छत्तीसगढ़

पूर्वोत्तर की वनवासी बहनें बस्तर की संस्कृति से होंगी परिचित

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40 छात्राओं का दल चार दिन रहेंगा बस्तर में

वनवासी कल्याण आश्रम ने किया एक्सपोजर विजिट का आयोजन

रायपुर (ग्रामयात्रा छत्तीसगढ़ )। रायपुर के शबरी कन्या आश्रम में रहकर पढ़ाई करने वाली पूर्वोत्तर राज्यों की लगभग 40 वनवासी बहनें छत्तीसगढ़ के बस्तर की जनजातीय संस्कृति और रीति-रिवाजों से परिचित होंगी। वनवासी कल्याण आश्रम की स्थानीय इकाई वनवासी विकास समिति द्वारा इन छात्राओं को चार दिन के बस्तर एक्सपोजर विजिट पर भेजा गया है। आज कल्याण आश्रम की अखिल भारतीय प्रशिक्षण टोली की सदस्य श्रीमती माधुरी जोशी, समिति के रायपुर महानगर के सचिव श्री राजीव शर्मा, सहसचिव श्री प्रवीण अग्रवाल,हितरक्षा प्रमुख कृष्णकांत वैष्णव, कार्यालय प्रमुख राजेश बघेल सहित अन्य सदस्यों ने इस दल को बस द्वारा बस्तर के लिए रवाना किया। इन छात्राओं को प्रांत सह छात्रावास प्रमुख श्रीमती संगीता चौबे की देखरेख में बस्तर भेजा गया है। पूर्वोत्तर की इन छात्राओं के साथ भनपुरी के दुर्गावती कन्या आश्रम की बालिकाओं द्वारा जगदलपुर में सांस्कृतिक प्रस्तुतियां भी दी जाएंगी।

समिति के महानगर सचिव श्री राजीव शर्मा ने बताया कि अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम से सम्बद्ध वनवासी विकास समिति द्वारा रायपुर में संचालित शबरी कन्या आश्रम में पूर्वोत्तर राज्यों असम, अरूणाचल, मेघालय, त्रिपुरा, नागालैंड की लगभग 40 बहनें रह रहीं हैं और रायपुर में अपनी पढ़ाई कर रहीं हैं। इन बहनों को छत्तीसगढ़ राज्य के बस्तर अंचल की आदिवासी परम्पराओं, रीति-रिवाजों और संस्कृति से परिचित कराने के लिए यह एक्सपोजर विजिट कराया जा रहा है।

इस विजिट का मुख्य उद्देश्य विभिन्न जनजातीय समाजों को एक-दूसरे की संस्कृति से परिचित कराना, एक-दूसरे के प्रति संवेदनशीलता और आत्मीयता का भाव जागृत करना और जनजातीय तथा गैर जनजातीय समाजों के बीच एकत्व का भाव विकसित करना है। उन्होंने बताया कि यह बहनें अगले चार दिन बस्तर में रहेंगी। सभी बहनें चित्रकोट, दन्तेवाड़ा, बारसुर, भानपुरी आदि जगहों पर भ्रमण करेंगी। बस्तर के प्राकृतिक सौंदर्य, पर्यटन स्थलों के साथ-साथ खान-पान, रहन-सहन आदि का अनुभव इन बहनों को अपने इस प्रवास के दौरान मिलेगा।


बस्तर प्रवास के दौरान पूर्वोत्तर राज्यों की आदिवासी बालिकाएं अपने गृह राज्यों के वनवासी जीवन-संस्कृति और बस्तर की आदिवासी संस्कृति में समानता का भी अनुभव कर सकेंगी। खेती के तरीकों, वनांचलों में जीवन-यापन, शिक्षा, स्वास्थ्य आदि के साथ-साथ खूबसूरत पर्यटन स्थलों से आजीविका के अवसरों का आकलन भी पूर्वोत्तर और बस्तर के नजरिए से इस प्रवास के दौरान किया जा सकेगा।
प्रवास से ,” वनवासी समाज और अन्य समाज एक समान ही है, सभी की संस्कृति भी एक जैसी है’’ की भावना का विकास होगा।

Markandey Mishra

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