहे केज विधि के साथ-साथ देश के एकमात्र आधुनिक तकनीक से स्थापित एबीस फिश फिड मिल का संचालन कार्य को भी देखा एवं इसकी प्रशंसा की। किसानों को एबीस ग्रुप द्वारा मत्स्यपालन की 1 दिवसीय तकनीकी प्रशिक्षण दिया गया। जिसमे केज कल्चर के माध्यम से मछलीपालन कार्य की तकनीकी जानकारी दी गयी। साथ ही मछली आहार का उपयोग एवं मछली बीज के संचयन संबंधी जानकारी एबीस ग्रुप द्वारा किसानों को विस्तार से प्रदाय की गई।

राजनांदगांव विकासखंड के जोरातराई के बंद पड़े खदान में हो रहे मत्स्यपालन पूरे देश के लिए रोल मॉडल बन गया है। यहां मत्स्यपालन से 100 लोगों को रोजगार मिल रहा है। केज में पंगेसियस मछली पाली जा रही है। इस अवसर पर जिला मत्स्य अधिकारी एसके साहू, मत्स्य निरीक्षक वर्तिका ठाकुर, अमरावती के मत्स्य विकास अधिकारी भूषण सनप, एबीस ग्रुप के फिश फिड डिविजन के मो ऑसिफ कुरैशी, मनीष चौरे, अजीम खान, रोशन खान, गैंदसिंह वर्मा एवं एबीस ग्रुप एक्वाकल्चर डिविजन के अन्य कर्मचारी उपस्थित रहे।

 

Markandey Mishra, Editor

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