धान की सीधी बुआई विधि पर हुआ प्रक्षेत्र दिवस सह कृषक प्रशिक्षण

राजनांदगांव । कृषि विज्ञान केन्द्र राजनांदगांव एवं बायर के संयुक्त तत्वाधान में कृषि विज्ञान केन्द्र राजनांदगांव में प्रक्षेत्र दिवस सह कृषक प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में पूर्व सांसद प्रदीप गांधी, कोमल सिंह राजपूत, जिला पंचायत सदस्य मधु सुक्रित साहू, बायर कंपनी छत्तीसगढ़ के बाजार विकास प्रबंधक विवेकानंद गुप्ता उपस्थित थे।

पूर्व सांसद प्रदीप गांधी ने कृषकों को संबोधित करते हुए कहा कि विश्व में भारत धान का सबसे बड़ा उत्पादक देश है और छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा भी कहा जाता है। छत्तीसगढ़ में धान की शासन स्तर पर खरीदी एवं अच्छा समर्थन मूल्य मिलने के कारण राज्य के साथ राजनांदगांव जिले में भी धान के क्षेत्रफल में काफी वृद्धि हुई है, इसलिए पर्यावरण फसल चक्र और उपलब्ध संसाधनों के महत्व को ध्यान में रखते हुए धान फसल से अधिक लाभ के लिए उपलब्ध कम लागत वाले उन्नत तकनीकों का विवेकपूर्ण उपयोग किसानों द्वारा किया जाना चाहिए।

उप संचालक कृषि नागेश्वर लाल पाण्डे ने कृषकों व कृषि अधिकारियों को जिले में धान एवं अन्य खरीफ फसलों की उन्नत कास्त तकनीक व प्रबंधन के उपायों को अपनाने व उसका प्रचार-प्रसार करने के लिए प्रेरित किया। कृषि विज्ञान केन्द्र राजनांदगांव के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ. गुंजन झा ने बताया कि वर्तमान में विभिन्न प्रकार के कृषि संबंधित गतिविधियों, उद्योग धंधों एवं अन्य भौतिक सुविधा के लिए आवश्यक संशाधनों से जो ग्रीन हाऊस गैसों का अत्यधिक उत्सर्जन हो रहा है, उससे ग्लोबल वार्मिंग की समस्या समय के साथ बढ़ती ही जा रही है। इसी प्रकार धान की रोपा पद्धति विधि से बुआई करने से उसमें जो जलभराव करना पड़ता है, उससे भी मिथेन जैसी ग्रीन हाउस गैस का उत्सर्जन होता है। जिसको कम करने के लिए धान की सीधी बुआई विधि (डीएसआर) का प्रयोग एक बेहतर विकल्प है।

इस विधि व धान में खरपतवार, कीट और रोग की समस्याओं का बेहतर प्रबंधन के उन्नत तकनीक का बायर कंपनी के सौजन्य से राजनांदगांव जिले में कृषि विज्ञान केन्द्र प्रक्षेत्र के साथ राजनांदगांव, विकासखंड के कृषक प्रक्षेत्र में प्रदर्शन कार्यक्रम लिया गया है। इसके लिए देश के विभिन्न चयनित राज्य एवं जिला में केवीके के साथ मिलकर कार्य करने के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद नई दिल्ली एवं बायर कंपनी के बीच एमओयू हुआ है।

कार्यक्रम के तकनीकी सत्र में बायर कंपनी के बाजार विकास प्रबंधक विवेकानंद गुप्ता ने बताया कि डीएसआर विधि से धान की बुआई करने से बीज दर 9 किलोग्राम प्रति एकड़ होती है। जिससे खरपतवार की समस्या में कमी आती है, उसका प्रदर्शन इकाइयों में कैसे बेहतर नियंत्रण किया जाए एवं उसमें लगने वाले कीट व रोग की जो समस्याए आती है, उसे कैसे नियंत्रित बायर के विभिन्न उत्पाद से प्रबंधन किया जा सकता है। उसके बारे में प्रेजेंटेशन के माध्यम से जानकारी दिया। डॉ. अतुल रामेश्वर डांगे ने उपस्थित कृषकों, कृषि अधिकारियों, बायर एवं कृषि विज्ञान केन्द्र राजनांदगांव के कृषि विशेषज्ञों के बीच खरीफ फसलों में कीट एवं रोग प्रबंधन के संबंध में चर्चा की। साथ ही कृषकों के लिए फसल प्रबंधन के सामान्य ज्ञान पर प्रश्नोत्तरी भी रखा गया।

जितेन्द्र मेश्राम पौध रोग विशेषज्ञ ने केवीके के प्रक्षेत्र में डीएसआर विधि से धान (किस्म एराईज धान डीटी) की बुआई की प्रदर्शन इकाई का कृषकों एवं कृषि अधिकारियों को भ्रमण कराया गया। प्रक्षेत्र दिवस सह कृषक प्रशिक्षण में केवीके राजनांदगांव के कृषि महाविद्यालय राजनांदगांव प्राध्यापक डॉ. विनम्रता जैन, सहायक प्राध्यापक डॉ. अभय बिसेन, अंजली घृतलहरे, डॉ. योगेन्द्र श्रीवास, मनीष कुमार सिंह, एसएल देशलहरे, अनुविभागीय कृषि अधिकारी, बायर कंपनी के आदर्श दुबे, दिनेश वर्मा सहित अधिकारी-कर्मचारी एवं कृषक उपस्थित रहे।

Markandey Mishra, Editor

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *