एक साधारण महिला से हरिता बनीं लखपति बिजनेस वुमन

महासमुंद । महासमुंद की हरिता पटेल की कहानी उनके उस संघर्ष, धैर्य, दृढ़ संकल्प और आत्मविश्वास की मिसाल है। जिसने हरिता को एक साधारण महिला से एक सफल बिजनेस वुमन और कंपनी की बोर्ड ऑफ डायरेक्टर तक का सफर तय करने में मदद की।

सरायपाली विकासखंड के ग्राम चकरदा की रहने वाली हरिता पटेल का जीवन एक साधारण किसान परिवार में शुरू हुआ था। वर्ष 2016 में उनकी शादी हुई, लेकिन यह विवाह ज्यादा समय तक नहीं चला और 2017 में उनका तलाक हो गया। तलाक के बाद, हरिता को समाज और परिवार से कठोर आलोचनाओं और संघर्ष का सामना करना पड़ा। इस कठिन समय ने उनके आत्मसम्मान को चुनौती दी, लेकिन उन्होंने हार मानने के बजाय खुद को मजबूत किया।

हरिता के जीवन में बदलाव तब आया जब उन्हें विहान में सक्रिय महिला के रूप में चुना गया। यहां से उनकी संघर्ष की यात्रा ने एक नई दिशा ली। उन्होंने अन्नपूर्णा स्व सहायता समूह के माध्यम से मध्यान्ह भोजन कार्यक्रम में हिस्सा लिया और इसके साथ ही सिलाई-कढ़ाई का कार्य शुरू किया। इस नए कदम ने न केवल उनके आत्मविश्वास को बढ़ाया, बल्कि उन्हें आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनने में भी मदद की।

हरिता ने सिलाई-कढ़ाई के बाद विहान की सहायता  से बैंक ऑफ बड़ौदा की बैंक लिंकेज गतिविधि के माध्यम से अगरबत्ती निर्माण का कार्य शुरू किया। उन्होंने धीरे- धीरे अपने व्यापार को गांव से बाहर तक फैलाया। आरसेटी के सहयोग से, उन्होंने स्व सहायता समूह के साथ मिलकर घरेलू उत्पाद जैसे बड़ी, पापड़, साबुन, फिनाइल और आर्टिफिशियल ज्वेलरी का निर्माण और विक्रय का कार्य भी शुरू किया। इन कार्यों के माध्यम से हरिता न केवल अपने परिवार का भरण-पोषण करने लगीं, बल्कि अन्य महिलाओं को भी रोजगार के अवसर प्रदान किए।

हरिता को एच.डी.एफ.सी परिवर्तन और जीटी संस्था के सहयोग से वर्ष 2021 में सरायपाली स्वाभिमान महिला कृषक उत्पादक कंपनी लिमिटेड के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर के रूप में चुना गया। इस नई जिम्मेदारी ने उनके सोचने के दायरे को और विस्तार दिया। उन्होंने महिला किसानों की समस्याओं को हल करने और शासकीय योजनाओं जैसे बीज ग्राम, पोषण बाड़ी, पशुपालन, और कृषि प्रशिक्षण को संचालित करने में अहम भूमिका निभाई। वर्तमान में, इस कंपनी में 512 शेयरधारक हैं, जो हरिता के नेतृत्व की सफलता का प्रमाण है।

हरिता पटेल ने बताया कि सरायपाली मे सिलाई सेंटर का संचालन करके और घरेलू उत्पाद सामग्रियों के विक्रय से उन्हें प्रति माह 30 से 35 हजार रुपये मिल जाते है। इससे वो आर्थिक रूप से सक्षम हो गई है और वे हमेशा अन्य महिलाओं की मदद के लिए तत्पर रहती हैं तथा विभिन्न संस्थाओं के साथ मिलकर समाज सेवा में सक्रिय भूमिका निभा रही हैं। साल में 04 लाख रूपये से भी ज्यादा कमाने वाली हरिता अब लखपति दीदी बनकर बेहद खुश हैं। वह उन जैसी अनेक महिलाओं के आर्थिक स्वावलंबन के लिये कई स्व-रोजगार योजनाएं चलाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी एवं मुख्यमंत्री साय का बार-बार आभार जताती हैं।

 

Markandey Mishra, Editor

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