छत्तीसगढ़

शराबबंदी को लेकर दुविधा में भूपेश सरकार

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रायपुर। शराबबंदी को लेकर राज्य सरकार अभी दुविधा में हैं। चुनावी घोषणा पत्र के वादे को पूरा करने के लिए यदि सरकार प्रदेश में शराबबंदी करती है तो उसे भारी राजस्व का नुकसान उठाना पड़ सकता है। बाद इस वर्ष ही करें तो आबकारी से राज्य सरकार को पिछले वर्ष के सापेक्ष तीन सौ करोड़ अधिक राजस्व मिलने की उम्मीद है। पिछले वर्ष आबकारी से राज्य सरकार को चार हजार करोड़ का राजस्व प्राप्त हुआ था।
विधानसभा चुनाव में कांग्रेस, जकांछ व आप ने अपने घोषणा पत्र में शराबबंदी को शामिल किया था। प्रचंड बहुमत से कांग्रेस की सरकार बनी तो शराबबंदी पर चर्चा भी प्रारंभ हुई। राज्य सरकार ने किसानों के कर्जमाफी, धान के समर्थन मूल्य जैसे मुद्दों पर कार्य प्रारंभ कर दिया पर आबकारी पर कोई निर्णय नहीं लिया। सरकार ने कहना था कि शराबबंदी पर जल्दबाजी नहीं किया जाएगा।
पहले इस विषय पर गंभीरता से अध्ययन किया जाएगा फिर निर्णय होगा कि राज्य में शराबबंदी कब व किस रूप में होगी। शराब बंदी को लेकर दरअसल सरकार दुविधा में है कि वह करे तो क्या करे। यदि शराबबंदी नहीं होती है तो चुनावी घोषणा पत्र में किया वादा पूरा नहीं करने का आरोप लगेगा और यदि करती है तो भारी भरकम राजस्व की हानि।
सरकार वैसे भी अपने राजस्व को बढ़ाने का हर संभव प्रयास करने में जुटी है ऐसे में आबकारी विभाग से मिलने वाले राजस्व का नुकसान भी सरकार नहीं चाहेगी। वर्तमान वित्तीय वर्ष में सरकार को सिर्फ आबकारी विभाग से अतिरिक्त तीन सौ करोड़ अधिक राजस्व की प्राप्ति का अनुमान है। पिछले वर्ष सरकार को चार हजार करोड़ का राजस्व प्राप्त हुआ था। जो इस वर्ष लगभग तीन सौ करोड़ बढ़ने की उम्मीद है।

Markandey Mishra

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