हत्या का घटनाक्रम
10 अगस्त को सरस्वती कड़ियामी के गुमशुदा होने की सूचना उसके भाई फूलचंद कड़ियामी ने बीजापुर थाने में दी। सरस्वती सुबह रोपाई के लिए सागवाही खेत की ओर निकली थी, लेकिन वापस नहीं लौटी। पुलिस ने जांच के दौरान कन्हाईगुड़ा जंगल में सरस्वती का चप्पल और झोला पाया और सघन सर्च ऑपरेशन के दौरान 100 मीटर की दूरी पर उसका शव नाले में फंदे से लटका मिला।
पोस्टमार्टम से खुलासा हुआ कि सरस्वती की हत्या गला रेत कर की गई थी, जिसे आत्महत्या का रूप देने के लिए फंदे पर लटकाया गया। पुलिस ने इसे हत्या मानते हुए जांच शुरू की।
हत्या के पीछे पारिवारिक रंजिश
जांच के दौरान पुलिस ने 500 से अधिक कॉल रिकॉर्ड खंगाले और 200 से ज्यादा लोगों से पूछताछ की। अंततः नंदू मांझी और उसके भाई मंगल मांझी को हिरासत में लिया गया। पूछताछ के बाद उन्होंने सरस्वती की हत्या कबूल की। नंदू मांझी का सरस्वती से शादी का रिश्ता तय हुआ था, लेकिन सरस्वती के इंकार के कारण नंदू और उसके परिवार की बदनामी हुई थी। बदले की भावना से नंदू और मंगल ने 10 अगस्त को सरस्वती की हत्या की योजना बनाई और उसे कन्हाईगुड़ा जंगल में मारकर आत्महत्या का रूप देने की कोशिश की।
तीन आरोपी गिरफ्तार
नंदू मांझी, मंगल मांझी और उनके पिता सुखनाथ मांझी उर्फ फोटकू को हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। पुलिस ने हत्या में इस्तेमाल किए गए चाकू और अन्य साक्ष्य बरामद कर लिए हैं। आरोपियों को विभिन्न धाराओं के तहत गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया गया।
इस सफलता के लिए बीजापुर पुलिस अधीक्षक ने पूरी टीम को पुरस्कृत करने की घोषणा की है।