छत्तीसगढ़

सरकारी पुनर्वास नीति के तर्ज पर नक्सलियों ने शुरु किया नक्सल पुनर्वास अभियान, जमीन का दे रहे हैं लालच

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जगदलपुर। नक्सलियों ने ग्रामीणों से शहिद गुण्डाधुर का हवाला देते हुए सरकार व पुलिस का साथ न देने और नक्सल संगठन मजबूत करने को लेकर पर्चा जारी किया है। पर्चे में लिखा है कि ग्रामीण पुलिस की मुखबिरी न करें और न ही सरकार का साथ दें। बता दें किनक्सलियों ने सरकारी पुनर्वास नीति की तरह नक्सल पुनर्वास नीति बनाया है। जिसके तहत वापस आने वाले नक्सली को जमीन देने का लालच दे रहे हैं। नक्सलियों की कोशिश है कि जो भी नक्सली अभियान छोड़कर पुलिस या सरकार में शामिल हुआ है वह वापस नक्सली अभियान में आए।
सरकारी पुनर्वास नीति के मुख्य बिंदु
सरेंडर नक्सलियों को तत्काल 10 हजार की सहायता राशि। रैंक के हिसाब से नक्सलियों को पैसा दिया जाता है । नक्सलियों को सरकारी नोकरी (नक्सलियों के रैंक के हिसाब से) जिन नक्सलियों को नौकरी नहीं दिया जा सकता उन्हें लाइवली हुड कॉलेज में ट्रेनिंग कराई जाती है ताकि वे आगे कुछ काम कर सके सरकारी आवास या रहने की व्यवस्था। इलाज की व्यवस्था।
नक्सलियों की पुनर्वास नीति
नक्सली ग्रामीणों को जमीन का लालच दे रहे है। सरेंडर नक्सलियों से नक्सलियों की रणनीति का पूरा खुलासा हो रहा है। धीरे धीरे ग्रामीण नक्सल संघटन से दूर हो रहे है ,नक्सली भय से गाँव खाली होते जा रहे है जिससे नक्सलियों को मुखबिर की कमी हो गई है और लगातार पुलिस नक्सलियों पर भारी पड़ रही है। नक्सलियों की रणनीति का हिस्सा भी होता है खुद को कमजोर बताना फिर अचानक बड़ा हमला करना ।
बता दें कि पिछले 5 सालों में लगभग 3 हजार से अधिक छोटे – बड़े नक्सलियों ने सरेंडर किया है। जिसमें से लगभग 150 से 200 ऐसे नक्सली है जो नक्सल संघटन के काफी बड़े पदों पर थे। जिनके सरेंडर से नक्सलियों को काफी नुकसान हुआ है।

Markandey Mishra

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